वक्फ़ संशोधन विधेयक 2024 के लिए JPC का गठन, देखिए कौन-कौन बनाया गया सदस्य

Published : Aug 09, 2024, 06:26 PM ISTUpdated : Aug 09, 2024, 09:44 PM IST
Waqf Act 2024: Kiren Rijiju Announces Formation of Joint Parliamentary Committee For Amendment Bill

सार

वक्फ़ संशोधन विधेयक 2024 को ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी (जेपीसी) के पास भेज दिया गया है। 31 सदस्यीय इस कमेटी में 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा सदस्य शामिल हैं। यह कमेटी अगले संसद सत्र में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी।

Waqf Board amendment bill 2024: वक्फ़ संशोधन विधेयक 2024 के लिए जेपीसी का गठन कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने मानसून सत्र में इस विधेयक को पेश कर पास कराने की कोशिश की थी लेकिन वह असफल रही। अब उसे ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी के पास परीक्षण के लिए भेज दिया गया है। शुक्रवार को जेपीसी की 31 सदस्यीय कमेटी का ऐलान किया गया। कमेटी में 21 लोकसभा सदस्य और 10 राज्यसभा सदस्य शामिल किए गए हैं। कमेटी अगले संसद सत्र के दौरान अपनी रिपोर्ट सदन में पेश कर सकती है।

लोकसभा में 21 सदस्यों को जेपीसी में शामिल करने के लिए प्रस्ताव

संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को वक्फ़ संशोधन विधेयक 2024 के परीक्षण के लिए जेपीसी में शामिल होने वाले सदस्यों के चयन का प्रस्ताव लाया। लोकसभा ने 21 सदस्यों के नामों पर मुहर लगाई।

लोकसभा के यह 21 सदस्यों होंगे जेपीसी का हिस्सा

जेपीसी में लोकसभा के 21 सांसदों को शामिल किया गया है। इसमें जगदंबिका पाल, निशिकांत दुबे, तेजस्वी सूर्या, अपराजिता सारंगी, संजय जायसवाल, दिलीप सैकिया, अभिजीत गंगोपाध्याय, डीके अरुणा, गौरव गोगोई, इमरान मसूद, मोहम्मद जावेद, मौलाना मोहिबुल्लाह नदवी, कल्याण बनर्जी, ए.राजा, लावू श्रीकृष्णा देवरायालू, दिलेश्वर कमायत, अरविंद सावंत, सुरेश गोपीनाथ, नरेश गनपत म्हाक्षे, अरुण भारती और असदुद्दीन ओवैसी शामिल हैं।

राज्यसभा के 10 सदस्य भी जेपीसी में रहेंगे

राज्यसभा के 10 सदस्यों को भी जेपीसी में शामिल किया गया है। राज्यसभा सांसदों में बृजलाल, मेधा विश्राम कुलकर्णी, गुलाम अली, राधा मोहन दास अग्रवाल, सैयद नासीर हुसैन, मोहम्मद नदीम-उल-हक, वी विजयसाई रेड्डी, मोहम्मद अब्दुल्ला, संजय सिंह और धर्मस्थला वीरेंद्र हेगड़े शामिल हैं।

क्या है वक्फ़ बोर्ड विवाद?

दान या किसी अन्य तरीके से मिली जमीन को वक्फ़ की संपत्ति कही जाती है। इन संपत्तियों की देखरेख के लिए वक्फ़ बोर्ड का गठन किया गया था। साल 1954 में संसद ने वक्फ कानून बनाया। इस बोर्ड को बंटवारे में पाकिस्तान चले गए लोगों की जमीनों को भी दे दिया गया था। भारत में सेना और रेलवे के बाद अगर किसी संस्था के पास जमीनें हैं तो वह वक्फ़ बोर्ड के पास ही है। इन जमीनों से सालाना 200 करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी बोर्ड को होती है। दरअसल, मोदी सरकार वक्फ बोर्ड कानून में संशोधन कर रही है। इसके लिए मानसून सत्र में संशोधन विधेयक पेश किया गया। इसका विपक्ष ने विरोध किया जिसके बाद उसे जेपीसी गठित कर परीक्षण के लिए भेज दिया गया है। जानकार दावा करते हैं कि केंद्र सरकार वक्फ़ बोर्ड में गैर मुस्लिम सदस्यों की एंट्री करने के साथ महिलाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने, सरकार का नियंत्रण बढ़ाने, जिला मजिस्ट्रेट लेवल पर कई अधिकारों को संशोधित करने जा रही है। इससे बोर्ड के अधिकार सीमित हो जाएंगे।

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