सांसद कल्याण बनर्जी ने दी सफाई, बोले- जगदीप धनखड़ का करता हूं बहुत सम्मान, आर्ट है मिमिक्री

TMC सांसद कल्याण बनर्जी (Kalyan Banerjee) ने राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का मजाक उड़ाने पर सफाई दी है। उन्होंने कहा कि उनका इरादा किसी को आहत करने का नहीं था। मिमिक्री एक आर्ट है।

Vivek Kumar | Published : Dec 20, 2023 7:30 AM IST / Updated: Dec 20 2023, 01:05 PM IST

नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस (TMC) सांसद कल्याण बनर्जी (Kalyan Banerjee) ने मंगलवार को संसद परिसर में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ का मजाक उड़ाने पर सफाई दी है। उन्होंने कहा है कि वह जगदीप धनखड़ का बहुत अधिक सम्मान करते हैं।

कल्याण बनर्जी ने कहा, "मेरा इरादा किसी को आहत करने का नहीं था। मिमिक्री एक आर्ट है। जगदीप धनखड़ का मैं बहुत सम्मान करता हूं। 2014-2019 के बीच पीएम ने भी लोकसभा में मिमिक्री की थी।"

एनडीए के सांसदों ने राज्यसभा में धनखड़ का मजाक उड़ाने का किया विरोध

बुधवार को एनडीए के सांसदों ने विपक्षी सांसद द्वारा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ का मजाक उड़ाए जाने का विरोध किया। एनडीए के सांसदों ने धनखड़ के प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए खड़े होकर प्रश्नकाल के दौरान सदन की कार्यवाही में हिस्सा लिया।

संसद के बाहर कल्याण बनर्जी ने की थी जगदीप धनखड़ की मिमिक्री

दरअसल, मंगलवार को विपक्षी दलों के सांसदों ने संसद की सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन किया था। इस दौरान कल्याण बनर्जी ने जगदीप धनखड़ की मिमिक्री की थी। कल्याण बनर्जी धनखड़ का मजाक उड़ा रहे थे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी उनका वीडियो बना रहे थे। यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है।

 

 

जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में जताया दुख

इस घटना को लेकर मंगलवार को जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा में दुख जताया था। बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जगदीप धनखड़ को फोन किया और संसद परिसर में हुई घटना पर पीड़ा व्यक्त की। पीएम ने कहा कि वह पिछले बीस वर्षों से इस तरह के अपमान सह रहे हैं। उपराष्ट्रपति जैसे संवैधानिक पद पर मौजूद व्यक्ति के खिलाफ संसद में ऐसी घटना दुर्भाग्यपूर्ण है।"

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी उपराष्ट्रपति का मजाक उड़ाए जाने पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने एक्स पर पोस्ट किया, "जिस तरह से उपराष्ट्रपति को संसद परिसर में अपमानित किया गया, उसे देखकर मुझे निराशा हुई। निर्वाचित प्रतिनिधियों को अपनी अभिव्यक्ति के लिए स्वतंत्र होना चाहिए, लेकिन उनकी अभिव्यक्ति गरिमा और शिष्टाचार के मानदंडों के भीतर होनी चाहिए। यह संसदीय परंपरा रही है जिस पर हमें गर्व है। भारत के लोग उनसे इसे कायम रखने की उम्मीद करते हैं।"

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