नॉलेज पैकेज: चुनाव में क्या मुद्दा रहा, किसने कितनी रैली की, 5 राज्यों में चुनाव से जुड़ी सभी जानकारी एक जगह

प बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी विधानसभा चुनाव के नतीजे 2 मई यानी रविवार को नतीजे आ रहे हैं। बंगाल में अभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार है, तो असम में भाजपा और केरल में एलडीएफ की सत्ता है। वहीं, तमिलनाडु में एआईएडीएमके की सरकार है। जबकि केंद्रशासित राज्य पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन है। 

नई दिल्ली. प बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी विधानसभा चुनाव के नतीजे 2 मई यानी रविवार को नतीजे आ रहे हैं। बंगाल में अभी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी सरकार है, तो असम में भाजपा और केरल में एलडीएफ की सत्ता है। वहीं, तमिलनाडु में एआईएडीएमके की सरकार है। जबकि केंद्रशासित राज्य पुडुचेरी में राष्ट्रपति शासन है। 

क्या है राज्यों की स्थिति और क्या कहते हैं एग्जिट पोल?

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बंगाल कुल सीटें- 294, बहुमत- 148
294 सीटों वाले प बंगाल में 27 मार्च से 28 अप्रैल तक 8 चरणों में मतदान हुआ है। यहां तृणमूल कांग्रेस की सरकार है। वहीं, भाजपा सत्ता में आने की कोशिश में जुटी है। प बंगाल चुनाव की चर्चा पूरे देश में रही है। इसे काफी अहम माना जा रहा है। 

2132 प्रत्याशी मैदान में
बंगाल में कुल 294 सीटों पर 2132 प्रत्याशी मैदान में हैं। इनमें से 986 राष्ट्रीय दलों के, 69 राज्य दलों के जबकि 467 गैर मान्यता प्राप्त दलों से और 608 निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। एडीआर ने 2130 उम्मीदवारों के शपथपत्र का विश्लेषण किया। इसके मुताबिक, 528 उम्मीदवारों पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं, 431 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले बताए हैं। इस चुनाव में 394 उम्मीदवार करोड़पति हैं। 

किन मुद्दों पर हुआ चुनाव?
प बंगाल का चुनाव काफी दिलचस्प रहा। यहां आरोप प्रत्यारोप की राजनीति जमकर हुई। जहां भाजपा ने ममता सरकार पर तोलेबाजी, भ्रष्टाचार, राजनीतिक हिंसा, गुंडाराज, तुष्टीकरण का आरोप लगाया। पीएम मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यत्र जेपी नड्डा ने खुले तौर पर सरस्वती पूजा, दुर्गा पूजा, सीएए, घुसपैठियों को लेकर ममता सरकार पर निशाना साधा। 

वहीं, ममता बनर्जी भी काफी आक्रामक रहीं। उन्होंने पीएम मोदी और अमित शाह को गुंडा तक करार दे दिया। ममता बनर्जी ने सीएए, वैक्सीन, कोरोना, जांच एजेंसियों के गलत इस्तेमाल जैसे मुद्दों पर भाजपा को घेरने की कोशिश की। ममता ने कहा, बंगाल केंद्र के इशारे पर नहीं चलेगा। बगाल को बंगाल चलाएगा। 

'जय श्रीराम' नारा रहा हावी
प बंगाल में 'जय श्रीराम' , पोरिबोर्तन होबे जैसे नारे खूब इस्तेमाल हुए। जहां भाजपा नेताओं ने 'जय श्रीराम' नारे से रैलियों को शुरू किया। वहीं, ममता इस नारे से नाराज भी दिखीं। लेकिन बाद में चुनाव में हिंदुत्व के मुद्दे पर कमजोर पड़ता देख उन्होंने मंच से चंडी पाठ तक कर डाला। 

पीएम मोदी ने बंगाल में आचार संहिता लगने के बाद 13 (1-2 अप्रैल को जयानगर, उल्बेरिया, 3 अप्रैल को तारकेश्वर और सोनापुर, 06 अप्रैल कूचबिहार और हावड़ा, 10 अप्रैल सिलिगुड़ी और कृष्णानगर, 12 अप्रैल बर्धमान, कलयाणी और बारासात में जबकि 17 अप्रैल को आसनसोल और गंगारामपुर) रैलियां कीं। हालांकि, कोरोना के बढ़ते हुए मामलों को देखते हुए उन्होंने आखिरी के तीन चरणों में जनसभाएं नहीं कीं। वहीं, राहुल गांधी ने सिर्फ 1 दिन प्रचार किया। वहीं, ममता बनर्जी ने 114 जनसभाएं, 11 रोड शो, 4 पीसी समेत 129 चुनावी कार्यक्रमों को संबोधित किया। 

क्या कह रहे एग्जिट पोल ? 


