
केरल सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, वायनाड भूस्खलन में 298 लोगों की मौत हुई। इस हादसे में लापता हुए 32 लोगों का अभी तक पता नहीं चला। दो महीने पहले, सरकार ने इन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके परिजनों को मृत्यु प्रमाण पत्र दे दिए गए। सैकड़ों लोग, जो बच गए, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया, अभी भी सदमे में जी रहे हैं।
30 जुलाई 2024 को वनरानी एस्टेट से सटे वन क्षेत्र में भूस्खलन हुआ था। पहाड़ का पानी तेजी से आया और यिरिशमट्टम में पेड़ों और विशाल चट्टानों को बहा ले गया। यिरिशमट्टम में ऐसा लगा जैसे कोई विशाल बांध टूटा हो। चट्टानें और पेड़ जोरदार आवाज के साथ टूट गए। भारी बारिश के बावजूद, विशाल चट्टानें आपस में टकराईं और चिंगारियां बिखरीं। यिरिशमट्टम और मुंडकाई में चीख-पुकार मच गई।
अंधेरे में क्या हुआ, यह कोई समझ ही नहीं पा रहा था। त्रासदी अभी खत्म नहीं हुई थी। भूस्खलन का मलबा मुंडकाई के उस छोटे से झरने पर गिरा, जहां सीतम्मा रहती हैं। शाम 4:10 बजे एक और भूस्खलन हुआ। पहले भूस्खलन से अलग-थलग पड़े घर भी तबाह हो गए, जिससे यह एक बड़ी आपदा बन गई। बाहरी दुनिया को इस आपदा की भयावहता का अंदाजा नहीं था। घने अंधेरे में घटनास्थल पर पहुंचे सभी लोग बेबस थे। यहां तक कि जिन लोगों ने फोन पर मदद की गुहार लगाई थी, उनसे भी बाद में संपर्क नहीं हो सका।
सुबह करीब 5.45 बजे रोशनी हुई तो नजारा देखकर सब दंग रह गए। लोग कीचड़ में धंसे हुए थे। अपनी जान बचाने के लिए चीख रहे थे। लाशें कीचड़ में लिपटी पड़ी थीं। अनुमान है कि 48 घंटों में इलाके में 572 मिमी बारिश हुई, लेकिन सिस्टम सटीक चेतावनी देने में नाकाम रहे। दो गांवों में दर्जनों लोगों की जान चली गई।
मुंडकाई और चूरलमाला भूस्खलन से बचे ज्यादातर आदिवासी लोग इस आपदा के बाद मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं। मेप्पाडी स्थित डॉ. मूपेन मेडिकल कॉलेज की मेडिकल टीम (जिसने सबसे ज्यादा लोगों का इलाज किया) ने इस बात की पुष्टि की है। उनका कहना है कि न सिर्फ पीड़ित, बल्कि बचावकर्मी भी कई तरह की मानसिक समस्याओं के साथ आ रहे हैं। डॉक्टर बताते हैं कि उनमें से कई को लंबे समय तक देखभाल की जरूरत है।
केंद्र सरकार और पीड़ितों के बैंक कर्ज माफ करने के मुद्दे पर लुका-छिपी का खेल खेल रही है। केंद्र सरकार ने आखिरकार हाईकोर्ट को बताया है कि वह दो सप्ताह के भीतर इस पर फैसला लेगी। हालांकि केरल बैंक ने पहले ही अपनी देनदारियां माफ कर दी हैं। पीड़ितों की पीड़ा तभी कम होगी जब ज्यादा कर्ज देने वाले बड़े सरकारी बैंक रियायतें दें।
महाविनाश में मौत की घाटी बन चुके मुंडकाई में एक साल बाद भी सन्नाटा नहीं उतरा है। भूस्खलन में बचे लोगों के चले जाने के बाद, यहां की आबादी नाम मात्र की रह गई है।
वायनाड भूस्खलन पीड़ित एक साल बाद भी बेघर हैं। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने 5 महीने पहले पीड़ितों के लिए आदर्श घर के निर्माण का उद्घाटन किया था। TOI की रिपोर्ट के अनुसार घर एक महीने में तैयार हो जाएंगे। पेंटिंग का काम चल रहा है।
वायनाड भूस्खलन पीड़ितों के लिए टाउनशिप का निर्माण तेजी से चल रहा है। एल्स्टन एस्टेट में 5 जोन में 1,662 लोगों के लिए 410 घर बनाए जा रहे हैं। पहले जोन में 140, दूसरे में 51, तीसरे में 55, चौथे में 51 और 5वें जोन में 113 घर हैं।
1,000 वर्ग फुट में फैली ये एक-मंजिला इमारतें प्राकृतिक आपदाओं को झेलने के लिए डिजाइन की गई हैं। इनकी नींव ऐसी है जो भविष्य में एक अतिरिक्त मंजिल को सहारा दे सके। प्रत्येक घर में एक मास्टर बेडरूम, दो अतिरिक्त कमरे, एक बैठक कक्ष, एक अध्ययन कक्ष, भोजन कक्ष, रसोई और भंडारण क्षेत्र शामिल हैं।