यूक्रेन की महिला मंत्री एमीन झापरोवा की भारत यात्रा, द्विपक्षीय रिश्तों और युद्धग्रस्त देश के लिए सहयोग की कर सकती हैं मांग

भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, यूक्रेन की महिला मंत्री एमीन झापरोवा सोमवार को अधिकारिक तौर पर यहां पहुंच जाएंगी।

Emine Dzhaparova India visit: रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद युद्धग्रस्त देश की विदेश उपमंत्री एमीन झापरोवा भारत आ रही हैं। यहां वह दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने को लेकर चर्चा के साथ ही युद्ध झेल रहे देश की मदद की भी अपील करेंगी। सोमवार से चार दिनी यात्रा झापरोवा की शुरू होगी।

भारत सरकार के विदेश मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार, यूक्रेन की महिला मंत्री एमीन झापरोवा सोमवार को अधिकारिक तौर पर यहां पहुंच जाएंगी। वह विदेश राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी और उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार विक्रम मिस्री से मुलाकात करेंगी। दोनों देश के मंत्री व अधिकारी द्विपक्षीय संबंधों पर बातचीत करेंगे। विभिन्न मुद्दों पर आपसी सहयोग का आदान प्रदान करेंगे।

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सरकार ने अधिकारिक बयान में बताया कि भारत यूक्रेन के साथ मधुर और मैत्रीपूर्ण संबंध और बहुमुखी सहयोग साझा करता है। राजनयिक संबंध स्थापित करने के पिछले 30 वर्षों में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय सहयोग ने व्यापार, शिक्षा, संस्कृति और रक्षा के क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की है। यह यात्रा एक महत्वपूर्ण होगी। यूक्रेनी विदेश उपमंत्री का यह दौरा यह आपसी समझ और हितों को आगे बढ़ाने का अवसर है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार- इस यात्रा के दौरान उपमंत्री, रूस के आक्रमण के दौरान क्षतिग्रस्त ऊर्जा बुनियादी ढांचे की मरम्मत के लिए मानवीय सहायता और उपकरणों की मांग कर सकती हैं। साथ वह भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कीव आने का न्यौता भी दे सकती हैं।

भारत शांति के लिए दोनों पक्षों पर बना रहा दबाव

दरअसल, भारत इस वर्ष G20 ब्लॉक की अध्यक्षता कर रहा है। भारत ने यूक्रेन पर आक्रमण के लिए अपने पुराने सहयोगी रूस को दोष देने से इनकार कर दिया है और रूसी तेल की अपनी खरीद को बढ़ावा देते हुए एक कूटनीतिक समाधान की मांग की है। युद्ध शुरू होने के बाद से प्रधान मंत्री मोदी ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ-साथ यूक्रेनी नेता वलोडिमिर ज़ेलेंस्की से कई बार बात की है और भारत ने सार्वजनिक रूप से कहा है कि कूटनीति और बातचीत ही संघर्ष को हल करने का एकमात्र तरीका है। पिछले साल 4 अक्टूबर को राष्ट्रपति ज़ेलेंस्की के साथ फोन पर बातचीत में पीएम मोदी ने कहा कि कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है और भारत किसी भी शांति प्रयासों में योगदान देने के लिए तैयार है।

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