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फंसे 41 मजदूरों को निकाले जाने के लिए पहले अत्याधुनिक मशीनें लगाई गई लेकिन तमाम बाधाओं को पार करते हुए जब अमेरिका की बरमा मशीन 10-15 मीटर की दूरी पर थी तो बुरी तरह से टूट गई।
अमेरिकी ऑगर मशीन के टूटने के बाद मजदूरों के रेस्क्यू की सारी उम्मीदें एक बार फिर धराशायी हो गईं। लेकिन प्लान बी से जगी उम्मीद।
प्लान बी के तहत मजदूरों को निकालने के लिए मैनुअल ड्रिलिंग का सहारा लिया गया। इसके लिए सेना को मदद के लिए बुलाया गया।
मैनुअल ड्रिलिंग करते हुए बैन हुई रैट-होल माइनिंग से मजदूरों को निकालने का निर्णय लिया गया।
रैट-होल माइनिंग अधिकतम चार फीट चौड़े गड्ढे खोदने की पद्धति है। एक मजदूर इसे खादते हुए कायला तक पहुंचता और बगल में ऐसा ही गड्ढा खोद बाहर आता।
एक आदमी ड्रिलिंग कर रहा है, दूसरा मलबा इकट्ठा करता है और तीसरा उसे बाहर निकालने के लिए ट्रॉली पर रखता है।
NGT ने अवैज्ञानिक होने के कारण 2014 में रैट-होल खनन पर प्रतिबंध लगा दिया। लेकिन यह प्रथा बड़े पैमाने पर जारी है। पूर्वोत्तर क्षेत्र में आजीविका के लिए काफी लोग ऐसा करते हैं।