क्या है वो मामला, जिसके चलते पी चिदंबरम के खिलाफ जारी हुआ लुकआउट नोटिस

सीबीआई ने 15 मई, 2017 को एक एफआईआर दर्ज की थी। आरोप लगा कि विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने आईएनएक्स मीडिया को 2007 में वित्त मंत्री के तौर पर पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान विदेश से 305 करोड़ रुपए फंड देने के लिए क्लियरेंस देने में अनियमितता की थी। 
 

Asianet News Hindi | Published : Aug 21, 2019 7:17 AM IST / Updated: Aug 21 2019, 02:58 PM IST

नई दिल्ली. कांग्रेस नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने आईएनएक्स मीडिया मामले में लुकआउट नोटिस जारी किया है। चिदंबरम ने अंतरिम जमानत के लिए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को उनकी जमानत याचिका ठुकरा दी थी। कांग्रेस नेता और उनके बेटे कार्ति पर भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप हैं। सीबीआई ने 15 मई 2017 को एक एफआईआर दर्ज की गई थी। आरोप लगाया कि विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने आईएनएक्स मीडिया को 2007 में वित्त मंत्री के तौर पर पी चिदंबरम के कार्यकाल के दौरान विदेश से 305 करोड़ रुपए फंड देने के लिए क्लियरेंस देने में अनियमितता की थी। आईएनएक्स की प्रमोटर इंद्राणी मुखर्जी इस मामले में सरकारी गवाह बन गईं। 

कैसे खुला मामला ?
आईएनएक्स मीडिया केस का खुलासा 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के दौरान हुआ, जब एयरसेल-मैक्सिस डील की जांच चल रही थी। मनी लॉन्ड्रिंग की जांच कर रही ईडी का ध्यान मैक्सिस से जुड़ी कंपनियों से कार्ति चिदंबरम से जुड़ी कंपनियों में पैसे आने पर गया। यहीं से कार्ति का नाम सामने आया। 

पी चिदंबरम का नाम कैसे आया ?

चिदंबरम का नाम तब आया, जब ईडी ने आईएनएक्स मीडिया के प्रमोटर इंद्राणी मुखर्जी और उनके पति पीटर मुखर्जी से पूछताछ की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इंद्राणी मुखर्जी ने जांच अधिकारियों को बताया कि चिदंबरम ने एफआईपीबी मंजूरी के बदले बेटे कार्ति को विदेशी धन के मामले में मदद करने की बात कही थी। 

2017 
15 मई: सीबीआई ने एफआईआर दर्ज की। विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) में अनियमितता का आरोप लगाते हुए आईएनएक्स मीडिया को 2007 में 305 करोड़ रुपए की विदेशी धनराशि प्राप्त करने के लिए विदेशी मीडिया को मंजूरी दी गई। तब पी चिदंबरम वित्त मंत्री थे। 
16 जून: कार्ति के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर (एलओसी) जारी हुआ। यह एक सर्कुलर लेटर होता है, जिसका इस्तेमाल किसी आरोपी व्यक्ति को देश से बाहर जाने से रोकने के लिए किया जाता है।
10 अगस्त: मद्रास उच्च न्यायालय ने कार्ति और चार अन्य के खिलाफ जारी किए गए लुकआउट सर्कुलर पर रोक लगाई।
14 अगस्त: सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश को बरकरार रखा, जिसमें कार्ति के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया गया था। 
18 अगस्त : सुप्रीम कोर्ट ने कार्ति को 23 अगस्त को सीबीआई के सामने पेश होने के लिए कहा। 
22 सितंबर: सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कार्ति को विदेश यात्रा से रोका गया था, क्योंकि वह कथित रूप से अपने कई विदेशी बैंक खातों को बंद कर रहे थे।  
9 अक्टूबर: कार्ति ने अपनी बेटी को कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में दाखिला लेने के लिए यूनाइटेड किंगडम जाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी मांगी और यह बताया कि वह वहां किसी भी बैंक में नहीं जाएंगे।
9 अक्टूबर: पी चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार उनके और उनके बेटे के खिलाफ राजनीति से प्रेरित बदला ले रही है। 
20 नवंबर: सुप्रीम कोर्ट ने बेटी के एडमिशन के लिए कार्ति को यूके जाने की अनुमति दी। 
8 दिसंबर: एयरसेल-मैक्सिस सौदे के मामले में कार्ति ने सीबीआई द्वारा उनके खिलाफ जारी समन को चुनौती दी।

2018
16 फरवरी: कार्ति के एस एस भास्कररमन को कथित रूप से भारत और विदेशों में उनकी बेहिसाब संपत्ति का प्रबंधन करने में मदद करने के लिए गिरफ्तार किया गया। 
28 फरवरी: कार्ति को सीबीआई ने चेन्नई एयपोर्ट पर गिरफ्तार किया और दिल्ली ले आई। दिल्ली की अदालत ने उन्हें एक दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया। 
23 मार्च: कार्ति को 23 दिनों के बाद जमानत मिली। 
25 जुलाई: उच्च न्यायालय ने पी चिदंबरम को गिरफ्तारी से इंटरिम-प्रोटेक्शन दिया। 
11 अक्टूबर: ईडी ने आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग केस के सिलसिले में भारत, ब्रिटेन और स्पेन में कार्ति चिदंबरम की 54 करोड़ रुपये की संपत्ति अटैच की।

2019 
5 जुलाई : अदालत ने इंद्राणी मुखर्जी को सरकारी गवाह बनने की इजाजत दी।
1 अगस्त: ईडी ने कार्ति को नई दिल्ली में जोर बाग घर खाली करने के लिए कहा, जिसे पहले एजेंसी द्वारा अटैच किया गया था। 
20 अगस्त: दिल्ली उच्च न्यायालय ने पी चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी।

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