5 साल में मनोज ने कमाए 100 करोड़! 8 लाख मिलने पर 20 मिनट तैयार करता था वीजा

गिरोह हर महीने लगभग तीस नकली वीज़ा बनाकर देता था। मनोज 20 मिनट के अंदर वीज़ा स्टिकर तैयार कर लेता था।

नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने फर्जी पासपोर्ट और वीजा बेचने वाले एक रैकेट का भंडाफोड़ किया है। यह केंद्र पश्चिमी दिल्ली के तिलक नगर में चल रहा था। मामले में छह लोगों को गिरफ्तार किया गया है और उनके पास से फर्जी वीजा, पासपोर्ट बरामद किए गए हैं। गिरोह अब तक 1,800-2,000 फर्जी वीजा बेच चुका है। वीजा के लिए ये लोग 8 लाख से 10 लाख रुपये तक वसूलते थे। पुलिस का अनुमान है कि पांच साल से चल रहे इस धोखाधड़ी के जरिए गिरोह ने 100 करोड़ रुपये कमाए हैं।

डीसीपी (एयरपोर्ट) उषा रंगनानी ने बताया कि 51 वर्षीय मनोज मोमगा अपने घर से ही इस केंद्र को चला रहा था। गिरोह हर महीने लगभग तीस नकली वीज़ा बनाकर देता था। मनोज 20 मिनट के अंदर वीज़ा स्टिकर तैयार कर लेता था। उन्होंने कहा कि वे संपर्क के लिए टेलीग्राम, सिग्नल, व्हाट्सएप का इस्तेमाल करते थे और कई राज्यों में उनके लोकल एजेंटों का एक नेटवर्क था।

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गिरफ्तार किए गए अन्य लोगों की पहचान शिव गौतम, नवीन राणा, बलबीर सिंह, जसविंदर सिंह और आसिफ अली के रूप में हुई है। रैकेट का पता तब चला जब 2 सितंबर को आईजीआई हवाई अड्डे पर संदीप नामक एक यात्री को फर्जी स्वीडिश वीजा के साथ पकड़ा गया था। संदीप ने पुलिस को बताया कि उसने अली, राणा और गौतम को वीजा के लिए 10 लाख रुपये दिए थे। पुलिस को मनोज के घर से लैपटॉप, प्रिंटर, स्कैनर, यूवी मशीन, एम्बॉसिंग उपकरण सहित कई उपकरण मिले हैं।

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