दिल्ली दंगे के आरोपी उमर खालिद की जमानत पर कोर्ट 23 मार्च को सुनाएगा फैसला

उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे (Delhi riots) की साजिश में शामिल होने के आरोपी उमर खालिद (Umar Khalid) की जमानत का आदेश 23 मार्च तक के लिए टाल दिया गया है। उमर खालिद की जमानत पर फैसला पहले 21 मार्च को आना था। 

Asianet News Hindi | Published : Mar 21, 2022 8:14 AM IST / Updated: Mar 21 2022, 01:47 PM IST

नई दिल्ली। उत्तर पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे (Delhi riots) की साजिश में शामिल होने के आरोपी उमर खालिद (Umar Khalid) की जमानत का आदेश 23 मार्च तक के लिए टाल दिया गया है। दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट में इस मामले में सुनवाई चल रही है। तीन मार्च को कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। उमर खालिद की जमानत पर फैसला पहले 21 मार्च को आना था। अब इसे दो दिन के लिए आगे बढ़ा दिया गया है। 

तीन मार्च को जेल में बंद उमर खालिद की जमानत की अर्जी पर सुनवाई हुई थी। खालिद के वकील ने कहा था कि अपने साथ होने वाले दुर्व्यवहार के खिलाफ बोलने का मतलब यह नहीं हो जाता कि अल्पसंख्यक सांप्रदायिक हैं। खालिद ने दिल्ली दंगों से जुड़े एक गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के मामले में जमानत की मांग की थी।

Latest Videos

वॉट्सऐप ग्रुप पर चुप्पी को भी माना जा रहा खिलाफ
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत में वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिदीप पेस ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ने कुछ वॉट्सऐप ग्रुपों पर उनके मुवक्किल (उमर खालिद) की चुप्पी को अपराध के लिए जिम्मेदार ठहराया था, लेकिन इन वॉट्सऐप ग्रुप पर उमर खालिद की कोई सक्रियता नहीं रही है। यह पहला मौका है जब किसी की चुप्पी को उसके खिलाफ माना जा रहा है।  

मुझे मूक अपराधी बना दिया गया 
त्रिदीप पेस ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ने 2016 के जेएनयू देशद्रोह मामले में उनकी संलिप्तता का उल्लेख किया है और अपराध दिखाने के लिए दिल्ली प्रोटेस्ट सपोर्ट ग्रुप वॉट्सऐप ग्रुप पर खालिद की चुप्पी का उल्लेख किया है। 2016 के जेएनयू देशद्रोह मामले का जिक्र करते हुए वरिष्ठ वकील ने कहा था कि अगर मैं 2016 से अपराधी हूं और मैंने चुप्पी का यह नया विचार विकसित किया है, तो मैं एक मूक अपराधी हूं.. तो क्या आपने अन्य वॉट्सऐप ग्रुपों से तुलना की है? 

यह भी पढ़ें- बंगाल के स्कूली बच्चे पहनेंगे नीली और सफेद रंग की यूनिफॉर्म, सरकारी आदेश पर हंगामा शुरू, जानें क्या है वजह

मुद्दों को उठाने वाले को सांप्रदायिक नहीं कह सकते
पेस ने कहा था कि सीएए (CAA) और एनआरसी (NRC) को भेदभावपूर्ण कहना मुझे सांप्रदायिक नहीं बनाता है। उन्होंने खालिद की पीएचडी थीसिस का जिक्र किया, जो झारखंड के आदिवासियों पर बताई गई थी। उन्होंने कहा था कि व्यक्ति किसी मुद्दे को उठाता है...उसे सांप्रदायिक नहीं कह सकते, क्योंकि वह लोगों के एक वर्ग के बारे में लिखता है। जिन अल्पसंख्यकों के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है उनके लिए बोलना उन्हें सांप्रदायिक नहीं बनाता है। वरिष्ठ वकील ने कहा था कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) का बहुत सारे लोगों ने विरोध किया। रामचंद्र गुहा, टीएम कृष्णा और कई लोगों ने इस कानून के खिलाफ बात की है।

यह भी पढ़ें- क्यों जरूरी होती है एफआईआर, ऑफलाइन और ऑनलाइन कैसे दर्ज करा सकते हैं एफआईआर, जानिए क्या तरीका

Share this article
click me!

Latest Videos

Almora Bus Accident: मंजिल तक पहुंचने से पहले ही खत्म हुए सफर... जानें क्यों तनाव में था ड्राइवर
Tulsi Vivah 2024: कब है तुलसी विवाह, जानें पूजन का महत्व और शुभ मुहूर्त
LIVE: प्रियंका गांधी ने तिरुवंबदी के कोडेनचेरी में सुखनेर सभा को संबोधित किया
यूपी मदरसा कानून पर आ गया 'सुप्रीम' फैसला, लाखों छात्रों का जुड़ा था भविष्य । SC on UP Madarsa
Rahul Gandhi LIVE : तेलंगाना में जाति जनगणना पर राज्य स्तरीय परामर्श को सम्बोधन