Ukraine crisis : यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। इसमें वहां ज्यादातर लड़कियों के होने का हवाला देते हुए उन्हें जल्द से जल्द वापस लाने की मांग की गई है। वकील का कहना है कि जमा देने वाली ठंड में लड़कियां पिछले छह दिनों से मुश्किलों के बीच रहने को मजबूर हैं।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि वह युद्ध को रोकने के लिए कैसे निर्देश दे सकता है। यह टिप्पणी उन्होंने उस याचिका के संदर्भ में दी, जिसमें यूक्रेन में फंसे भारतीयों को निकालने की मांग कर गई है। इस मामले का उल्लेख चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) एनवी रमना के समक्ष वरिष्ठ वकील एएम डार ने किया। उन्होंने कहा कि यह नई याचिका यूक्रेन सीमा (रोमानिया) से भारतीयों को निकालने के संबंध में है। इसमें जयादातर लड़कियां शामिल हैं। सीजेअई रमना ने कहा- मैंने कहीं पढ़ा है कि यह कहा जा रहा है कि सीजेआई क्या हर रहे हैं? उन्होंने पूछा- क्या हम युद्ध रोकने के निर्देश दे सकते हैं।
कोर्ट ने कहा- अटॉर्नी जनरल की मदद लेंगे
वकील डार ने कहा कि जो छात्र यूक्रेन बॉर्डर पर हैं, उनमें से ज्यादातर लड़कियां हैं। वे वहां पिछले छह दिनों में जमाने वाली ठंड में हैं। डार की इस बात पर सीजेआई ने कहा कि बेंच इस मामले में अटॉर्नी जनरल की मदद लेगी। उन्होंने कहा कि हम छात्राओं से सहानुभूति रखते हैं। हम अटॉर्नी जनरल से हमारी मदद करने को कहेंगे। उन्होंने कहा कि आप इंतजार करें। हम इस मुद्दे को उठाएंगे।
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आज 19 फ्लाइट से वापस आ रहे 3,726 छात्र
रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध (Russia Ukraine War) बड़ी तबाही की ओर बढ़ चुका है। इस बीच भारत ने अपने नागरिकों को निकालने का अभियान काफी तेज कर दिया है। ऑपरेशन गंगा (Operation Ganga) में बुधवार को एयरफोर्स भी शामिल हो गई। इसकी तीन और फ्लाइट आज बढ़ाई गई हैं। केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के मुताबिक आज बुखारेस्ट से सबसे ज्यादा 8 फ्लाइट आएंगी। इसके अलावा कुल 19 फ्लाइट्स के जरिये 3,726 छात्रों को वापस भारत लाया जाएगा। अब तक 17 हजार से ज्यादा भारतीय यूक्रेन से निकल चुके हैं। रोमानिया, पोलैंड, स्लोवाकिया, हंगरी और मोल्डोवा से छात्रों को वापस लाया जा रहा है। यूक्रेन का एयर स्पेस बंद होने की वजह से सरकार ने छात्रों को यूक्रेन से इन देशों की सीमाओं तक पहुंचने के लिए कहा था। यूक्रेन रेलवे पश्चिम में ट्रेनें ऑपरेट कर रहा है, जिसकी मदद से छात्र इन देशों की सीमाओं तक पहुंच रहे हैं।
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