2021 बंगाल एग्जिट पोल।


प बंगाल : 2016 के नतीजे 
प बंगाल में 294 सीटें हैं। यहां 2016 में 6 चरणों में चुनाव हुए थे। ममता की पार्टी ने 293 सीटों पर चुनाव लड़ा था। इनमें से 211 सीटें जीतने में कामयाब रही थी। जबकि भाजपा 291 सीटों पर चुनाव मैदान में थी लेकिन उसे सिर्फ 3 सीटों पर जीत मिली थी। वहीं, गोरखा जनमुक्ति मोर्चा तीन सीटों पर चुनाव लड़ा था और तीनों पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस ने लेफ्ट पार्टियों के साथ चुनाव लड़ा था। उसने 92 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे और 44 सीटें जीतने में सफल रही थी। वहीं, सीपीएम 148 सीटों में से 26 पर जीत हासिल कर पाई थी। वहीं, सीपीआई को 11 सीटों में से एक पर जीत मिली थी।


असम कुल सीटें 126, बहुमत के लिए- 64
126 सीटों वाले असम में भाजपा सरकार है। एग्जिट पोल भी यही इशारा कर रहे हैं कि भाजपा राज्य में एक बार फिर सत्ता में काबिज होने में कामयाब होगी। असम में भाजपा एजीपी के साथ चुनाव लड़ रही है। वहीं, कांग्रेस, ऑल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF), सीपीआई, सीपीआई (एमएल) और आंचलिक गंगा मोर्चा , बीपीएफ साथ में मिलकर चुनाव लड़ रही हैं। 

क्या थे चुनाव के मुद्दे?
असम में मुख्य मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के गठबंधन में ही है। जहां असम में भाजपा ने सीएए, एनआरसी, घुसपैठ और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ा। वहीं, कांग्रेस ने सीएए और एनआरसी के मुद्दे पर भाजपा को घेरने की कोशिश की। हालांकि, कांग्रेस इस बार तीन बार के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के बिना चुनाव लड़ रही है। गोगोई का इस साल निधन हो गया था। 

126 सीटों वाले असम में इस बार 946 प्रत्याशी मैदान में हैं। एडीआर ने इनमें से 941 प्रत्याशियों के हलफनामे का विश्लेषण किया है। 941 प्रत्याशियों में 224 राष्ट्रीय पार्टियों के, 116 राज्य स्तरीय पार्टियों के, 224 रजिस्टर्ड लेकिन कम चर्चित पार्टियों के जबकि 377 प्रत्याशी निर्दलीय हैं। 

941 प्रत्याशियों में 138 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर आपराधिक मामले बताए हैं। वहीं, 109 प्रत्याशियों के ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। 264 उम्मीदवार इस चुनाव में करोड़पति हैं। 

किस नेता ने कितनी रैलियां कीं
चुनाव तारीखों के ऐलान के बाद पीएम मोदी ने असम में 5 रैलियां कीं। जबकि कांग्रेस की ओर से चुनाव प्रचार की कमान राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने थामी। इसके अलावा गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, राजनाथ सिंह, योगी आदित्यनाथ ने भी जमकर प्रचार किया। 

क्या कह रहे एग्जिट पोल ? 
असम में लगभग सभी एग्जिट पोल भाजपा की सरकार बनने के पक्ष में हैं। 


असम एग्जिट पोल भाजपा के पक्ष में नजर आ रहे हैं।

2016 के नतीजे
विधानसभा चुनाव में भाजपा को अकेले 60 सीटों पर जीत मिली थी। हालांकि, एनडीए की बात करें तो एजीपी को 14 और बीओपीएफ को 12 सीटें मिलीं। कुल मिलाकर चुनाव में एनडीए के खाते में 86 सीटें गई थीं।


तमिलनाडु कुल सीटें- 234, बहुमत- 118

234 सीटों वाले तमिलनाडु में एआईएडीएमके की सरकार है। भाजपा राज्य में सरकार में सहयोगी है। इस बार भी दोनों ने साथ चुनाव लड़ा है। उधर, कांग्रेस और डीएमके ने 2019 चुनाव का अपना गठबंधन आगे बढ़ाया है। 2016 में दोनों पार्टियों ने अलग अलग चुनाव लड़ा था। डीएमके के साथ इस बार चुनाव में सीपीआई, सीपीआई एम, विदुतलाई चिरुतागल कच्छी, आईयूएमएल और कोंगुनाडु मुन्नेत्र कड़गम भी हैं। जबकि कमल हासन की पार्टी मक्कल निधि मैय्यम भी चुनाव मैदान में है। 
तमिलनाडु में बीते पांच दशकों से यहां की राजनीति में दो पार्टियों डीएमके और एआईडीएमके का दबदबा रहा है। लेकिन यह पहला मौका है जब दोनों पार्टियां अपने प्रमुख नेता जयललिता और करुणानिधि के बिना चुनाव प्रचार में उतर रही हैं। जयललिता की मौत 2016 में हुई थी, जबकि करुणानिधि का निधन 2018 में हुआ था। 

