क्या 'BNS 479' विचाराधीन कैदियों के लिए 'न्याय' की नई किरण है?

भारतीय न्याय संहिता (BNS) के तहत धारा 479, विचाराधीन कैदियों को राहत प्रदान कर सकती है। जो कैदी अपनी अधिकतम सजा का आधा समय पूरा कर चुके हैं, उन्हें इस धारा के तहत रिहाई मिल सकती है। 

Dheerendra Gopal | Published : Aug 24, 2024 1:56 PM IST / Updated: Aug 24 2024, 10:45 PM IST

What is BNS 479: भारतीय न्याय संहिता यानी बीएनएस, देश में लागू किया जा चुका है। नए आपराधिक कानून देश के विभिन्न जेलों में विचाराधीन कैदियों के लिए संजीवनी साबित हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की सहमति के बाद 1 जुलाई 2024 के पहले जेल में कैद विचाराधीन कैदियों की रिहाई का रास्ता इस नए कानून की वजह से साफ हो चुका है। यह नहीं देश के ओवरक्राउडेड हो चुके जेलों का दबाव भी नए कानून की वजह से कम होगा। देश की जेलों में 436266 कैदियों को रखने की क्षमता है लेकिन वर्तमान में 573220 कैदी बंद हैं।

किस धारा के अंतर्गत होगी विचाराधीन कैदियों की रिहाई?

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देश के विभिन्न जेलों में हजारों की संख्या में कैदी न्याय के इंतजार में अपनी अधिकतम सजा का अधिकतर हिस्सा जेल में बिता चुके हैं लेकिन उनको न तो कोर्ट में दोषी ही साबित किया जा सका है और नही वह निर्दोष होकर बाहर ही निकल सके हैं। लेकिन एक जुलाई 2024 को लागू किए गए नए आपराधिक कानूनों की वजह से कैदियों को न्याय की उम्मीद जगी है। दरअसल, बीएनएस की धारा 479 के तहत ऐसे विचाराधीन कैदियों की रिहाई संभव है जोकि अपनी अधिकतम सजा का आधा से अधिक समय बिना निर्णय के ही काट चुके हैं।

अब जानिए बीएनएस की धारा 479 के बारे में?

नए आपराधिक कानून, बीएनएस की धारा 479 में कहा गया है कि उन विचाराधीन कैदियों को रिहा किया जा सकता है जोकि अपने अपराध के लिए मिलने वाली सजा की अधिकतम अवधि का आधा हिस्सा काट चुके हैं। यही नहीं, नए कानून के अनुसार, अगर कोई आरोपी, पूर्व में किसी अपराध की सजा न पाया हो तो अगर उसने अपने अपराध के लिए अधिकतम सजा का एक तिहाई वक्त जेल में काट लिया हो तो उसकी रिहाई संभव है। सुप्रीम कोर्ट ने बीते दिनों यह निर्णय दिया कि 1 जुलाई 2024 के पहले जिनके खिलाफ केस दर्ज हुआ हो उन पर नए कानून के अंतर्गत कार्रवाई की जा सकती है।

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