लद्दाख में जो हो रहा है, हम देख रहे, वायुसेना को कम समय के तेज युद्धों के लिए तैयार रहना होगा : एयर चीफ मार्शल

रूस-यूक्रेन जारी गतिरोध के बीच वायुसेना प्रमुख ने वायुसेना को छोटे और तेज युद्ध के लिए तैयार रहने की जरूरत बताई है। उन्होंने कहा कि सैन्य साजो-सामान के लिए भारत बहुत हद तक रूस पर निर्भर है। लेकिन वर्तमान हालातों को देखते हुए हमें रूस पर निर्भरता कम करते हुए आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ना होगा। 

Vikash Shukla | Published : Apr 28, 2022 7:21 AM IST

नई दिल्ली। एयरफोर्स चीफ (Airforce Chief) वी आर चौधरी ने गुरुवार को को कहा कि मौजूदा हालात में एयरफोर्स को कम समय में तेज और छोटी अवधि के युद्धों के लिए तैयार रहने की जरूरत रहती है। एक सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे चौधरी ने कहा कि फोर्स को  छोटी अवधि के युद्धों और पूर्वी लद्दाख में जो हो रहा है वह हम देख रहे हैं। ऐसे में हमें तैयार रहने की जरूरत है।   

लद्दाख में दो साल से जारी है गतिराेध
दरअसल, भारत-चीन के बीच करीब दो वर्ष से पूर्वी लद्दाख में गतिरोध जारी है। दोनों पक्षों के बीच कई बार की राजयनियक बातचीत हुई, लेकिन इसके बाद भी तनाव बरकरार है। हालांकि, दोनों सेनाएं पीछे हट चुकी हैं, लेकिन अभी स्थिति शांतिपूर्ण नहीं है। एयरफोर्स चीफ ने कहा कि एयरफोर्स के हाल के अनुभव और भू-राजनीतिक परिदृश्य हमें हर वक्त अभियान के लिए साजो-सामान के साथ तैयार रहने की जरूरत है। 

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वायुसेना प्रमुख की बात रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभावों से जुड़ी
वायुसेना प्रमुख की छोटे युद्ध की तैयारी वाली बात को रूस-यूक्रेन युद्ध के संदर्भ के रूप में देखा जा रहा है। चौधरी ने कहा कि ऐसी स्थिति में साजो-सामान की मदद करना चुनौतीपूर्ण काम होगा। संसाधनों को जोड़ना और उनके परिवहन को मुमकिन बनाने की जरूरत होगी। 

रेल प्रबंधन और बड़े विमानों का आकलन जरूरी
एयरफोर्स चीफ ने युद्ध के दौरान साजो-सामान ले जाने के लिए सड़क और रेल प्रबंधन योजना को औपचारिक रूप देने के साथ ही बड़े विमानों के उपयोग और कंटेनर में भारी मात्रा में सामान ले जाने की स्थिति का भी आकलन करने की जरूरत बताई। सेवा क्षमता को ‘इन्वेंटरी मैनेजमेंट सिस्टम' से जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि भारत कल-पुर्जों सहित सैन्य सामान की आपूर्ति के लिए रूस पर बहुत अधिक निर्भर है। यूक्रेन में रूसी आक्रमण के मद्देनजर ऐसी आशंका है कि रूस द्वारा महत्वपूर्ण पुर्जों और अन्य उपकरणों की आपूर्ति में काफी देरी हो सकती है। ऐसे में हमें आत्मनिर्भर भारत की तरफ बढ़ना होगा। 

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