
Delhi Riots 2020 Latest Updates: 2020 में हुए दिल्ली दंगों की साजिश से जुड़े केस में मंगलवार 2 सितंबर को दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान अदालत ने उमर खालिद, शरजील इमाम और 7 अन्य आरोपियों की जमानत याचिका खारिज कर दी। जस्टिस नवीन चावला और जस्टिस शैलिंदर कौर की बेंच ने फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों की अर्जी रद्द कर दी। बता दें कि आरोपियों को फरवरी 2020 में दिल्ली दंगों के दौरान हुई हिंसा में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया गया था। क्या है दिल्ली दंगा, सवाल-जवाब में जानते हैं इससे जुड़ी हर एक चीज।
जवाब- फरवरी, 2020 में हुए दिल्ली दंगे में ताहिर हुसैन, उमर खालिद, गुलफिशा फातिमा, शिफा-उर-रहमान, आसिफ इकबाल तल्हा, शादाब अहमद, खालिद सैफी, इशरत जहां, मीरान हैदर, तस्लीम अहमद, सलीम मलिक, मोहम्मद सलीम खान, सैफूरा जरगर, शरजील इमाम, फैजान खान, अतहर खान और नताशा नारवाल को आरोपी बनाया गया है।
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जवाब- दिल्ली दंगा केस में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने सभी आरोपियों के खिलाफ FIR नंबर 59/2020 दर्ज की थी। इस केस में जिन आरोपियों ने जमानत याचिका लगाई थी, उनमें जेएनयू के पूर्व स्टूडेंट शरजील इमाम, उमर खालिद, अतहर खान, मोहम्मद सलीम खान, अब्दुल खालिद सैफी, शिफा-उर-रहमान, मीरान हैदर, गुलफिशा फातिमा और शादाब अहमद शामिल हैं।
जवाब- सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जुलाई 2025 की सुनवाई में कहा था कि दिल्ली दंगे देश की राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा (UAPA) मामला है, जिसमें लंबे समय तक हिरासत में रहना जमानत पाने का आधार नहीं बन सकता। इस दौरान पुलिस ने शरजील इमाम के भड़काऊ भाषणों का जिक्र किया, जिसमें वो 'चिकन नेक' को काटने की बात कर रहा है, ताकि असम समेत नॉर्थ-ईस्ट के राज्यों को बाकी देश से अलग किया जा सके। इसके अलावा उमर खालिद पर 23 अलग-अलग जगहों पर विरोध प्रदर्शन के आरोप थे। सुनवाई के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने शरजील इमाम, उमर खालिद और अन्य की जमानत याचिकाओं पर 9 जुलाई को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
जवाब- दिल्ली दंगों में शरजील इमाम और उमर खालिद के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) व भारतीय दंड संहिता के तहत मामला दर्ज किया गया था। शरजील इमाम को जहां 25 अगस्त 2020 को अरेस्ट किया गया, वहीं उमर खालिद की गिरफ्तारी सितंबर 2020 में हुई थी।
जवाब- दिल्ली दंगे फरवरी 2020 में हुए सांप्रदायिक दंगे थे, जो मुख्यतः नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के समर्थकों और विरोधियों के बीच हुए थे। इन दंगों में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भीषण हिंसा, आगजनी और जान-माल का नुकसान हुआ था। दिल्ली पुलिस का आरोप था कि साजिशकर्ताओं ने तमाम व्हाट्सएप ग्रुप्स, स्पीचेस और मीटिंग्स के जरिए दंगे की प्लानिंग की, ताकि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बदनाम किया जा सके।
जवाब- दिल्ली दंगों में हिंसा फैलने का सबसे बड़ा कारण भड़काऊ भाषण और सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान बढ़ रहा तनाव था। कुछ पॉलिटिकल लीडर्स पर भीड़ को उकसाने के आरोप भी लगे। इसमें आप पार्टी के तत्कालीन पार्षद ताहिर हुसैन का नाम सबसे आगे था। बाद में असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM ने ताहिर को दिल्ली चुनाव में मुस्तफाबाद सीट से टिकट दिया। हालांकि, वो सिर्फ 33474 वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे।
जवाब- दिल्ली दंगों के दौरान 53 लोग मारे गए जबकि 700 से ज्यादा घायल हुए। इस केस में अभियोजन पक्ष ने आरोपियों की जमानत याचिका का कड़ा विरोध करते हुए कहा- ये अचानक भड़के दंगे नहीं बल्कि पहले से प्लानिंग के तहत की गई हिंसा का मामला है।
जवाब- उमर खालिद और शरजील इमाम, ऐसे कार्यकर्ता हैं जिन पर अधिकारियों ने 2020 के दिल्ली दंगों की साजिश के मामले में "मास्टरमाइंड" होने का आरोप लगाया है। इन दोनों को भी जमानत नहीं दी गई है और ये UAPA कानून के तहत जेल में बंद हैं।
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2 सितंबर, 2025 को उमर खालिद, शरजील इमाम और कई अन्य आरोपियों को दिल्ली दंगों की साजिश के एक बड़े मामले में बिना किसी ट्रायल के 5 साल से ज्यादा समय तक हिरासत में रखने के बाद जमानत देने से इनकार कर दिया।
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