यूपी ऑडिट करा बचा रहा 30 MT ऑक्सीजन रोजाना, राज्य में O2 आपूर्ति में तीन गुना वृद्धि

कोरोना वायरस की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए, सीएम योगी ने राज्य में ऑक्सीजन की समय पर और पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने के लिए तकनीक पर भरोसा किया। सरकार ने राज्य में ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए ‘गवर्नमेंट ऑक्सीजन मॉनिटरिंग सिस्टम यूपी’ लॉन्च किया। डिजिटल प्लेटफॉर्म ने अधिकारियों को ऑक्सीजन टैंकरों के वास्तविक समय के स्थान को ट्रैक करने की अनुमति दी, जो जीपीएस सिस्टम से जुड़े थे, ताकि यह समय पर जरूरतमंदों तक पहुंच सके।

Asianet News Hindi | Published : May 14, 2021 12:56 PM IST / Updated: May 14 2021, 06:33 PM IST

नई दिल्ली। कोविड मरीजों के लिए ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी। उत्तर प्रदेश में ऑक्सीजन की आपूर्ति में तीन गुना वृद्धि हुई है। यहां ऑक्सीजन सप्लाई 350 मीट्रिक टन से बढ़कर 1050 मीट्रिक टन हो गई है। 

राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव (सूचना) नवनीत सहगल के अनुसार, ऑक्सीजन की आपूर्ति समय से सुनिश्चित कराना सरकार के लिए आसान नहीं था। राज्य में ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए बहुत कम समय में कई बाधाओं को पार करना था। आपूर्ति में सबसे बड़ी चुनौती झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन था और फिर इसे जिलों में ले जाना था। इसमें ऑक्सीजन एक्सप्रेस और वायु सेना मददगार साबित हुई। इससे हमको 40 प्रतिशत समय की बचत भी हुई। 

योगी सरकार ने लिया तकनीक का सहारा

कोरोना वायरस की दूसरी लहर में ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए, सीएम योगी ने राज्य में ऑक्सीजन की समय पर और पर्याप्त आपूर्ति बनाए रखने के लिए तकनीक पर भरोसा किया। सरकार ने राज्य में ऑक्सीजन की सप्लाई के लिए ‘ यूपी गवर्नमेंट ऑक्सीजन मॉनिटरिंग सिस्टम’ लॉन्च किया। डिजिटल प्लेटफॉर्म ने अधिकारियों को ऑक्सीजन टैंकरों के वास्तविक समय के स्थान को ट्रैक करने की अनुमति दी, जो जीपीएस सिस्टम से जुड़े थे, ताकि यह समय पर जरूरतमंदों तक पहुंच सके।

एयरफोर्स और ऑक्सीजन एक्सप्रेस से मिली सबसे अधिक मदद

चूंकि केंद्र सरकार ने झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के लिए ऑक्सीजन आवंटित किया था, इसलिए कम से कम समय में ऑक्सीजन लाने के लिए सीएम योगी की पहल पर ऑक्सीजन एक्सप्रेस की मदद ली गई। साथ ही, आगरा, हिंडन और लखनऊ जैसे हवाई अड्डों का उपयोग एयरफोर्स की मदद से खाली सिलेंडरों को भरने के लिए किया गया। दूरी को ध्यान में रखते हुए और ऑक्सीजन की आपूर्ति में समय बचाने के लिए, सरकार ने झारखंड और पश्चिम बंगाल से राज्य के पूर्वांचल क्षेत्र में ऑक्सीजन पहुंचाई, जबकि हरियाणा और उत्तराखंड से लाई गई ऑक्सीजन की आपूर्ति पश्चिम यूपी में की गई। ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनों का उपयोग लखनऊ और बरेली से बोकारो सहित विभिन्न मार्गों पर ऑक्सीजन टैंकरों को ले जाने के लिए किया गया। 

ऑक्सीजन एक्सप्रेस ने लाए 133 टैंकर 

22 अप्रैल से 11 मई तक लखनऊ और बरेली से 18 ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनों में 57 टैंकरों को ले जाया गया था। प्रत्येक टैंकर आठ मीट्रिक टन था। आठ से 11 मई तक दुर्गापुर से वाराणसी और कानपुर के लिए चार ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनों में दस टैंकरों को पहुंचाया गया। प्रत्येक टैंकर की क्षमता 20 मीट्रिक टन थी। इसके अलावा छह ऑक्सीजन एक्सप्रेस ट्रेनें दिल्ली और जामनगर के बीच 3 मई से 12 बजे के बीच 18 टैंकर लाए। केंद्र सरकार द्वारा दैनिक 894 मीट्रिक टन के बावजूद, यूपी सरकार वर्तमान में लगभग 1050 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति कर रही है। ऑक्सीजन टैंकरों की संख्या 34 से बढ़ाकर 89 कर दी गई है। जिला स्तर पर, ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बनाने के लिए एक रणनीति बनाई गई है।

ऑक्सीजन लाने के लिए 5 प्रमुख हब, पहुंचाने के लिए ग्रीन काॅरिडोर

ऑक्सीजन लाने के लिए प्रदेश में पांच केंद्रों गाजियाबाद (मोदीनगर), आगरा, कानपुर, लखनऊ और वाराणसी का हब बनाया गया हैं। जबकि गोरखपुर व बरेली को भी दूसरा हब बनाया गया है। इन सभी केंद्रों पर एयरपोर्ट हैं। इनका इस्तेमाल औद्योगिक शहरों से यहां पर ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए किया गया है। जामनगर, जमशेदपुर, बोकारो, दुर्गापुर, हल्दिया और पश्चिम बंगाल के कुछ केंद्रों से ऑक्सीजन लाया जा रहा है और फिर उनको निर्धारित जगहों पर कम समय में पहुंचाया जा रहा है। इसके लिए ग्रीन काॅरिडोर भी बनाया गया है। इस रणनीति से करीब 40 प्रतिशत समय की बचत हो सकी है। 

ऑडिट से बचाया जा रहा 30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन

यूपी ऑक्सीजन की ऑडिट कराने वाला पहला राज्य है। प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा आलोक कुमार ने कहा है कि ऑडिट शुरू होने के बाद से मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन की औसत खपत में करीब 10 फीसदी की कमी आई है। रोजाना करीब 30 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की बचत हुई है। प्रमुख सचिव ने कहा कि सरकार द्वारा मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन के उपयोग के संबंध में पहले भी दिशा-निर्देश जारी किए जा चुके हैं। उनके अनुसार, 8 मई को 302 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उपयोग किया गया, 9 मई को 308 मीट्रिक टन, 10 मई को 259 मीट्रिक टन, 11 मई को 278 मीट्रिक टन, 12 मई को 255 मीट्रिक टन और 13 मई को 283 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उपयोग किया गया।

ऑक्सीजन ऑडिट को लागू करने वाला यूपी देश का पहला राज्य

IIT कानपुर ने ऑक्सीजन की बर्बादी को रोकने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया है। IIT कानपुर ने ऑक्सीजन की बर्बादी को रोकने के लिए सॉफ्टवेयर तैयार किया है। IIM लखनऊ, IIT कानपुर, IIT BHU वाराणसी, AKTU, लखनऊ, MMMTU गोरखपुर, HBTU कानपुर, ​ऑडिट में सहयोग कर रहे हैं।

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