राजबंशी समाज के कद्दावर नेता अनंत महाराज से सीएम ममता बनर्जी ने की मुलाकात, एक बार फिर गरमायी बंगाल की राजनीति

Published : Jun 18, 2024, 03:41 PM ISTUpdated : Jun 19, 2024, 12:15 AM IST
Mamata Banerjee with Ananta Maharaj

सार

अनंत राय महाराज से उनके आवास पर पहुंची ममता बनर्जी का गर्मजोशी से स्वागत देखकर राजनीति के जानकार अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं।

West Bengal: पश्चिम बंगाल में एक बार फिर राजनीतिक हलचल तेज हुई है। राजबंशी समुदाय के कद्दावर नेता व बीजेपी के राज्यसभा सदस्य अनंत राय महाराज और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मुलाकात सुर्खियां बटोर रहीं तो विपक्षी बीजेपी के अंदरखाने में सुगबुगाहट शुरू हो चुकी है। अनंत राय महाराज से उनके आवास पर पहुंची ममता बनर्जी का गर्मजोशी से स्वागत देखकर राजनीति के जानकार अलग-अलग मायने निकाल रहे हैं।

दरअसल, मंगलवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, राजबंशी समाज के कद्दावर नेता अनंत राय महाराज से मिलने पहुंची। अनंत महाराज ने मुख्यमंत्री का बेहद गर्मजोशी के साथ स्वागत किया। अनंत महाराज उत्तर बंगाल की राजनीति के बड़ा चेहरा हैं। भारतीय जनता पार्टी ने अनंत महाराज को राज्यसभा में भेजा था। वह उत्तर बंगाल के कूच बिहार को पृथक ग्रेटर कूच बिहार राज्य बनाने की मांग करने वाले ग्रेटर कूच बिहार पीपुल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हैं। अनंत राय, खुद को ग्रेटर कूच बिहार का महाराज बताते हैं।

अनंत के करीबी निशिथ प्रमाणिक थे केंद्र में मंत्री

अनंत राय के करीबियों में शुमार निशिथ प्रमाणिक, केंद्र सरकार में मंत्री थे। बीते साल गृह मंत्री अमित शाह भी महाराज के आवास पर पहुंचकर मुलाकात की थी। निशिथ और अनंत महाराज राजबंशी समाज से आते हैं।

राजबंशी समाज काफी प्रभावशाली

बंगाल में अनुसूचित जाति की खासी आबादी है। इसमें राजबंशी समुदाय की 18 प्रतिशत से अधिक की हिस्सेदारी है। राजबंशी समुदाय, बंगाल का सबसे प्रभावशाली और बड़ा वर्ग है। उत्तर बंगाल के पांच जिलों में राजबंशी वोटर्स जीत-हार में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।

पश्चिम बंगाल में बीजेपी अपना प्रभाव जमाने में लगी लेकिन…

पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी अपना प्रभाव जमाने में लगी हुई है लेकिन ममता बनर्जी उनकी हर चाल को मात दे दे रही हैं। विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने टीएमसी को सरकार से बाहर करने का दावा किया लेकिन कोई खास प्रभाव नहीं डाल पायी और तीसरी बार ममता बनर्जी प्रचंड बहुमत से आईं। सरकार बनने के बाद बीजेपी के आधा दर्जन से अधिक विधायकों को अपने पार्टी में शामिल कर लिया। इस बार भी पश्चिम बंगाल में बीजेपी की लोकसभा की सीटें कम हो गई हैं। 

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