Exclusive Interview: जितेंद्र चौधरी ने कहा- 'त्रिपुरा चुनाव देगा देश को बड़ा संदेश, बीजेपी को हराया जा सकता है'

त्रिपुरा में सीपीआई-एम के प्रदेश सचिव जितेंद्र चौधरी (CPI-M State Secretary Jitendra Chaudhury) ने कहा कि प्रदेश की गरीब जनता भारतीय जनता पार्टी से तंग आ चुकी है। प्रदेश में लोकतंत्र और कानून का खात्मा हो चुका है और सत्तारूढ़ दल से लोग उब चुके हैं।

 

Manoj Kumar | Published : Feb 6, 2023 11:01 AM IST

Exclusive Interview Jitendra Chaudhury. सीपीआई-एम को पूरी उम्मीद है कि 2023 का त्रिपुरा विधानसभा चुनाव न सिर्फ उनकी राजनीतिक दशा को बदलने वाला होगा बल्कि पूरे देश में यह मैसेज भी जाएगा कि बीजेपी को हराया जा सकता है। त्रिपुरा विधानसभा चुनाव देश के लोकतांत्रिक ताकतों और सेक्यूलर ताकतों को मजबूत करेगा और मील का पत्थर साबित होगा। इन्हीं मुद्दों पर एशियानेट न्यूज की रिचा बरूआ ने सीपीआई-एम के प्रदेश सचिव जितेंद्र चौधरी से एक्सक्लूसिव बातचीत की है। पेश है इसके मुख्य अंश...

पहले इंटरव्यू में चौधरी ने क्या कहा
एशियानेट न्यूज के साथ दो पार्ट के इंटरव्यू में पहले पार्ट में त्रिपुरा में सीपीआई-एम के प्रदेश सचिव जितेंद्र चौधरी ने कहा कि प्रदेश की गरीब जनता भारतीय जनता पार्टी से तंग आ चुकी है। प्रदेश में लोकतंत्र और कानून का खात्मा हो चुका है और सत्तारूढ़ दल से लोग उब चुके हैं। वहीं दूसरे पार्ट में जितेंद्र चौधरी बता रहे हैं कि किस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री मानिक सरकार प्रदेश ने चुनाव न लड़ने का फैसला किया है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि त्रिपुरा विधानसभा चुनाव में सीपीआई-एम ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी।

मानिक सरकार का चुनाव न लड़ने से क्या प्रभाव पड़ेग
मानिक सरकार त्रिपुरा में पार्टी के सबसे मजबूत स्तंभ हैं। इसके साथ ही वे सबसे ज्यादा समय तक त्रिपुरा के चीफ मिनिस्टर भी रहे हैं जिन्होंने करीब 20 साल तक प्रदेश की जनता की सेवा की है। वे 7 से 10 साल तक विधायक के तौर पर सेवाएं दे चुके हैं यानि एक नेता के तौर पर वे 30 सालों तक प्रदेश की सेवा कर चुके हैं। लेकिन इस बार मानिक सरकार चुनाव नहीं लडेंगे। उन्होंने यह तय किया है कि वे राजनैतिक गुरू के तौर पर दूसरे नेताओं की मदद करेंगे। इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें धानपुर से चुनाव लड़ाने की तैयारी की, जहां से वे 4 बार चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन मानिक सरकार ने चुनाव लड़ने में अपनी असमर्थता जताई और पार्टी को मजबूत करने का काम करने की बात कही।

इसके बाद पार्टी ने मानिक सरकार को चुनाव लड़ने के लिए फोर्स नहीं किया क्योंकि पार्टी उनके फैसले का सम्मान करती है। लेकिन प्रदेश के लिए उनका समर्पण हमेशा याद रखा जाएगा। राजनीति में उनके अनुभव का लाभ पार्टी को मिलेगा और वे सलाहकार के तौर पर हमारे साथ जुड़े रहेंगे। यदि हम सरकार बनाने में सफल रहते हैं तो निश्चित तौर पर उनका पॉलिटिकल अनुभव काम आएगा। यदि वे पार्टी के साथ खड़े रहेंगे तो प्रदेश की जनता बहुत खुश होगी क्योंकि वे पॉपुलर और मजबूत कंडिडेट हैं। लेकिन यह भी सच है कि उनके न रहने से हमारी जीत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मानिक सरकार चुनावी कैंपेन में पार्टिसिपेट करेंगे। उनकी मौजूदगी ही हमारे लिए अच्छे परिणाम लाएगी। लोग मानिक सरकार की इज्जत करते हैं और वे हमारे लिए एसेट की तरह से हैं।

