पश्चिम बंगाल का बीरभूम जिला इस समय पूरे देश की नजरों में है। यहां के रामपुरहाट के बोगतई गांव में 21 मार्च को हुई हिंसा(West Bengal Political Violence) ने लोगों की रूह कंपाकर रख दी है। इस हिंसा में मारे गए 10 लोगों में ये मासूम भी थी, जो पढ़-लिखकर 'अफसर बिटिया' बनना चाहती थी। इस मामले में पुलिस ने 20 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें मुख्य आरोपी अनारूल हुसैन (Anarul Hussain Arrested) भी शामिल है।
कोलकाता, पश्चिम बंगाल. बोगतई हिंसा ने राज्य में कानून व्यवस्था की नाकामी जगजाहिर कर दी है। पश्चिम बंगाल का बीरभूम जिला इस समय देशभर के मीडिया की नजरों में बना हुआ है। यहां के रामपुरहाट के बोगतई गांव में 21 मार्च को हुई हिंसा(West Bengal Political Violence) ने लोगों की रूह कंपाकर रख दी है। इस हिंसा में मारे गए 10 लोगों में ये मासूम भी थी, जो पढ़-लिखकर 'अफसर बिटिया' बनना चाहती थी। इस बच्ची की तस्वीर KB(@KbSundarmyth) नामक यूजर ने twitter पर शेयर की है।
कलकत्ता हाईकोर्ट ने CBI का जांच सौंपी
कलकत्ता हाईकोर्ट(Calcutta High Court) ने इस नरसंहार की जांच का जिम्मा CBI को सौंप दिया है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। याचिका में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज की अध्यक्षता में SIT गठन कर जांच की मांग की गई थी। यह याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दाखिल की थी।
She was victim of #RampurhatMassacre who was killed by TMC DEATH SQUAD: रूह कंपाने वाली घटना
KB(@KbSundarmyth) नामक यूजर ने twitter पर बच्ची की तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि वह #RampurhatMassacre की शिकार थी, जिसे टीएमसी के डेथ स्क्वॉड(DEATH SQUAD) ने 11 अन्य लोगों के साथ मार दिया और फिर जला दिया। पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी का उसी बोगतई गांव में टीएमसी ने स्वागत किया! बता दें कि इस नरसंहार में मरने वालों की संख्या 11 तक बताई जा रही है। कुछ मीडिया इसे 10 बता रहे हैं, जबकि प्रशासन यह संख्या सिर्फ 8 बता रहा है। इस मामले में पुलिस ने 23 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। इनमें मुख्य आरोपी अनारूल हुसैन (Anarul Hussain Arrested) भी शामिल है।
2012 में भी हुए थे इसी गांव में धमाके
संसद में कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई( MP Gaurav Gogoi) ने बोगतई हिंसा का मामला उठाया है। वहीं पश्चिम बंगाल में भाजप के प्रमुख सुकांता मजूमदार(Sukanta Majumdar) ने कहा कि 2012 में बोगतई में हुए एक बम विस्फोट में लगभग 10 से 12 लोग मारे गए थे। उन्होंने कहा कि बंगाल की सरकार ममता के हाथ से निकल गई है। इलाके गुंडों द्वारा चलाए जाते हैं, जो नेता भी हैं।
मानवाधिकार आयोग ने सरकार को भेजा नोटिस
इस घटना पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग(National Human Rights Commission) ने संज्ञान लिया है। उसने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार और राज्य पुलिस प्रमुख को नोटिस जारी किया है। आयोग ने कहा कि वे यहां के लोगों की सुरक्षा को लेकर पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी शेयर करें। 4 सप्ताह के भीतर इसकी रिपोर्ट पेश करने को कहा गया है।
TMC नेता के मर्डर के बाद जल उठा गांव
बोगतई गांव में हिंसा की शुरुआत तृणमूल कांग्रेस(TMC) के स्थानीय नेता और बरशल ग्राम पंचायत बोकतुई के उप प्रमुख भादु शेख की 21 मार्च को हत्या(TMC leader Bhadu Sheikh was killed on Monday) के बाद हुई थी। उन पर किसी पुरानी रंजिश के चलते बम से हमला किया गया था। उनकी मौत की खबर के बाद टीएमसी के कार्यकर्ताओं ने उपद्रव शुरू कर दिया था। आरोप है कि TMC के समर्थकों ने भाजपा समर्थकों के घरों में आग लगा दी। हालांकि पुलिस यही तर्क देती रही कि घरों में आग शॉर्ट सर्किट के कारण लगी होगी। इस वजह से पुलिस की काफी किरकिरी हुई।