आखिर क्या होता है बादल का फटना? जानें क्यों अमरनाथ गुफा के पास ही हुआ ये भीषण हादसा

अमरनाथ में बाबा बर्फानी की गुफा के नजदीक बादल फटने से अब तक 3 महिलाओं समेत 12 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। हादसा शुक्रवार शाम साढ़े 5 बजे के आसपास हुआ। जिस समय बादल फटने की घटना हुई, तब गुफा के पास 10 से 15 हजार श्रद्दालु मौजूद थे। 

Asianet News Hindi | Published : Jul 8, 2022 3:59 PM IST

Amarnath Cloud Burst: अमरनाथ में बाबा बर्फानी की गुफा के पास बादल फटने से अब तक 3 महिलाओं समेत 12 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है। इतना ही नहीं, 35-40 श्रद्धालु अब भी फंसे हुए हैं। बता दें कि ये हादसा शुक्रवार शाम साढ़े 5 बजे हुआ। जिस समय बादल फटने की घटना हुई, तब गुफा के पास 10 से 15 हजार श्रद्दालु मौजूद थे। फिलहाल सेना के साथ ही एनडीआरएफ रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी हुई है। आखिर क्या है बादल का फटना और ऐसी घटनाएं पहाड़ी इलाकों में ही क्यों होती हैं? आइए जानते हैं। 

क्या होता है बादल का फटना?
मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो जब एक ही जगह पर अचानक बहुत सारा पानी गिर जाए तो उसे बादल का फटना कहते हैं। आसान भाषा में कहें तो पानी से भरे गुब्बारे में अगर पिन चुभा दी जाए तो उसका सारा पानी एक ही जगह स्पीड से गिरेगा। ठीक इसी तरह बादल जब एक ही जगह बहुत सारा पानी गिरा देते हैं तो उसे बादल का फटना कहा जाता है। 

Latest Videos

क्यों होती है बादल फटने की घटनाएं?
समुद्र से वाष्प जब उपर उठती है तो उसमें बहुत ज्यादा नमी होती है। कई बार ज्यादा नमी वाले बादल ऊंचे और पहाड़ी इलाकों में रुक जाते हैं। पहाड़ों की ऊंचाई के चलते वो ज्यादा आगे नहीं बढ़ पाते हैं। इसकी वजह से ऊंचाई वाले इलाकों में बादल फट जाते हैं, जिनसे 100 मिमी प्रति घंटे की रफ्तार से एक ही जगह पर बारिश होती है। पहाड़ों पर बादल फटने और तेज बारिश के चलते पानी अपने साथ मिट्टी, कीचड़ और पत्थरों के टुकड़े तेजी से बहाते हुए लाता है। ऐसे में इसके सामने आने वाली हर चीज खत्म हो जाती है। 

भारत में कब-कब हुईं बादल फटने की घटनाएं : 
- 26 नवंबर 1970 - हिमाचल प्रदेश में बादल फटने से एक मिनट में 1.5 इंच बारिश हुई थी। इसमें कई लोगों की जान चली गई थी।
- 6 अगस्त 2010 - जम्मू-कश्मीर के लेह में बादल फटने से एक मिनट के अंदर 1.9 इंच बारिश हुई। इसने भारी तबाही मचाई।  
- 16 जून 2013 - केदारनाथ धाम में बादल फटने से तेज बारिश हुई। इससे वहां ऊपरी इलाके में मौजूद ग्लेशियर फट गया। तेज बारिश और भूस्खलन के बाद ढलान में तेजी से बढ़ते मलबे ने अपने रास्ते में आने वाली हर चीज तबाह कर दी। इस हादसे में करीब 6 हजार लोग मारे गए थे। 
11 मई 2016 : शिमला के पास सुन्नी में बादल फटा। इससे भारी तबाही मची थी। 
14 अगस्त 2017- पिथौरागढ़ के पास मांगती नाला में फटने से 4 लोगों की मौत हो गई थी। 
फरवरी, 2021 - फरवरी में चमोली में ग्लेशियर फटने की वजह से धौलीगंगा नदी में बाढ़ आ गई थी। 54 शव बरामद किए गए थे और सैकड़ों की संख्या में लोग लापता हो गए थे। 
24 अप्रैल, 2021 - उत्तराखंड के चमोली जिले के नीती घाटी के सुमना में बर्फबारी के बाद ग्लेशियर टूटने (Glacier Burst) से भारी तबाही हुई। 

ये भी देखें : 

अमरनाथ यात्रा: जानें कब-कब प्रकृति के प्रकोप का शिकार हुए श्रद्धालु, 53 साल पहले इस वजह से हुई थी 100 की मौत

Amarnath Yatra 2022: क्या है अमरनाथ यात्रा, कैसे मिली बाबा बर्फानी की गुफा और क्यों है इसका महत्व, जानें सबकुछ

Share this article
click me!

Latest Videos

कौन सी चीज को देखते ही PM Modi ने खरीद डाली। PM Vishwakarma
कोलकाता केसः डॉक्टरों के आंदोलन पर ये क्या बोल गए ममता बनर्जी के मंत्री
घूंघट में महिला सरपंच ने अंग्रेजी में दिया जोरदार भाषण, IAS Tina Dabi ने बजाई तालियां
PM Modi LIVE: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में जनसभा को संबोधित किया
कांग्रेस को गणपति पूजा से भी है नफरत #Shorts