सीपीआई-एम जीतती है तो कैसे होगा प्रदेश का विकास
इस सवाल के जवाब में जितेंद्र चौधरी ने कहा कि सीपीआई-एम हमेशा से लोगों की भलाई के लिए काम करने में विश्वास करती है। हमारी सरकार लोगों की सरकार होगी। पहले पांच साल में हम त्रिपुरा के लोगों की भलाई करने का काम करेंगे। हम अपनी नीतियों और कार्यक्रम से प्रदेश की बेहतरी के लिए काम करेंगे। जहां तक जॉब्स की बात है तो पहले भी हमारी सरकार ने शानदार काम किया है। हम रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए बेहतर नीतियां लेकर आएंगे। लोगों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी जिसका वचन सीपीआई-एम देती है।

क्या तृणमूल के साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे
यह सच है कि तृणमूल कांग्रेस ने हमसे चुनाव की बाबत संपर्क किया है। हमने सभी दलों से अपील की है कि बीजेपी को हराने में हमारा साथ दें और यही वजह रही कि टीएमसी ने पार्टनर बनने की पहल की लेकिन हमने ना कह दिया। ऐसा इसलिए क्योंकि जो हाल बीजेपी ने त्रिपुरा में किया है, वहीं हाल टीएमसी पश्चिम बंगाल में कर रही है और लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है। यदि हम उनके साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे तो यह गठबंधन एक मजाक बन जाएगा।

त्रिपुरा चुनाव के लिए फंड कैसे इकट्ठा कर रहे हैं
हमारी मजबूती सिर्फ लोगों के बीच है। हम पहले भी जीते हैं लेकिन वह जीत पैसे या पावर की वजह से नहीं मिली थी। यह लोगों का लेफ्ट पार्टी पर भरोसा रहा जिसकी वजह से हम जीते। इस बार भी ऐसा ही होने वाला है। लोगों का हम पर भरोसा और विश्वास ही हमारा वास्तविक फंड है। लेकिन हां यह सच है कि चुनावी कैंपेन के लिए पैसे और संसाधनों की जरूरत पड़ती है और वह हमारे पास नहीं है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के पास ज्यादा पैसा है और वे ब्लैक मनी को व्हाइट बनाकर चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन दूसरी पार्टियों से हमारे मुद्दे ज्यादा कारगर हैं।

इससे पहले भी त्रिपुरा की जनता ने पैसा इकट्ठा किया था लेकिन इस बार हम सोशल मीडिया पेज पर क्यूआर कोड भी अपलोड कर रहे हैं ताकि चुनाव के लिए पैसा इकट्ठा किया जा सके। यह इसलिए ताकि हम बीजेपी की गलत नीतियों का सामना कर सकें। हमने लेफ्ट पार्टी के दोस्तों, लोकतांत्रिक ताकतों और पूरे देश से अपील की है कि वे हमारे लिए फंड करें।

सीपीआई-एम चुनाव जीती तो क्या बदलाव होंगे
सीपीआई-एम की सरकार बनती है तो वह लोगों की भलाई के लिए काम करेगी। यह लोगों की ही सरकार होगी। पिछले पांच सालों में हमने त्रिपुरा की जनता के लिए बहुत काम किए हैं। लिमिटेड फंड के बावजूद हमारी नीतियां और कार्यक्रम आम लोगों की भलाई के लिए बने। इससे पहले भी हमने त्रिपुरा की आम जनता के लिए बहुत सारे काम किए हैं। हमने रोजगार, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बेहतर काम किए हैं। सीपीआई-एम लोगों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है।

बीजेपी को सत्ता से दूर रखने की कितनी उम्मीद है
लोगों की जीत ही सीपीआई-एम और लेफ्ट की उम्मीद है। बस कुछ ही दिनों की बात है कि यहां की जनता बीजेपी को सत्ता से उखाड़ फेंकेगी और नई सरकार का गठन किया जाएगा। यह दिन 2 मार्च का होगा जब त्रिपुरा में नया सवेरा होगा। इस दिन नई सरकार बनेगी त्रिपुरा राज्य के लिए नई शुरूआत भी होगी। इसके साथ ही यह पूरे देश के लिए भी बड़ा मैसेज होगा कि बीजेपी को हराया जा सकता है। इस जीत से यह भी तय हो जाएगा कि बिना मसल और मनी पॉवर के भी भारतीय जनता पार्टी को मात दी जा सकती है। त्रिपुरा का चुनाव पूरे देश के लिए उदाहरण सेट करेगा। इतना ही नहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की हार की शुरूआत भी त्रिपुरा विधानसभा चुनाव के साथ हो जाएगी।

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