Waynad Landslide: मरने वालों संख्या पहुंची 165, सेना ने बचाव कार्य में लाई तेजी

वायनाड में भूस्खलन से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब तक165 शव बरामद किए जा चुके हैं जबकि हजार से अधिक लोगों को एनडीआरएफ की टीम ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया है, लेकिन सैकड़ों लोग अभी भी बाढ़ और बारिश में फंसे हैं।

Yatish Srivastava | Published : Jul 31, 2024 3:57 AM IST / Updated: Jul 31 2024, 11:46 AM IST

नेशनल न्यूज। केरल के वायनाड में प्रकृति का प्रकोप थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां भूस्खलन से आई तबाही में मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। अब तक 165 शव बरामद किए जा चुके हैं। एनडीआरएफ की टीम ने हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया है, लेकिन सैकड़ों अभी भी बाढ़ और बारिश में फंसे हैं। प्रशासन और सरकार की ओर से सारी मशीनरी लगा दी है फिर भी राहत और बचाव कार्य मुश्किल हो रहा है। सेना के जवान और हेलीकॉप्टर भी लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने में मदद कर रहे हैं।

बारिश से फिर भूस्खलन का खतरा
वायनाड में पिछले कुछ दिनों से लगातार मूसलाधार बारिश हो रही है। भूस्खलन का सबसे बड़ा कारण भी लगातार हो रही बरसात है। एनडीआरएफ की टीम लगातार लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाने का प्रयास कर रही है। एनडीआरएफ के कमांडर के मुताबिक यदि मौसम ऐसा ही रहा तो हालात और भी ज्यादा बिगड़ सकते हैं। जमीन दलदली होती जा रही है जिससे दोबारा भूस्खलन की संभावना बढ़ रही है। 

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एनडीआरएफ ने मंगलवार को 70 लोगों को सुरक्षित निकाला 
मुंडक्कई गांव में एक बड़ी इमारत के मलबे में कई लोगों के फंसे होने की आशंका जताई जा रही है। मगलवार को एनडीआरएफ की टीम ने मलबे में फंसे 70 लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला था। राहत और बचाव कार्य में लगी टीम का कहना है कि कितने लोगों की मौत हुई इस बारे में स्पष्ट नहीं कह सकते। हम सिर्फ उन मौतों के बारे में बता सकते हैं जितने शव टीम ने खुद बरामद किए हैं। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। 

सेना भी जुटी बचाव कार्य में
सेना भी एनडीआरएफ के साथ बचाव और राहत कार्य में लगी है। लोगों को सेने के हेलीकॉप्टर के जरिए एनडीआरएफ की मदद से राहत कैंप तक पहुंचाया जा रहा है। ब्रिगेडियर सीगन और ईटीएफ कमांडर की मदद से आज टोही विमान के जरिए 9.30 घंटे तक हवाई टोही की योजना बनाई गई है। इसके साथ ही मीपाडी-चूरलमाला रोड पर एक पुल का निर्माण शुरू होगा जिसमें सेना के हेलीकॉप्टर की मदद से धारा के दूसरी ओर कुछ पृथ्वी-मूविंग उपकरण शामिल किए जाएंगे।

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