पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव हिंसा: ममता सरकार का दावा-61 हजार मतदान केंद्रों में महज 60 जगहों पर हिंसा, बीजेपी झूठ फैला रही

ममता सरकार ने यह भी कहा कि अगर तृणमूल सरकार इस हिंसा को शह देती तो उसके कार्यकर्ता क्यों मारे जाते। राज्य सरकार ने कहा कि केंद्रीय फोर्स के सही तरीके से तैनाती नहीं किए जाने की वजह से यह हिंसा हुई है।

Dheerendra Gopal | Published : Jul 9, 2023 12:55 PM IST / Updated: Jul 09 2023, 07:03 PM IST

West Bengal Panchayat Election 2023: पश्चिम बंगाल में पंचायत चुनाव शनिवार को संपन्न हो गया। हिंसा और बवाल के बीच हुए पंचायत चुनाव में कम से कम 13 लोगों की जान चली गई और दर्जनों लोग घायल हो गए। चुनाव को लेकर ममता सरकार के खिलाफ बीजेपी ने मोर्चा खोल दिया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी ममता सरकार से पंचायत चुनाव में हिंसा को लेकर रिपेार्ट मांगी थी। रविवार को राज्य सरकार ने अपनी रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी। 

उधर, ममता बनर्जी सरकार ने साफ तौर पर कहा कि हिंसा में सबसे अधिक तृणमूल कार्यकर्ता मारे गए हैं। चुनाव में जिस स्तर पर बवाल या हिंसा का आरोप विपक्ष लगा रहा है वह सरासर गलत है। ममता सरकार ने यह भी कहा कि अगर तृणमूल सरकार इस हिंसा को शह देती तो उसके कार्यकर्ता क्यों मारे जाते। राज्य सरकार ने कहा कि केंद्रीय फोर्स के सही तरीके से तैनाती नहीं किए जाने की वजह से यह हिंसा हुई है।

61 हजार वोटिंग सेंटर्स में केवल 60 जगह हिंसा

गृह मंत्रालय को भेजे गए अपने रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार ने बताया कि पंचायत चुनाव 61 हजार मतदान केंद्रों पर कराए गए। महज 60 जगहों पर ही हिंसा हुई है। बीजेपी केवल प्रोपगेंडा करना चाह रही है। चुनाव को हिंसक और बड़े पैमाने पर धांधली की भ्रामक बातें की जा रही हैं जबकि अधिकतर जगहों पर शांति और सुरक्षा के बीच चुनाव संपन्न हुए।

टीएमसी ने की हिंसा की निंदा

टीएमसी ने पश्चिम बंगाल में हुई पंचायत चुनाव के दौरान हिंसा की निंदा की है। पार्टी नेता कुणाल घोष, डॉ. शशि पांजा और ब्रत्य बसु ने एक संवाददाता सम्मेलन में हिंसा की निंदा करते हुए कहा कि कोई भी मौत अफसोसजनक है और हताहतों के बीच तृणमूल कार्यकर्ताओं के प्रति विशेष सहानुभूति व्यक्त की गई है। घोष ने कहा कि विपक्षी दल पूरी चुनाव प्रक्रिया को हिंसक बताने का प्रयास कर रहे हैं लेकिन बड़े पैमाने पर शांतिपूर्ण और निष्पक्ष चुनाव का श्रेय आम जनता को जाता है। ज्यादातर मौतें तृणमूल कार्यकर्ताओं की हुई हैं। अगर तृणमूल हिंसा भड़का रही थी तो वे अपने कार्यकर्ताओं को क्यों निशाना बनाएंगे?

केंद्रीय बलों की चूक से हिंसा...केंद्रीय बल पार्टी विशेष के लिए धमकाने में थे व्यस्त

सुश्री शशि पांजा ने हिंसा को नियंत्रित करने में केंद्रीय बलों की चूक बताया। उन्होंने पूछा कि विपक्षी दलों ने केंद्रीय बलों की तैनाती की मांग की लेकिन ये बल कहां थे और वे हिंसा को क्यों नहीं रोक सके? ऐसे उदाहरण हैं जहां बीएसएफ सहित केंद्रीय बलों को कैमरे पर मतदाताओं को एक विशिष्ट पार्टी के लिए धमकी देते और उनसे पूछताछ करते देखा गया था। यह इंगित करता है कि केंद्रीय बलों को राजनीतिक आकाओं के इशारे पर तैनात किया गया था।

बीएसएफ के अनुसार नहीं मिली मतदान केंद्रों की जानकारी

सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के उप महानिरीक्षक एसएस गुलेरिया ने कहा कि संवेदनशील मतदान केंद्रों पर जानकारी के लिए उनके बार-बार अनुरोध के बावजूद पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग ने पर्याप्त विवरण प्रदान नहीं किया जिससे इन क्षेत्रों को पर्याप्त रूप से सुरक्षित करने की उनकी क्षमता में बाधा उत्पन्न हुई।

उधर, तृणमूल नेताओं ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल पर हिंसा की आग भड़काने और लोगों की राय को प्रभावित करने के लिए अपनी शक्ति का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया।

पंचायत चुनावों से पहले राज्य चुनाव आयोग ने कुल 61,539 में से 4,834 संवेदनशील बूथों की पहचान की थी और अतिरिक्त सुरक्षा का अनुरोध किया था। तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि विपक्ष ने गड़बड़ी फैलाने के लिए गैर-संवेदनशील बूथों को निशाना बनाया। भाजपा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने भी चुनाव के दौरान हिंसा की निंदा की है और इसके लिए तृणमूल कांग्रेस सरकार को जिम्मेदार ठहराया है।

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