
Presidential Suite Inside Details: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत यात्रा पर हैं। उनके रहने का इंतजाम प्रेसिडेंशियल सुइट में किया गया है। पुतिन ही नहीं जब भी बड़े ग्लोबल लीडर किसी देश जाते हैं, तो उनकी मीटिंग्स ही नहीं, बल्कि वे कहां ठहरते हैं, यह भी बड़ी खबर बन जाती है। अक्सर आप सुनते हैं कि कोई नेता 'प्रेसिडेंशियल सुइट' में ठहर रहा है। लेकिन सवाल कि इसे प्रेसिडेंशियल क्यों कहा जाता है? क्या इसमें सच में राष्ट्रपति जैसा कुछ होता है? ये बाकी लग्जरी रूम से कैसे अलग है? इस आर्टिकल में आसान भाषा में समझिए इस नाम का इतिहास क्या है, इसमें क्या-क्या सुविधाएं होती हैं और क्यों हर VIP विजिट में यह कमरा ही चुना जाता है।
प्रेसिडेंशियल सुइट का नाम अमेरिका से निकला है। 1913–1921 के दौरान अमेरिका के राष्ट्रपति वुडरो विल्सन को यात्रा के दौरान खास सुविधाओं की जरूरत पड़ती थी, जैसे अटैच बाथरूम, वॉक-इन क्लोसेट और अलग प्राइवेट स्पेस। उस समय होटल्स में ये सुविधाएं आम नहीं थीं। फिर होटलों ने ऐसे खास कमरे बनाए और उनका नाम ही प्रेसिडेंशियल सुइट (Presidential Suite)रख दिया। धीरे-धीरे दुनियाभर के लगभग हर बड़े होटल ने अपने सबसे प्रीमियम और सुरक्षित कमरे को इसी नाम से बुलाना शुरू कर दिया, चाहे उसमें राष्ट्रपति रहें या न रहें। आज प्रेसिडेंशियल सुइट होटल का सबसे शानदार, सबसे सुरक्षित और सबसे महंगा रूम है।
लग्जरी रूम रहने के लिए अच्छे होते हैं, लेकिन प्रेसिडेंशियल सुइट एक VIP की पूरी जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाया जाता है। लग्जरी रूम सिर्फ कम्फर्ट देते हैं। लेकिन प्रेसिडेंशियल सुइट कम्फर्ट, सिक्योरिटी, प्राइवेसी और मीटिंग स्पेस सब कुछ देता है। यह कमरे VIP प्रोटोकॉल के मुताबिक कस्टमाइज किए जाते हैं। यहां से गेस्ट बिना बाहर निकले अपने आधे आधिकारिक काम निपटा सकते हैं। इसीलिए जब भी कोई राष्ट्राध्यक्ष यात्रा करता है, चाहे अमेरिका का राष्ट्रपति हो, फ्रांस का PM हो या रूस का राष्ट्रपति, उन्हें प्रेसिडेंशियल सुइट ही दिया जाता है।