राज्यसभा चुनाव-कई सीटों पर दांव-पेंच आजमाने की नौबत, 15 राज्य-57 सीटें, जानिए पूरा राजनीति गणित

राज्यसभा(Rajya Sabha Election) की 57 सीटों के लिए 10 जून को वोटिंग होगी। वोटिंग सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक होगी। वोटों की गिनती शाम 5 बजे से शुरू होगी। बता दें कि राज्यसभा में कुल 250 सदस्य होते हैं। इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

Amitabh Budholiya | Published : May 28, 2022 8:01 AM IST

नई दिल्ली. देश में 2024 में आम चुनाव होने हैं। इससे पहले राज्यसभा की 57 सीटों के लिए 'राजनीति' चरम पर है। राज्यसभा(Rajya Sabha Election) की 57 सीटों के लिए 10 जून को वोटिंग होगी। बता दें कि राज्यसभा में कुल 250 सदस्य होते हैं। इनमें से 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं। वोटिंग सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक होगी। वोटों की गिनती शाम 5 बजे से शुरू होगी। राज्यसभा के लिए 31 मई तक नामांकन पत्र दाखिल जमा कराए जा सकेंगे। 1 जून को नामांकन पत्रों की जांच होगी। 3 जून तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकेंगे। राज्यसभा में हर 2 साल में एक तिहाई सदस्यों का कार्यकाल पूरा होता है। इस बार 21 जून से 1 अगस्त तक 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सदस्य अपना कार्यकाल पूरा करने वाले हैं।

इसलिए महत्वपूर्ण है राज्यसभा में ताकत जुटाना
राज्यसभा 12 मनोनीत सदस्यों को छोड़कर बाकी 138 सदस्यों का चुनाव राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जनप्रतिनिधि करते हैं। राज्यसभा चुनाव में राज्यों की विधान परिषद (MLC) के मेंबर वोटिंग नहीं करते। किस राज्य में कितनी राज्यसभा की सीटें होंगी, यह उसकी जनसंख्या के हिसाब से तय होता है। यानी जिस राज्य की जितनी अधिक जनसंख्या, वहां उतनी अधिक राज्यसभा सीटें। उत्तर प्रदेश इस मामले में पहले पायदान पर है। यहां सबसे अधिक 31 राज्यसभा सीटें हैं। राज्यसभा संसद की उच्च सदन होती है। इसके प्रतिनिधियों का चुनाव जनता नहीं करती। संसद में कोई भी बिल पास होने पर राज्यसभा में मंजूरी लिए भेजा जाता है। यहां कई बार बिल अटक जाते हैं। यहां जिसके पास जितनी अधिक सीटें होंगी, वो ताकतवर होगा। चाहे वो सत्तापक्ष हो या विपक्ष।

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क्रॉस वोटिंग होती है एक बड़ा डर
इस समय राज्यसभा में बीजेपी के 95 मेंबर हैं। कांग्रेस के 29 सदस्य हैं। उत्तर प्रदेश के 11 राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल 4 जुलाई को खत्म हो रहा है। पंजाब में आम आदमी पार्टी की सरकार बनने के बाद यहां की दोनों सीटों पर उसका कब्जा हो सकता है। एक विधायक एक समय में एक ही राज्यसभा उम्मीदवार के लिए वोटिंग कर सकता है। हां, अगर जिस उम्मीदवार को उसने वोट दिया है और वो पहले ही जीत चुका है, तब वो अपना वोट किसी दूसरे उम्मीदवार को ट्रांसफर कर सकता है। लेकिन उस उम्मीदवार के जीतने की उम्मीद न हो। विधायक प्रॉयरिटी के आधार पर राज्यसभा उम्मीदवारों के नाम के आगे 1 से 4 नंबर तक लिख सकते हैं। यानी उसी क्रम में उनका वोट माना जाएगा। जीता का गणित कुछ यूं होता है। जैसे-उत्तर प्रदेश में कुल विधानसभा सीटें 403 हैं। यहां अभी 11 राज्यसभा सीटों पर चुनाव हो रहा है। ऐसे में गणित का यह फॉर्मूला लागू होगा- 403/ [11+1] +1 = 34।  मतलब कि प्रत्याशी को जीत के लिए 34 वरीयता वाले वोटों की जरूरत होगी। 

मौजूदा स्थिति देखें ,तो कांग्रेस को राजस्थान से तीन, छत्तीसगढ़ से दो, महाराष्ट्र, कर्नाटक, हरियाणा और मध्य प्रदेश से एक-एक सीट मिलने की उम्मीद है। तमिलनाडु में सत्तारूढ़ द्रमुक और झारखंड में झामुमो एक-एक सीट देती है, तो कांग्रेस को दो और सीट मिलने की उम्मीद है। यानी कांग्रेस की सदन में संख्या 29 से बढ़कर 33 हो सकती है। अगर उत्तर प्रदेश में भाजपा की स्थिति देखें, तो वो 11 में से 8 सीटें जीत सकती है। बिहार से 2 सीटें, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र से भी दो-दो सीटें भाजपा को मिल सकती हैं। जबकि राजस्थान व झारखंड से एक-एक सीट मिलने की उम्मीद है।

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