सिल्कयारा टनल रेस्क्यू: 17 दिनों में कई फेल्योर और निराशा के बीच आखिर मिल ही गई सफलता, जानिए कैसे बाहर आए सभी 41 मजदूर

सिल्कयारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को निकालने के लिए 17 दिनों की जद्दोजहद आखिरकार सफल हुई। मंगलवार को सकुशल सभी मजदूरों को निकाल लिया गया। पढ़िए पूरी इनसाइड स्टोरी

Dheerendra Gopal | Published : Nov 28, 2023 3:43 PM IST / Updated: Nov 28 2023, 09:24 PM IST

Silkyara Tunnel Rescue successful: उत्तराखंड के सिल्कयारा सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकाला जा चुका है। 17 दिनों की अथक मेहनत और हिम्मत हौसला कायम रखते हुए रेस्क्यू टीम ने सभी 41 फंसे मजदूरों को बाहर निकाल ही लिया है। रेस्क्यू टीम ने विजय नामक श्रमिक को सबसे पहले बाहर लाया। इसके बाद धीरे-धीरे सभी मजदूरों को बाहर निकाला गया। टनल में ही टेंपरेरी मेडिकल कैंप में हेल्थ चेकअप के बाद स्टैंडबॉय मोड में रखे गए एंबुलेंस से मजदूरों को अस्पताल भेज दिया गया है। और इसी के साथ सिल्कयारा टनल मिशन भी सफलता के साथ खत्म हो चुका है।

परिजन भी मौजूद

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17 दिनों की अथाह अनिश्चितता में मजदूरों को परिजन भी थे। अधिकतर मजदूरों के परिजन मौके पर कई दिनों से जमे थे। सभी अपने-अपनों की एक झलक पाने को बेताब दिखे। बाहर निकल रहे मजदूरों को देखकर उनके परिजन और स्वयं बाहर निकले फंसे मजदूर बेहद भावुक दिखे। राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी लगातार इस ऑपरेशन पर नजर बनाए हुए थे। केंद्र सरकार की ओर से भी कई मंत्री लगातार आते जाते रहे। मंगलवार को भी केंद्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह मौजूद रहे।

कई एजेंसियां लगी थी रेस्क्यू के लिए

उत्तराखंड के सिल्कयारा सुरंग में बीते 17 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए कई एजेंसियां दिन-रात मेहनत कर रही थीं। सारी टेक्निकल और फॉरेन मशीनरी फेल होने के बाद बेहद पुरानी और बैन कर दी गई टेक्निक रैट-होल माइनिंग को अपनाते हुए मैनुअल ड्रिलिंग से ऑपरेशन शुरू किया गया और दो दिनों में ही सफल रिजल्ट सामने आ गया। दरअसल, हाई-टेक ऑगर मशीन्स लगभग 60 मीटर चट्टान के माध्यम से ड्रिल करने में विफल रही जिससे श्रमिकों के दफन होने का खतरा पैदा हो गया है। हालांकि, रैट होल माइनिंग टेक्निकल सफल हो चुकी है और मजदूरों को बाहर निकालने की प्रक्रिया जारी है। आधा से अधिक संख्या में मजदूरों को बाहर निकाल लिया गया है। एक श्रमिक को बाहर निकालने में तीन से सात मिनट लग रहा है।

रैट-होल माइनिंग के एक्सपर्ट कर रहे मैनुअल ड्रिलिंग

सारे रेस्क्यू फेल हो जाने के बाद बैन टेक्निक से मजदूरों को बाहर लाने का प्रयास किया गया। रैट-होल माइनिंग करके मजदूरों को बाहर निकाला गया। 24 एक्सपीरिएंस्ड रैट होल माइनिंग एक्सपर्ट्स इस काम में लगे हुए थे जो मैनुअल ड्रिलिंग कर सबको बाहर निकाले।

एक एनडीएमए कर्मी अंदर जाकर प्रोटोकॉल समझाया

अंदर फंसे हुए मजदूरों को बाहर निकालने के लिए एनडीएमए का एक कर्मी पहले अंदर गया। उसने रेस्क्यू प्रोटोकॉल को मजदूरों को समझाया कि कैसे पाइप से बाहर निकला जाए। इसके बाद उसके डायरेक्शन पर एक-एक मजदूर को स्ट्रेचर पर बांधा गया और उसे 60 मीटर के चट्टान और मलबे के बीच से मैनुअल तरीके से बाहर खींचा गया। बाहर निकाले जाने के बाद अस्थायी मेडिकल कैंप में मजदूरों का चेकअप करने के बाद तत्काल स्टैंडबॉय मोड में खड़े एंबुलेंस से ग्रीन कॉरिडोर से माध्यम से अस्पताल पहुंचाया जा रहा है।

30 किलोमीटर का ग्रीन कॉरिडोर

सिल्कयारा सुरंग के एंट्री से लेकर चिन्यासीसौंड़ कम्युनिटी हेल्थ सेंटर तक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया है। दोनों के बीच की दूरी 30 किलोमीटर की है। बाहर आते ही स्टैंडबॉय पर रखे गए एंबुलेंस में मजदूरों को चिन्यालीसौड़ सीएचसी पहुंचाया गया। इसके लिए 41 एंबुलेंस खड़े थे।

चिन्यालीसौड़ सीएचसी में 41 बेड

चिन्यालीसौड़ सीएचसी में 41 बेड वाला एक वार्ड तैयार किया गया था। प्रत्येक बेड पर मेडिकल के सारे इक्वीपमेंट्स और ऑक्सीजन से लैस रखा गया। इमरजेंसी कर्मचारियों को पहले से ही यहां तैनात कर दिया गया था।

ग्रीन कॉरिडोर के लिए सड़क

सुरंग की ओर जाने वाली सड़क जो पिछले दो हफ्तों से लगातार भारी वाहनों के आवागमन के कारण ऊबड़-खाबड़ थी, उसकी मरम्मत कर दी गई। सड़क पर मिट्टी की एक लेयर बिछाकर एंबुलेंस के आवागमन के लिए सही कर दिया गया। ग्रीन कॉरिडोर में कोई दूसरी वाहन बाधा न बने इसलिए पूरे रास्ते में सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया ताकि बिना देर किए और पूरी तेजी के साथ एंबुलेंस अस्पताल तक पहुंच सके।

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