केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने 'दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021' को स्वीकृति दे दी है। इससे जुड़ा नीति दस्तावेज स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। कुछ समय से विभिन्न हितधारक दुर्लभ बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए एक समग्र नीति की मांग कर रहे हैं।
नई दिल्ली. केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने 'दुर्लभ रोगों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021' को स्वीकृति दे दी है। इससे जुड़ा नीति दस्तावेज स्वास्थ एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दिया गया है। कुछ समय से विभिन्न हितधारक दुर्लभ बीमारियों की रोकथाम और प्रबंधन के लिए एक समग्र नीति की मांग कर रहे हैं।
दुर्लभ बीमारी से जुड़ी बीमारियों और मृत्यु दर में कमी लाने के लिए दवाओं की उपलब्धता और पहुंच भी अहम है। हाल के वर्षों में प्रगति के बावजूद, दुर्लभ बीमारियों के लिए प्रभावी और सुरक्षित उपचार को बढ़ावा देने की जरूरत है। दुर्लभ बीमारियों के उपचार पर आने वाली लागत काफी ज्यादा है। कई उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय ने भी दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति के अभाव को लेकर चिंता जाहिर की है।
दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021 को अंतिम रूप दिया गया
इन सभी चुनौतियों के समाधान के लिए, एचएंडएफडब्ल्यू मंत्रालय ने इस क्षेत्र के विभिन्न हितधारकों और विशेषज्ञों के साथ व्यापक परामर्श के बाद एक बेहद व्यापक दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति 2021 को अंतिम रूप दिया है। 13 जनवरी 2020 को दुर्लभ बीमारियों के लिए राष्ट्रीय नीति को सार्वजनिक कर दिया गया था, जिस पर सभी हितधारकों, आम जनता, संगठन और राज्यों व संघ शासित क्षेत्रों से टिप्पणियां/ विचार मांगे गए थे। मंत्रालय द्वारा गठित एक विशेषज्ञ समिति इस पर मिलीं सभी टिप्पणियों का गंभीरता से निरीक्षण किया था।
अनुसंधान एवं विकास और दवाओं के स्थानीय उत्पादन पर ज्यादा जोर से दुर्लभ बीमारियों के लिए उपचार की लागत कम हो जाएगी। नीति में दुर्लभ बीमारियों की एक राष्ट्रीय स्तर की अस्पताल आधारित रजिस्ट्री तैयार करने की कल्पना भी की गई है, जिससे दुर्लभ बीमारियों की परिभाषा के लिए और देश के भीतर दुर्लभ बीमारियों से संबंधित अनुसंधान एवं विकास के लिए पर्याप्त डाटा उपलब्ध हो।
ऐसी दुर्लभ बीमारियों के उपचार के लिए राष्ट्रीय आरोग्य निधि की अम्ब्रेला योजना के तहत 20 लाख रुपये तक के वित्तीय समर्थन के लिए प्रावधान का प्रस्ताव है, जिनके लिए एकमुश्त उपचार (दुर्लभ रोग नीति में समूह 1 के अंतर्गत सूचीबद्ध बीमारी) की जरूरत होती है। इस वित्तीय सहायता के लिए लाभार्थियों को बीपीएल परिवारों तक सीमित नहीं रखा जाएगा, बल्कि इसका लाभ 40 प्रतिशत जनसंख्या तक बढ़ाया जाएगा जो प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना के तहत पात्र हैं।