केरल में मानसून के साथ निपाह वायरस के दो मामले सामने आए हैं, जिससे तीन जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है। जानवरों से इंसानों में फैलने वाला यह वायरस कैसे फैलता है और इससे बचने के क्या उपाय हैं, जानिए।
Nipah Virus: मानसून आने के साथ ही केरल में निपाह वायरस का प्रकोप शुरू हो गया है। केरल के स्वास्थ्य विभाग ने 3 जिलों में घातक जूनोटिक बीमारी के दो पॉजिटिव मामले पाए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने बताया है कि कोझिकोड, पलक्कड़ और मलप्पुरम जिलों में रेड अलर्ट जारी किया गया है। वायरस संक्रमण के दो मामलों की संपर्क सूची में 340 से अधिक लोगों की पहचान की गई है।
मलप्पुरम जिले में अधिकारी पता लगा रहे हैं कि निपाह वायरस किस तरह इंसानों में फैला। इसे आगे फैलने से रोकने के लिए फील्डवर्क किया जा रहा है। मक्करापरम्बा, कुरुवा, कूट्टिलांगडी और मनकाडा की पंचायतों के 20 वार्डों में निगरानी अभियान चलाया गया है।
केरल में हर साल मानसून के दौरान क्यों फैलता है निपाह वायरस?
जानकारों के अनुसार वन्यजीवों के व्यवहार और इंसान की जीवनशैली में बदलाव के कारण निपाह जैसे वायरस खतरा बने रह सकते हैं। इसे रोकने के लिए लगातार निगरानी जरूरी है। केरल में हर साल निपाह वायरस के ज्यादातर मामले सामने आते हैं। ऐसा मुख्य रूप से इस क्षेत्र के इकोसिस्टम के कारण है। केरल की जलवायु और घने फलदार पेड़ फल खाने वाले चमगादड़ों की बड़ी आबादी को सहारा देते हैं। इंसान जंगलों के करीब जाकर और यहां तक कि जंगल में रहने लगे हैं। इससे उनके चमगादड़ों के संपर्क में आने का खतरा अधिक होता है। चमगादड़ फल खाते हैं। उनके द्वारा आए गए फल को इंसान का लें तो उनमें वायरस का संक्रमण होने का डर होता है। इसी तरह चमगादड़ ताड़ी पीते है। ऐसी संक्रमित ताड़ी से इंसान के शरीर में वायरस जा सकता है।
मानसून के मौसम में नमी बढ़ने से फल जल्दी खराब हो जाते हैं। वे चमगादड़ों के लिए ज्यादा आकर्षक हो जाते हैं। मानसून के दौरान जलभराव और स्थानीय इकोसिस्टम में बदलाव के कारण इंसान, चमगादड़ और पालतू जानवर एक-दूसरे के ज्यादा करीब आते हैं। इन वजहों के चलते हर साल मानसून के समय केरल में निपाह वायरस के फैलने के मामले आते हैं।
निपाह वायरस क्या है?
निपाह वायरस मुख्य रूप से फल चमगादड़ (फ्लाइंग फॉक्स) के माध्यम से जानवरों और इंसानों में फैलता है। यह सूअरों, बकरियों, घोड़ों, कुत्तों या बिल्लियों जैसे अन्य जानवरों के माध्यम से भी फैल सकता है। वायरस तब फैलता है जब लोग या जानवर संक्रमित जानवर के शारीरिक तरल पदार्थ (रक्त, मल, पेशाब या लार) के संपर्क में आते हैं।
क्या हैं निपाह वायरस संक्रमण के लक्षण?
- तेज बुखार
- गंभीर सिरदर्द
- सांस लेने में कठिनाई या सांस फूलना
- खांसी और गले में खराश
- बार-बार दस्त होना
- उल्टी
- मांसपेशियों में दर्द और गंभीर कमजोरी
निपाह वायरस से कैसे बचें?
डॉक्टरों के अनुसार निपाह वायरस से बचने का सबसे अच्छा तरीका बीमार जानवरों के संपर्क में आने से बचना है। अगर आप ऐसे क्षेत्र में हैं जहां निपाह के संक्रमण का डर है तो अधिक सावधानी रखें। वायरस शारीरिक तरल पदार्थों के माध्यम से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। निपाह वायरस से पीड़ित किसी भी व्यक्ति के पास जाने से बचें। अपर ऐसे व्यक्ति की देखभाल कर रहे हैं तो सावधानी बरतें। निपाह वायरस के चलते हल्के से लेकर गंभीर लक्षण हो सकते हैं। एन्सेफलाइटिस या मस्तिष्क संक्रमण हो सकता है। इसके चलते मौत तक हो जाती है। इसका इलाज करने के लिए कोई दवा या टीका नहीं है। लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है।
