जानिए क्या है नारदा घोटाला....जिसने उड़ाई ममता सरकार की नींद; गिरफ्तार हुए टीएमसी के कई बड़े धुरंधर

बंगाल में 2016 विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग के टेप सार्वजनिक हुए थे। इन टेप में कथित तौर पर टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक कंपनी के प्रतिनिधियों से रुपए लेते हुए नजर आए थे। स्टिंग ऑपरेशन नारदा न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल ने किया था।

Asianet News Hindi | Published : May 17, 2021 10:55 AM IST

कोलकाता. प बंगाल में तीसरी बार मुख्यमंत्री बनी ममता बनर्जी के लिए नई मुसीबत सामने आ गई है। दरअसल, सीबीआई ने 6 साल पुराने नारद घोटाले में ममता सरकार में मंत्री फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी सहित टीएमसी विधायक मदन मित्रा और पूर्व भाजपा नेता सोवन चटर्जी को गिरफ्तार किया है। इन्हें पहले पूछताछ के लिए सीबीआई दफ्तर लाया गया था। उधर, सीबीआई की इस कार्रवाई के बाद तृणमूल कांग्रेस आग बबूला हो गई। आईए जानते हैं कि आखिर नारदा घोटाला क्या है, जिसने ममता सरकार की नींद उड़ा दी है?

- 5 साल पुराना है नारदा घोटाला
बंगाल में 2016 विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग के टेप सार्वजनिक हुए थे। इन टेप में कथित तौर पर टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक कंपनी के प्रतिनिधियों से रुपए लेते हुए नजर आए थे। स्टिंग ऑपरेशन नारदा न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल ने किया था। नेता ये पैसा काम कराने के एवज में लेते नजर आए थे। इस वीडियो में कथित तौर पर तृणमूल कांग्रेस के सात सांसदों, तीन मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी नजर आए थे।
 
हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से ममला को मिली निराशा
ये टेप भाजपा दफ्तर से जारी किए गए थे। ऐसे में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टीएमसी इसे राजनीतिक साजिश बताती रही है। टीएमसी सीबीआई जांच रोकने के लिए इस मामले में हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट भी जा चुकी हैं, लेकिन अदालतों से ममता को झटका लगा। ऐसे में अब जब सीबीआई ने एक बार फिर मामले में जांच शुरू कर दी है, तब टीएमसी सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कर रही हैं। हालांकि, खास बात ये है कि इस मामले में कई ऐसे टीएमसी नेताओं के नाम भी हैं, जो अब भाजपा में आ चुके हैं। 

2016 में चुनावी मुद्दा बना था नारदा घोटाला
नारदा घोटाला 2016 चुनाव में काफी छाया रहा था। लेकिन इसका कोई ज्यादा असर देखने को नहीं मिला। ना ही इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में लगी भाजपा को राजनीतिक फायदा मिला। इसके बाद से यह मुद्दा गायब रहा। लेकिन ममता सरकार के तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद एक बार फिर इस मामले में सीबीआई ने अपनी कार्रवाई और जांच तेज कर दी है। 
 
इस महीने कैसे तेज हुई कार्रवाई

- नवंबर 2020 में ईडी ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन में पूछताछ के लिए तीन टीएमसी नेताओं को नोटिस भेजकर डॉक्युमेंट मांगे थे।
- 2021 विधानसभा चुनाव से पहले सीबीआई और ईडी के रडार पर कई टीएमसी नेता आए। 
- इसी साल 10 मई को नारदा स्टिंग घोटाले में राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने सीबीआई के अनुरोध पर तृणमूल कांग्रेस के चार बड़े नेताओं के खिलाफ केस चलाने की अनुमति दी। राज्यपाल ने संविधान के 163 और 164 आर्टिकल के तहत अधिकार का प्रयोग करते हुए अनुमति दी।
- 17 मई को सीबीआई ने नारदा घोटाले में फंसे ममता सरकार के मंत्री फिरहाद हकीम और सुब्रत मुखर्जी सहित टीएमसी विधायक मदन मित्रा और पूर्व भाजपा नेता सोवन चटर्जी को गिरफ्तार किया। 

धरने पर बैठीं ममता
उधर, ममता बनर्जी टीएमसी नेताओं की गिरफ्तारी के खिलाफ सीबीआई दफ्तर पहुंच गईं। उन्होंने सीबीआई नेताओं से कहा कि उन्हें भी गिरफ्तार किया जाए। उधर, टीएमसी कार्यकर्ताओं ने सीबीआई दफ्तर के सामने नारेबाजी और पथराव किया। इसके बाद यहां सुरक्षाबलों को तैनात किया गया। उधर, भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष ने कहा, ममता बनर्जी राज्य में अराजकता फैला रही हैं। उन्होंने ममता के खिलाफ केस भी दर्ज कराया है। 

Share this article
click me!