28 दिसंबर 1949 से देश की आंतरिक सुरक्षा में काम कर रही सीआरपीएफ (CRPF) पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था का काम कर रही है। वर्तमान में इसके पास 246 बटालियन हैं। इसमें 6 महिला बटालियन भी शामिल हैं। इसके अलावा 5 बटालियन सिर्फ वीआईपी सिक्योरिटी (VVIP Security) में लगी हैं।
नई दिल्ली। देश के सबसे बड़े अर्धसैनिक बल सीआरपीएफ (CRPF) ने एक नई बटालियन के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा है। देश के वीवीआईपी (VVIP Security) लोगों की सुरक्षा में तैनात केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) ने अपने प्रस्ताव के जरिये सरकार से मांग की है कि VIP लोगों की सुरक्षा का काम बढ़ गया है। इसलिए करीब 1,000 सुरक्षाकर्मियों की नई बटालियन को मंजूरी दी जाए। 28 दिसंबर 1949 से देश की आंतरिक सुरक्षा में काम कर रही सीआरपीएफ पूरे देश में सुरक्षा व्यवस्था में लगी है। वर्तमान में इसके पास 246 बटालियन हैं। इसमें 6 महिला बटालियन भी शामिल हैं। इसके अलावा 5 बटालियन सिर्फ वीआईपी सिक्योरिटी में लगी हैं।
वीआईपी की सुरक्षा में लगीं 5 बटालियन
मौजूदा समय में VIP सुरक्षा के कार्य के लिए 5 बटालियन काम कर रही हैं। यूनिट्स वीआईपी के साथ उनकी घरेलू यात्रा के दौरान साथ रहती हैं। हर सीआरपीएफ बटालियन में 1,000 से अधिक कर्मी होते हैं और इसकी वीआईपी सुरक्षा यूनिट्स बैलिस्टिक सुरक्षा बख्तरबंद वाहन और एमपी-5 जैसी अत्याधुनिक बंदूकों से लैस होती हैं। सीआरपीएफ के कमांडो वीआईपी के हर मूवमेंट में उनके साथ होते हैं।
एसपीजी का दायरा घटा तो सीआरपीएफ पर बोझ बढ़ा
दरअसल, पहले गांधी परिवार को एसपीजी सुरक्षा मिली हुई थी, लेकिन 2019 में केंद्र सरकार ने SPG सुरक्षा सिर्फ प्रधानमंत्री तक सीमित कर दी है। इसके बाद से सीआरपीएफ पर वीआईपी सिक्योरिटी का बोझ बढ़ा है। वर्तमान में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह, उनकी पत्नी गुरशरण कौर समेत 75 वीआईपी लोगों को CRPF ही सुरक्षा मुहैया कराता है। जेड प्लस सिक्योरिटी प्राप्त वीआईपी के पास एक वक्त में कम से कम 30 CRPF जवान होते हैं। इसके अलावा कंगना रनौत जैसे नामचीन लोगों के पास भी जेड श्रेणी की सुरक्षा है। इन्हें भी सीआरपीएफ सिक्योरिटी मुहैया कराती है।
आतंकवाद से लेकर नक्सल मोर्चे तक लड़ रही सीआरपीएफ
केंद्रीय रिजर्व पुलिस की कंपनियां बल पूरे भारत में है। कहीं भी जरूरत पड़ने पर इस फोर्स को बुलाया जाता है। पंजाब में आतंकवाद रोकने में इस बल ने विशेष काम किया। जम्मू-कश्मीर में भी सीआरपीएफ की बड़ी संख्या में तैनाती है। इसके अलावा दंगों या उग्रवाद जैसी स्थिति में भी यह फोर्स स्टेट पुलिस के साथ काम करती है। छत्तीसगढ़, ओडिशा, बिहार, झारखंड और महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों के नक्सली इलाकों में भी सीआरपीएफ के जवान नक्सलियों से मोर्चा ले रहे हैं।
मोदी सरकार ने एसपीजी का दायरा प्रधानमंत्री तक किया
8 अप्रैल, 1985 को स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (SPG) तैयार किया गया था। अक्टूबर 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या के बाद इसके गठन का फैसला किया गया था। शुरुआत में इसे सिर्फ प्रधानमंत्री और उनके परिवार के लोगों को मुहैया कराया जाता था, लेकिन राजीव गांधी की हत्या के बाद 1991 में एसपीजी एक्ट में बदलाव किया गया और उसमें पूर्व पीएम के परिवारों को भी SPG सुरक्षा मुहैया कराने का क्लॉज नियम जोड़ा गया। 2019 में मोदी सरकार ने यह नियम संशोधित कर फिर से इसे सिर्फ प्रधानमंत्री को एसपीजी कवर देने का नियम बना दिया।