300 रु. की रिश्वत, चली गई नौकरी! अब हाईकोर्ट का चौंकाने वाला फैसला

बेंगलुरु में टाइपिस्ट द्वारा ₹300 की रिश्वत लेने के मामले में हाईकोर्ट ने बर्खास्तगी के आदेश को बरकरार रखा। केएटी द्वारा सजा कम करने के फैसले को पलटते हुए, अदालत ने रिश्वतखोरी को गंभीर अपराध माना।

बेंगलुरु:  300 रुपये रिश्वत लेने के मामले में वाणिज्य कर कार्यालय की टाइपिस्ट को सेवा से बर्खास्त करने के राज्य सरकार के आदेश को हाईकोर्ट ने बरकरार रखा है। मैसूर क्षेत्र के वाणिज्य कर संयुक्त आयुक्त कार्यालय में टाइपिस्ट कांति पर एक व्यक्ति से 300 रुपये रिश्वत लेने का आरोप लगा था। इस पर राज्य के वित्त विभाग ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था। हालाँकि, कर्नाटक प्रशासनिक न्यायाधिकरण (केएटी) ने कांति के बर्खास्तगी आदेश को अनिवार्य सेवानिवृत्ति में बदल दिया था। 

न्यायमूर्ति एस. जी. पंडित की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार के वित्त और वाणिज्य कर विभाग द्वारा केएटी के आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कांति को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश को बरकरार रखा। मामले की विभागीय जाँच में कांति द्वारा रिश्वत लेने की बात साबित हुई थी। इसीलिए उन्हें सेवा से बर्खास्त किया गया था। आरोपी महिला द्वारा रिश्वत मांगना और लेना एक गंभीर सामाजिक और नैतिक मुद्दा है। इसके बावजूद, आरोपी को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश को अनिवार्य सेवानिवृत्ति में बदलने का न्यायाधिकरण का कदम वास्तव में अदालत के विवेक को झकझोर देता है, ऐसा खंडपीठ ने कहा। साथ ही, खंडपीठ ने कहा कि न्यायाधिकरण ने कांति को सेवा से बर्खास्त करने के आदेश को बदलने का कोई ठोस कारण नहीं बताया है। यह कदम वास्तव में अनुचित और असंगत है। ऐसे आदेश को स्वीकार नहीं किया जा सकता। मामले में राज्य सरकार का आदेश उचित है, ऐसा निष्कर्ष निकालते हुए हाईकोर्ट ने केएटी के आदेश को रद्द कर दिया। 

Latest Videos

300 रुपये की रिश्वत के लिए गई नौकरी: 

गणेश शेट्टी का एक काम करवाने के लिए उनसे 300 रुपये रिश्वत लेने का आरोप कांति पर था। इस बारे में गणेश शेट्टी ने लोकायुक्त को शिकायत दी थी। यह विभागीय जाँच में साबित हो गया था। इसी के चलते 24 जुलाई 2014 को सरकार ने उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए कांति ने केएटी में याचिका दायर की थी। केएटी ने कांति द्वारा 11 साल 5 महीने की सेवा और आरोपी के महिला होने का हवाला देते हुए सरकार के बर्खास्तगी के आदेश को अनिवार्य सेवानिवृत्ति में बदल दिया था। 

इस आदेश को चुनौती देते हुए सरकार हाईकोर्ट गई थी। सरकार ने तर्क दिया कि रिश्वत लेने का आरोप साबित होने के कारण बर्खास्तगी की गई थी। केएटी द्वारा बर्खास्तगी के आदेश को अनिवार्य सेवानिवृत्ति में बदलना गैरकानूनी है।

Share this article
click me!

Latest Videos

राजस्थान में बोरवेल में गिरी 3 साल की मासूम, रेस्क्यू ऑपरेशन जारी । Kotputli Borewell News । Chetna
LIVE 🔴: रविशंकर प्रसाद ने भाजपा मुख्यालय में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित किया | Baba Saheb |
ममता की अद्भुत मिसाल! बछड़े को बचाने के लिए कार के सामने खड़ी हुई गाय #Shorts
LIVE 🔴: कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित क्रिसमस समारोह में पीएम मोदी का भाषण
Hanuman Ashtami: कब है हनुमान अष्टमी? 9 छोटे-छोटे मंत्र जो दूर कर देंगे बड़ी परेशानी