भारत में 13 जनवरी से वैक्सीन लगाने की शुरुआत हो सकती है, स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया, कैसे करेंगे मॉनिटरिंग

भारत में 13 जनवरी से कोरोना वैक्सीन लगाने की शुरुआत हो सकती है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन मंजूरी मिलने के 10 दिन बाद रोलआउट हो सकती है। बता दें वैक्सीन को डीसीजीआई ने 3 जनवरी मंजूरी दी थी। ऐसे में 13 या 14 जनवरी से देश में कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू हो सकता है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 5, 2021 11:35 AM IST / Updated: Jan 05 2021, 05:23 PM IST

नई दिल्ली. भारत में 13 जनवरी से कोरोना वैक्सीन लगाने की शुरुआत हो सकती है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है, क्योंकि स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन मंजूरी मिलने के 10 दिन बाद रोलआउट हो सकती है। बता दें वैक्सीन को डीसीजीआई ने 3 जनवरी मंजूरी दी थी। ऐसे में 13 या 14 जनवरी से देश में कोरोना वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू हो सकता है। 

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि वैक्सीन लेने के बाद अगर कोई बुरा प्रभाव होता है तो उसकी रियल टाइम रिपोर्टिंग के लिए कोविड वैक्सीन डिलीवरी मैनेजमेंट सिस्टम में प्रावधान किया गया है।

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कौन सी वैक्सीन लगाई जाएगी?

भारत में कोविशील्ड और कोवैक्सीन को इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है। यही दो वैक्सीन दी जाएगी। शुरू में ये वैक्सीन हेल्थ वर्कर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स को दी जाएगी। ऐसे में बताते हैं कि आखिर ये दोनों वैक्सीन क्या हैं?

1- कोविशील्ड : कोविशील्ड कोरोना वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका ने बनाया है। ब्रिटेन, अर्जेंटीना और स्लावाडोर के बाद भारत चौथा देश है, जिसने कोविशील्ड के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। कोविशील्ड को भारत की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया है। सीरम का दावा है कि कंपनी पहले ही 5 करोड़ डोज बना चुकी है। वहीं, कंपनी के 5-6 करोड़ वैक्सीन हर महीने बनाने की क्षमता है। 

कितनी असदार है : डीजीसीआई का कहना है कि कोविशील्ड  70.42% असरदार है। हालांकि, यह फाइजर और मॉडर्ना की तुलना में कम असरदार है। लेकिन तय मानक यानी 50% से काफी अधिक है। कोविशील्ड ने ट्रायल में विदेशों में 18 साल या उससे अधिक के 23745 वॉलंटियर का डाटा सब्मिट किया है, इसमें वैक्सीन सुरक्षा, प्रतिरक्षा और प्रभावकारिता का डेटा प्रस्तुत किया गया है। इसके अलावा 2-3 चरण में देश में 1000 वॉलंटियर पर किए गए ट्रायल का डाटा भी डीजीसीआई के साथ शेयर किया है। नवंबर में प्रकाशित आंकड़ों से पता चला है कि वैक्सीन की आधी खुराक के बाद पूर्ण खुराक में 90 प्रतिशत सफलता दर थी जबकि दो पूर्ण शॉट 62 प्रतिशत प्रभावी थे।
 
कितनी डोज की जरूरत : एसईसी के मुताबिक, वैक्सीन की 4-6 हफ्तों में दो फुल डोज कोरोना से निपटने के लिए प्रभावी हैं। इससे एक साल तक इम्यून रह सकता है। वैक्सीन को  2°C से 8°C तक स्टोर किया जा सकता है। 

2- कोवैक्सिन : कोवैक्सिन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने तैयार किया है। कोवैक्सिन को कोरोनोवायरस के कणों का इस्तेमाल करके बनाया गया है, जो उन्हें संक्रमित या दोहराने में असमर्थ बनाते हैं। इन कणों की विशेष खुराक इंजेक्ट करने से शरीर में मृत वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने में मदद करके इम्यून का निर्माण होता है।

कितनी प्रभावी : डीजीसीआई के मुताबिक, कोवैक्सीन सुरक्षित और एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया प्रदान करता है। वैक्सीन का भारत में तीसरा ट्रायल अभी पूरा करना बाकी है और ऐसे में प्रभावकारिता दर सार्वजनिक नहीं की गई है। ट्रायल के पहले और दूसरे चरण में लगभग 800 लोगों पर परीक्षण किया गया था और नतीजों से पता चलता है कि वैक्सीन सुरक्षित है और इम्यून प्रदान करता है। वहीं, तीसरे चरण में अब तक 25,800 वॉलंटियर पर ट्रायल किया जा चुका है। वहीं, करीब 22500 लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है। 

कितनी डोज की जरूरत :  इस वैक्सीन की भी 2 डोज दी जाएंगी। इसे 2-8° डिग्री सेल्सियस में स्टोर किया जा सकता है। भारत बायोटेक ने बताया था कि वैक्सीन की दो डोज 14 दिन के अंतराल में दी जाएंगी।

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