
What is Blood Money: केरल की नर्स निमिषा प्रिया (Nimisha Priya) को यमन (Yemen) में मौत की सजा सुनाई गई है। भारत सरकार ने भी डिप्लोमैटिक रिलेशन्स नहीं होने की बात कहते हुए अपने हाथ खड़े कर लिए हैं। हालांकि, अभी भी उसे बचाने की एकमात्र अंतिम उम्मीद बची है, वह है'ब्लड मनी (Blood Money)'। यानी हत्यारोपी की ओर से पीड़ित को दिया जाने वाला मुआवजा। लेकिन यह ब्लडमनी तभी जान बचा सकती है जब पीड़ित परिवार उस पर मान जाए और माफ कर दे। निमिषा प्रिया की ओर से भी करीब 8.6 करोड़ का मुआवजा देने का पेशकश किया जा चुका है। लेकिन अभी तक मरने वाले यमनी व्यक्ति के परिवार ने यह राशि स्वीकार नहीं की है। फिलहाल निमिषा की फांसी को 24 घंटे के लिए टाल दिया गया है, अगर इस समयावधि में पीड़ित परिवार ब्लडमनी स्वीकार कर ले तो निमिषा को माफ किया जा सकता है। नहीं तो बुधवार को उसे फांसी दी जा सकती है।
सोमवार को भारत सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस मामले में उसने अपनी ओर से पूरी कोशिश कर ली है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि (R Venkataramani) ने कोर्ट से साफ कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण है लेकिन हमारी कोशिश की एक सीमा थी और हम उस सीमा तक पहुंच चुके हैं। अब हम कुछ नहीं कर सकते हैं। ऐसे में अब सारा दारोमदार उस यमनी परिवार पर है, जो 8.6 करोड़ (US$ 1 मिलियन) की 'ब्लड मनी' स्वीकार करे।
शरिया कानून (Sharia Law) के मुताबिक, अगर कोई व्यक्ति किसी की हत्या करता है तो मृतक के परिवार को आर्थिक मुआवजा देने की व्यवस्था है। इसे 'ब्लड मनी' या 'दियाह (Diyah)' कहा जाता है। अगर परिवार यह राशि स्वीकार कर ले तो हत्यारे को माफ किया जा सकता है और मौत की सजा टल सकती है। क्योंकि शरिया कानून के तहत, खून का बदला खून ही होता है। यानी अगर किसी की हत्या की गई है तो उस आरोपी को मौत की सजा मिलनी तय है लेकिन पीड़ित परिवार अगर माफ कर दे और मुआवजा स्वीकार कर ले तो उसे जीवनदान मिल जाएगा। क़ुरान की सूरा 4, आयत 92 में इस प्रथा का ज़िक्र है कि जो कोई किसी मोमिन को भूलवश मार डाले, उसे एक मोमिन गुलाम को आज़ाद करना होगा और मृतक के परिवार को 'ब्लड मनी' देनी होगी।
भारत के कई नागरिकों ने विदेशों में 'ब्लड मनी' की मदद से फांसी या लंबी जेल की सजा से मुक्ति पाई है। यहां कुछ प्रमुख उदाहरण हैं:
निमिषा प्रिया का मामला यमन में 'ब्लड मनी' के जरिए भारतीय को बचाने का पहला मामला है। अभी तक इस देश में ऐसा उदाहरण नहीं देखा गया जिससे इस केस की संवेदनशीलता और बढ़ जाती है। निमिषा पर आरोप है कि उसने उस यमनी नागरिक को मार डाला जो उसे बार-बार परेशान कर रहा था। लेकिन यह हत्या जानबूझकर नहीं, दुर्घटनावश हुई थी, जिसे यमन का कानून भी स्वीकार करता है, पर सजा से राहत तभी मिलेगी जब पीड़ित परिवार 'ब्लड मनी' स्वीकार करे।
अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को साफ कर दिया है कि सरकार के पास अब ज्यादा विकल्प नहीं हैं। वह राजनयिक प्रयास कर चुकी है। अब यह मामला निजी स्तर पर फंड जुटाने या विदेशी समुदाय की मदद से ही सुलझ सकता है।