उत्तराखंड सरकार ने 5 गांवों को फिर से बसाने के दिए 2.38 करोड़, 380 गांव अब भी खतरे में, करोड़ों की है जरूरत

उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी को ग्लेशियर फटने से अलकनंदा और धौलीगंगा नदियों में बाढ़ आ गई। इस बाढ़ में सैकड़ों गांव पानी में बह गए साथ ही सैकड़ों लोग पानी में बह गए, जिनकी NDRF की टीम के द्वारा खोज की जा रही है, इनका साथ आईटीबीपी के जवान भी दे रहे हैं।

नेशनल डेस्क. उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी को ग्लेशियर फटने से अलकनंदा और धौलीगंगा नदियों में बाढ़ आ गई। इस बाढ़ में सैकड़ों गांव पानी में बह गए साथ ही सैकड़ों लोग पानी में बह गए, जिनकी NDRF की टीम के द्वारा खोज की जा रही है, इनका साथ आईटीबीपी के जवान भी दे रहे हैं। ऐसे में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने गावों को फिर से बसाने के लिए 2.38 करोड़ की राशि का ऐलान किया है, लेकिन कहा जा रहा है कि इस राशि में महज 5 गावों को फिर से बसाया जा सकता है, लेकिन 380 गांव अब भी खतरे में हैं। 

12 जिले हैं आपदा की गिरफ्त में 

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सरकार द्वारा घोषित की गई 238 करोड़ की राशि में सिर्फ 5 गांवों को ही बसाया जा सकता है, जिसमें से 380 गांव फिर भी खतरे में ही रहेंगे, जिसके 12 जिले आपदा की गिरफ्त में रहेंगे। हाल ही की कुछ रिपोर्ट्स के हवाले से खबरों में कहा जा रहा है कि 385 गांवों को फिर से बसाने में 10,000 करोड़ की राशि की जरूरत पड़ेगी। 

इसमें 129 गांव पिथोरगढ़ जिले में हैं, जिसमें 62 उत्तरकाशी, 61 चमोली, 42 बागेश्वर, 33 टेहरी, 26 पौरी, 14 रूद्रप्रयाग, 10 चंपावट, 9 अलमोड़ा, 6 नैनीताल, 2 देहरादून और 1 उधम सिंह नगर में है। 

इन पांच गावों को फिर से बसाने के लिए दिए गया अनुदान

गुरुवार को उत्तराखंड सरकार द्वारा आदेश दिए गए कि टेहरी, चमोली, उत्तरकाशी और बागेश्वर को फिर से बसाने की तैयारी की जाए। इसके लिए राज्य सरकार ने फंड की मंजूरी दे दी है। इस फंड से एक गौशाला का भी निर्माण किया जाएगा। इसके अलावा पूर्व सीएम हरिश रावत ने त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात की और उनसे उन्होंने अनुरोध किया कि उन गांवों को जल्द से जल्द फिर से बसाया जाए तो इसमें गंभीर से परेशान हैं। 

NTPC को हुआ नुकसान 

ग्लेशियर टूटने की वजह से NTPC लिमिटेड की 520 मेगावट की जलविद्युत परियोजना में लगभग 1500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। अधिकारी आरके सिंह ने कहा था कि परियोजना को लगभग 1,500 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। हालांकि, केंद्रीय मंत्री ने इस परियोजना के बंद होने की किसी भी संभावना से इंकार किया। इस परियोजना के पूरे होने की समय सीमा 2028 तय की गई थी, लेकिन अब यह कब होगा यह आकलन के बाद ही तय हो पाएगा।

तपोवन टनल में फंसे थे 37 लोग

तपोवन टनल में 37 लोगों के फंसे होने की आशंका जताई गई थी। सुरंग के अंदर कीचड़ भरा हुआ है। ऐसे में रेस्क्यू टीम का अंदर जाना मुश्किल होता जा रहा है। बता दें कि उत्तराखंड में ग्लेशियर टूटने से अब तक 26 लोगों की मौत हो चुकी है और 171 लोग लापता हैं।

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