केंद्रीय कैबिनेट ने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को दी मंजूरी, मानसून सत्र में संसद में किया जाएगा पेश

केंद्रीय कैबिनेट ने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को मंजूरी दे दी है। इसके मसौदा विधेयक पर व्यापक विचार-विमर्श हुआ है। सरकार इसे मानसून सत्र में संसद में पेश करेगी।

 

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल (Personal Data Protection Bill) को मंजूरी दे दी है। इसे आने वाले मानसून सत्र में संसद में पेश किया जाएगा। सरकार ने नवंबर 2022 में पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल का ड्राफ्ट प्रकाशित किया था। बिल का संशोधित संस्करण केवल व्यक्तिगत डेटा पर केंद्रित है। इससे गैर-व्यक्तिगत डेटा के इस्तेमाल को रेगुलेट करने की आवश्यकता खत्म हो जाएगी।

पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन कानून का पालन नहीं करने लग सकता है 500 करोड़ तक जुर्माना
बिल के नवंबर 2022 के वर्जन में कहा गया है कि डेटा का इस्तेमाल बच्चों की ट्रैकिंग, व्यवहार संबंधी निगरानी या बच्चों के लिए टारगेट किए गए प्रचार के लिए नहीं होगा। पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन कानून का पालन नहीं करने पर 500 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

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2018 में जस्टिस बीएन श्रीकृष्ण समिति ने पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन विधेयक का पहला मसौदा तैयार किया था। इसकी काफी आलोचना हुई थी। इसके चलते इसे वापस लिया गया था। केंद्र सरकार द्वारा 2022 में नया पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल तैयार किया गया था। इसमें सिर्फ पर्सनल डेटा पर ध्यान केंद्रित किया गया है। इससे गैर-व्यक्तिगत डेटा के इस्तेमाल को रेगुलेट करने की जरूरत नहीं रही है।

यूजर को बताना होगा किया जा सकता है आपका पर्सनल डेटा कलेक्ट
नए पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल में डेटा फिडुशियरी की आवश्यकता बताई गई है। यह यूजर के डेटा को प्रॉसेस करेगी। यह यूजर को साफ शब्दों में बताएगी कि आपके डेटा को कलेक्ट किया जा सकता है। यूजर को इस बात का हक होगा कि वह अपने पर्सनल डेटा को कलेक्ट करने की इजाजत दे या नहीं। वह एक बार इजाजत देने के बाद इसे वापस भी ले सकता है।

यूजर ने सोशल मीडिया अकाउंट बंद किया तो उस प्लेटफॉर्म को हटाना होगा उसका डेटा

उदाहरण के लिए जब कोई व्यक्ति अपना बचत बैंक खाता बंद करता है तो बैंक को खाते से संबंधित उसका डेटा हटाना पड़ता है। इसी तरह, यदि कोई यूजर किसी विशेष प्लेटफॉर्म से अपने सोशल मीडिया अकाउंट को हटा देता है तो उस प्लेटफॉर्म को यूजर का डेटा हटाना होगा। बिल में कहा गया है कि डेटा फिडुशियरी व्यक्तिगत डेटा केवल तब तक ही रख सकती है जब तक उस उद्देश्य के लिए जरूरी हो जिसके लिए इसे एकत्र किया गया था।

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