तारीख पर तारीख...: बुजुर्ग दंपति की तस्वीर ने उड़ा दी न्याय व्यवस्था की धज्जियां

सोशल मीडिया पर एक बुजुर्ग दंपति की तस्वीर वायरल हो रही है, जिसमें वे अपनी केस फाइलों से भरी ट्रॉली खींचते हुए दिखाई दे रहे हैं। यह तस्वीर न्यायिक प्रणाली की धीमी गति और आम आदमी के संघर्ष को उजागर करती है।

rohan salodkar | Published : Oct 4, 2024 1:05 PM IST

भारत की न्यायिक प्रणाली की धीमी गति पर पहले भी कई बार चर्चा हो चुकी है। 'justice delayed is justice denied' की कहावत की तरह न्यायिक प्रणाली में देरी के कारण कई बार मिला फैसला समय की देरी के कारण न्याय नहीं लगता, वित्त, भूमि, विवाद आदि मामलों में यह कई लोगों के अनुभव में भी आया होगा। ऐसे में ज्यादातर लोग बहुत बड़ा अन्याय होने पर भी कोर्ट कचहरी में लड़कर पैसा और समय दोनों बर्बाद करने से बेहतर समझते हैं कि कोर्ट के बाहर ही समझौता कर लिया जाए। ऐसे में एक बुजुर्ग दंपति की यह तस्वीर न्यायिक प्रणाली की धीमी कार्यप्रणाली को आइना दिखाने वाली है। इस तस्वीर ने अब सोशल मीडिया पर एक बार फिर भारतीय न्याय व्यवस्था पर चर्चा छेड़ दी है। 

महेश्वरी पेरी (@maheshperi) नाम के व्यक्ति ने सोशल मीडिया पर इस बारे में एक लंबा लेख लिखा है, जो अब खूब वायरल हो रहा है। कई लोगों ने अपनी राय और अनुभव साझा किए हैं। वायरल हो रहे पोस्ट में एक बुजुर्ग दंपति अपने लंबे कानूनी संघर्ष की भारी केस फाइलों को ले जाने में असमर्थ दिख रहे हैं और उन्हें लकड़ी की ट्रॉली पर रखकर खींचते हुए दिखाई दे रहे हैं।

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इस तस्वीर को पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा है। उनके लेख का सारांश इस प्रकार है। कुछ साल पहले मुझे एक कोर्ट की सुनवाई में जबरन शामिल होना पड़ा था। इस दौरान मैंने इस बुजुर्ग दंपति को हाईकोर्ट में घूमते देखा। वे अपने वर्षों के कानूनी संघर्ष की फाइलें और कागजात लकड़ी की ट्रॉली में रखकर खींच रहे थे। उन फाइलों का भार उनकी याचिका, न्याय की भीख और न्याय के लिए उनके द्वारा बिताए गए वर्षों का प्रतिनिधित्व करता है।  वे साल-दर-साल एक और लड़ाई, एक और तारीख, एक और मोहलत के लिए संघर्ष करते आ रहे हैं, इसलिए वे एक-दूसरे का हाथ थामे हुए हैं। यह हमारी न्याय व्यवस्था की कार्यप्रणाली का एक जीता जागता उदाहरण है।

 

सफल करियर के साथ-साथ सामाजिक बदलाव लाना चाहते हैं, तो ऐसे छात्रों के लिए लॉ कोर्स एक बेहतरीन विकल्प है। कानून को चुनकर आप ऐसे बुजुर्ग दंपति की आवाज भी बन सकते हैं। जहां अन्याय का शासन हो, वहां न्याय के लिए लड़ सकते हैं। एक वकील के तौर पर, आप केवल कानूनों को नहीं बदलते हैं, आप कई लोगों की जिंदगी बदलते हैं। आप समाज के हाशिये पर खड़े लोगों के बीच खड़े होते हैं और समाज के कमजोर लोगों की रक्षा करते हैं और समाज की यथास्थिति को चुनौती देते हैं। कानून केवल एक पेशा नहीं है, यह एक न्यायपूर्ण दुनिया बनाने का मिशन है। यहां हर व्यक्ति को उसकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना न्याय का अवसर मिल सके। साथ ही आपके काम का असर पूरे परिवार, समाज पर पड़ता है। और समानता के लिए मानवता की लड़ाई पर एक अमिट छाप छोड़ने की शक्ति कानून आपको देता है। 

इस ट्वीट ने अब सोशल मीडिया पर काफी बहस छेड़ दी है। एक यूजर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि न्याय में देरी होने से यह बहुत महंगा हो जाता है। वहीं कुछ लोगों ने कानून व्यवस्था में भ्रष्टाचार पर भी आवाज उठाई है, आज जज से लेकर वकील तक भ्रष्ट हो गए हैं। एक अन्य यूजर ने कमेंट करते हुए कहा कि शायद इस बुजुर्ग दंपति के पास पैसे नहीं हैं, इसलिए उन्हें न्याय के लिए इतना भटकना पड़ रहा है।

 

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