जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पुलवामा के नदीमर्ग में 19 साल पहले हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का केस दोबारा खोलने का आदेश दिया है। बता दें कि हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई 15 सितंबर, 2022 को करेगा। आखिर क्या है नदीमार्ग नरसंहार और किस तरह कश्मीरी हिंदुओं के साथ आतंकियों ने की थी बर्बरता, जानते हैं।
Nadimarg Genocide: जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट ने पुलवामा के नदीमर्ग में 19 साल पहले हुए कश्मीरी पंडितों के नरसंहार का केस दोबारा खोलने का आदेश दिया है। 23 मार्च, 2003 की रात नदीमर्ग में सेना की वर्दी पहनकर आए लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों ने 24 कश्मीरी पंडितों को एक लाइन में खड़ा करके गोली मार दी थी। इनमें 11 महिलाओं के अलावा दो साल का एक बच्चा भी शामिल था।
पुलवामा सेशन कोर्ट में 7 लोगों के खिलाफ पेश की गई थी चार्जशीट :
इस नरसंहार के बाद जैनापुर में FIR दर्ज की गई थी। पुलवामा सेशन कोर्ट में 7 लोगों के खिलाफ चार्जशीट पेश की गई थी। बाद में केस को शोपियां सेशन कोर्ट में शिफ्ट कर दिया गया था। ट्रायल में हो रही देरी के बाद प्रॉसिक्यूशन ने दलील दी थी कि इनमें से कई गवाह कश्मीर से बाहर जा चुके हैं और खतरे की वजह से बयान देने के लिए नहीं आना चाहते हैं।
सेशन कोर्ट ने पहले खारिज कर दी थी याचिका :
सेशन कोर्ट ने 9 फरवरी, 2011 को इस केस के गवाहों के बयान कमीशन के जरिए लेने की मांग खारिज कर दी थी। इसके बाद प्रॉसिक्यूशन ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट क्रिमिनल रिवीजन पिटीशन दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने 21 दिसंबर 2011 को इस याचिका को बिना कोई कारण बताए खारिज कर दिया था। 2014 में राज्य सरकार ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। साथ ही मामले की नए सिरे से सुनवाई के लिए या वैकल्पिक रूप से मामले को जम्मू की किसी अदालत में ट्रांसफर करने की मांग की, ताकि विस्थापित गवाह बिना किसी डर के कोर्ट में अपनी बात रख सकें। लेकिन कोर्ट ने इस मांग को खारिज कर दिया।
अब 15 सितंबर, 2022 को होगी सुनवाई :
इसके बाद राज्य ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने मामला दोबारा खुलवाने के लिए जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट में पिटीशन लगाने के लिए कहा। अब हाईकोर्ट के जस्टिस संजय धर ने यह आदेश वापस लेते हुए केस को दोबारा से खोले जाने की याचिका को मंजूर कर लिया है। हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई 15 सितंबर, 2022 को करेगा।
क्या है नदीमर्ग नरसंहार मामला?
90 के दशक में कश्मीर घाटी में अलगाववादियों और आतंकियों ने कश्मीरी हिंदुओं को वहां से भागने के लिए मजबूर किया। जो कश्मीरी हिंदू घाटी छोड़ने को तैयार नहीं थे, उन पर अत्याचार किए गए। यहां तक कि आतंकियों ने 23 मार्च 2003 की रात नदीमर्ग में 24 कश्मीरी पंडितों को लाइन से खड़ा कर गोलियों से भून दिया था।
कश्मीरी हिंदुओं का नाम लेकर बाहर बुलाया और..
आतंकियों ने सभी कश्मीरी हिंदुओं को उनके नाम से बाहर बुलाया। इसके बाद सबके सामने महिलाओं के कपड़े फाड़े गए। फिर 24 कश्मीरी पंडितों को लाइन में इकट्ठा का गोलियों से भून डाला। बता दें कि इस घटना का जिक्र फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' में भी किया गया है।
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