क्या थे चुनाव के मुद्दे?
चुनाव में विपक्ष सत्ताधारी एआईएडीएमके के खिलाफ भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रही है। वहीं, चुनाव में जय ललिता के निधन का मुद्दा, पेट्रोल डीजल की कीमतों में कटौती को डीएमके मुद्दा बना रही है। वहीं, सत्ताधारी एआईएडीएमके की सहयोगी भाजपा ने चेन्नई से सेलम एक्सप्रेस वे को आगे बढ़ाने का वादा किया है। इस पर अदालत ने रोक लगा रखी है। इतना ही नहीं भाजपा डीएमके और कांग्रेस को हिंदूविरोधी भी बता रही है। 

तमिलनाडु में पीएम मोदी ने 7 रैलियां कीं। वहीं, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी तमिलनाडु में जमकर रैलियां और रोड शो किए। 

क्या कह रहे एग्जिट पोल


एग्जिट पोल की मानें तो तमिलनाडु में 10 साल बाद डीएमके की वापसी होती दिख रही है।

क्या थे 2016 के नतीजे

2016 के चुनाव में एआईएडीएमके ने जयललिता के नेतृत्व में 136 सीटें जीती थीं। वहीं डीएमके को 89, कांग्रेस को 8 और आईयूएमएल को एक सीट मिली थी। यहां भाजपा का खाता भी नहीं खुला था। 


केरल कुल सीटें 140, बहुमत- 71

140 सीटों वाले राज्य में 1 चरण में मतदान हुआ है। यहां अभी भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (एम) के नेतृत्व वाला एलडीएफ मोर्चा सत्ता में है। वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ से एलडीएफ का मुख्य मुकाबला माना जा रहा है। वहीं, पिछले चुनाव में सिर्फ 1 सीट जीतने वाली भाजपा भी बड़े बड़े दावे कर रही है। केरल में पीएम मोदी ने 3 जनसभाएं कीं। यहां कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी जमकर प्रचार किया। 

क्या रहे चुनाव के मुद्दे?
केरल चुनाव में भ्रष्टाचार का मुद्दा जमकर उछला। भाजपा और यूडीएफ ने सत्ताधारी एलडीएफ को सोने की तस्करी के मामले में जमकर घेरा। जिसमें जांच की आंच मुख्यमंत्री के ऑफिस तक पहुंची है। इसके अलावा सबरीमाला मुद्दा भी खूब चर्चा में रहा। 

केरल में इस बार चुनाव 957 उम्मीदवार मैदान में हैं। एडीआर ने 928 उम्मीदवारों का विश्लेषण किया है। इनमें से 364 राष्ट्रीय दलों से, 52 राज्य दलों से, 201 गैर मान्यता प्राप्त दलों से जबकि 311 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं। 928 उम्मीदवारों में से 355 ने अपने ऊपर आपराधिक मामले घोषित किए हैं। वहीं, 167 के ऊपर गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं, 928 में से 249 उम्मीदवा करोड़पति हैं। 

क्या कह रहे एग्जिट पोल?


केरल एग्जिट पोल।

क्या थे 2016 के नतीजे?
केरल में 2016 में सीपीआई एम ने 58, कांग्रेस ने 22, सीपीआई ने 19, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने 18, केरल कांग्रेस ने 6, जनता दल ने 3, एनसीपी ने 2 और भाजपा ने 1 सीट जीत थी। 11 पर अन्य ने कब्जा किया था। 


पुडुचेरी कुल सीटें 30, बहुमत- 16
पुडुचेरी में कांग्रेस के कई विधायकों के इस्तीफे के बाद सरकार गिर गई थी। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लग गया। इस चुनाव में कांग्रेस गठबंधन और बीजेपी, एआईएडीएमके और एआईएनआरसी के बीच मुख्य मुकाबला है। एनडीए में  AINRC 16, BJP 9 और AIADMK 5 सीटों पर चुनाव लड़ रही हैं। वहीं, सेक्युलर डेमोक्रेटिक अलायंस में कांग्रेस 14,  DMK 13, सीपीआई-वीसीके 1-1 सीट जबकि एक सीट पर कांग्रेस ने निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन किया है। 

पुडुचेरी कौन से मुद्दे रहे हावी
पुडुचेरी में सबसे बड़ा मुद्दा बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, पूर्ण राज्य का दर्जा, सबरीमाला, शिक्षा, आधारभूत सुविधाओं को लेकर पार्टियां चुनाव मैदान में हैं। 

30 सीटों वाले पुडुचेरी में इस बार 324 उम्मीदवार मैदान में हैं। एडीआर ने 323 उम्मीदवारों का एनालिसिस किया है। इनमें से 54 पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं, 28 उम्मीदवारों ने अपने ऊपर गंभीर आपराधिक मामले बताए हैं। पुडुचेरी में 74 उम्मीदवार करोड़पति हैं। 

क्या कह रहे एग्जिट पोल


पुडुचेरी में इस बार एनडीए की सरकार बनती नजर आ रही है।

क्या थे 2016 के नतीजे
पुडुचेरी में 2016 में कांग्रेस ने 15 सीटों पर जीत हासिल की थी। एआईएनआरसी को 8, एआईएडीएमके को 4, डीएमके को 2 और एक सीट अन्य के खाते में गई थी।

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