भागवत का बयान-हिंदू-मुस्लिम का DNA एक...पर ओवैसी का पलटवार-हिंसा गोडसे की हिंदुत्व वाली सोच का हिस्सा

यूपी विधानसभा चुनाव से पहले 'हिंदु-मुस्लिम' की राजनीति तेज हो गई है। मोहन भागवत के बयान कि हिंदू-मुस्लिम का DNA एक है, इस पर ओवैसी ने पलवार करते हुए कहा कि देश में धार्मिक हिंसा हिंदुत्व की देन है।
 

नई दिल्ली. संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान कि सभी भारतीयों का DNA एक है। मुसलमानों को इस डर के चक्र में नहीं फंसना चाहिए। लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी हैं। इस बयान पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार करते हुए कहा है कि देश में यह नफरत हिंदुत्व की देन है।

मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है
ओवैसी ने ट़्वीट किया- RSS के भागवत ने कहा "लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व विरोधी"। इन अपराधियों को गाय और भैंस में फ़र्क़ नहीं पता होगा, लेकिन क़त्ल करने के लिए जुनैद, अखलाक़, पहलू, रकबर, अलीमुद्दीन के नाम ही काफी थे। ये नफ़रत हिंदुत्व की देन है, इन मुजरिमों को हिंदुत्ववादी सरकार की पुश्त पनाही हासिल है। 

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केंद्रीय मंत्री के हाथों अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी हो जाती है, अखलाक़ के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है, आसिफ़ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है, जहाँ भाजपा का प्रवक्ता पूछता है कि "क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते?"

केंद्रीय मंत्री के हाथों अलीमुद्दीन के कातिलों की गुलपोशी हो जाती है, अखलाक़ के हत्यारे की लाश पर तिरंगा लगाया जाता है, आसिफ़ को मारने वालों के समर्थन में महापंचायत बुलाई जाती है। जहां भाजपा का प्रवक्ता पूछता है कि "क्या हम मर्डर भी नहीं कर सकते?" कायरता, हिंसा और क़त्ल करना गोडसे की हिंदुत्व वाली सोंच का अटूट हिस्सा है। मुसलमानों की लिंचिंग भी इसी सोच का नतीजा है।

भागवत के बयान पर नेताओं के तर्क
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रमुख नाना पटोले ने कहा-कांग्रेस की भूमिका पहले से ही स्पष्ट थी कि हिन्दुस्तान के हर इंसान का डीएनए एक ही है, वो किसी भी धर्म का हो। आज मोहन भागवत जी को ये पता चला तो हम इसका स्वागत करते हैं।

भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा-देश और समाज को लेकर संघ के विचार हमेशा ऐसे रहे हैं, लेकिन संघ के विचारों पर विरोधियों के दुष्प्रचार हावी रहे हैं। 1998 तक दूरदर्शन और AIR जैसे प्राचार माध्यमों पर संघ के विचारों पर अधिकृत रूप से प्रतिबंध लगा हुआ था। इस वजह से संघ के बारे में दुष्प्रचार करने वाली ताकतें हावी रहती थीं। जब इस तरह के विचार जनता के बीच आएंगे तो स्वाभाविक है कि 'गुमराही गैंग' के पेट में दर्द होगा क्योंकि उसने खासतौर से मुस्लिम समाज में संघ को लेकर ऐसा माहौल परोसा था,अब वे एक्सपोज हो रहे हैं।

NCP नेता नवाब मलिक ने कहा-मोहन भागवत का बयान कि भारत में रहने वाले सभी लोगों का DNA एक है। अगर भागवत जी का हृदय बदल रहा है तो हम उसका स्वागत करते हैं। वर्ण व्यवस्था में विश्वास करने वाला संगठन अगर धर्म की हदों को तोड़ना चाहता है तो ये अच्छी बात है।

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने कहा-क्या मोहन भागवत जी यह विचार अपने शिष्यों, प्रचारकों, विहिप और बजरंग दल के कार्यकर्ताओं को देंगे?

मोहन भागवत के बयान पर विश्व हिंदू परिषद के नेता आलोक कुमार ने कहा कि हम सभी का जोड़ने वाला तत्व भारतीयता है। हम एक मां की संतान हैं। सभी व्यवस्थाएं अंबेडकर द्वारा बनाए संविधान से चलती हैं। इसलिए हिंदू और मुसलमान सभी का डीएनए एक होने से हममें कोई मौलिक मतभेद नहीं है।

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा- मोहन भागवत की बात किसी के भी गले के नीचे आसानी से नहीं उतरने वाली है। आरएसएस और बीजेपी एंड कंपनी के लोगों तथा इनकी सरकारों की कथनी व करनी में अंतर सभी देख रहे हैं।

भागवत  ने कहा था
संघ प्रमुख मोहन भागवत ने गाजियाबाद में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के प्रोग्राम में ने कहा था कि सभी भारतीयों का DNA एक है, भले ही वे किसी भी धर्म के क्यों न हों। संघ प्रमुख ने कहा- यह सिद्ध हो चुका है कि हम पिछले 40,000 वर्षों से एक ही पूर्वजों के वंशज हैं। भारत के लोगों का डीएनए एक जैसा है। हिंदू और मुसलमान दो समूह नहीं हैं।  उन्होंने कहा कि अगर कोई हिंदू कहता है कि यहां कोई मुसलमान नहीं रहना चाहिए, तो वह व्यक्ति हिंदू नहीं है। गाय एक पवित्र जानवर है लेकिन जो लोग दूसरों को मार रहे हैं वे हिंदुत्व के खिलाफ जा रहे हैं। कानून को बिना किसी पक्षपात के उनके खिलाफ अपना काम करना चाहिए।

धर्मांतरण के बीच बयान आया
भागवत का यह बयान ऐसे वक्त आया है जब यूपी से लगातार जबरन धर्मांतरण की खबरें आ रहीं हैं। योगी सरकार ने भी धर्मांतरण को लेकर सख्ती शुरू कर दी है। गाज़ियाबाद में "दि मीटिंग्स ऑफ माइंड्स" बुक लॉन्च पर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि वोट की राजनीति में हम नहीं पड़ते। राष्ट्र में क्या होना चाहिए, इस बारे में हमारे कुछ विचार हैं। इस किताब को डॉ. ख्वाजा इख्तियार अहमद ने लिखा है। बता दें कि डॉ. इफ्तिखार अयोध्या के राम मंदिर विवाद में बनाई गई अटल हिमायत कमेटी के अहम सदस्य रहे हैं। 

 

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