Exclusive: जब निराश होते थे योगीराज, तो कौन थे वो 2 लोग जो उन्हें करते थे मोटिवेट

रामलला की मूर्ति बनाने वाले अरुण योगीराज से एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा ने हाल ही में बातचीत की। इस दौरान योगीराज ने बताया कि जब वो निराश होते थे, तो कौन थे वे दो लोग जो उन्हें मोटिवेट करते थे। 

Ganesh Mishra | Published : Feb 12, 2024 12:51 PM IST

Arun Yogiraj Exclusive Interview: 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा हुई। रामलला की मूर्ति को मैसूरू के 41 वर्षीय मूर्तिकार अरुण योगीराज ने बनाया है। योगीराज ने हाल ही में एशियानेट न्यूज (Asianet News) के राजेश कालरा से बातचीत के दौरान बताया कि काम के दौरान वो जब भी निराश होते थे, तो वो दो लोग कौन थे जो उन्हें अक्सर मोटिवेट करते थे।

कौन थे वो 2 लोग जो योगीराज से मिलने अक्सर आते थे

अरुण योगीराज के मुताबिक, चंपत राय जी नियमित रूप से हमसे संपर्क करते थे और हमारे काम के बारे में पूछते रहते थे। इसके अलावा नृपेन्द्र मिश्रा जी भी स्टूडियो में आते थे और काम की जानकारी लेते थे। वे अक्सर रामलला के 5 साल के बालक रूप और मूर्ति की लंबाई को लेकर मुझसे सवाल पूछते थे। शुरुआत में परिणाम के बारे में मैं खुद नहीं जानता था, लेकिन मुझे अपने काम पर पूरा भरोसा था और मैं उसी दिशा में लगातार आगे बढ़ रहा था। चंपत जी बेहद शांत रहते थे और वो हमारी मेंटल हेल्थ को लेकर भी चिंतित रहते थे। साथ ही वो इस बात का भी ध्यान रखते थे कि सभी आर्टिस्ट कम्फर्टेबल रहें और उन्हें काम करने की पूरी आजादी मिले।

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भगवान परीक्षा लेते हैं, तुम्हें जीतकर आना है..

अरुण योगीराज के मुताबिक, जब मेरी बनाई गई मूर्ति की एक रिपोर्ट नेगेटिव आई तो मुझे बहुत निराशा हुई। मैं हमेशा खुद से कहता था कि इतना करीब आके भी मेरे साथ ऐसा क्यों हो गया। मैं सिलेक्ट होने के बेहद करीब था, लेकिन बीच में ऐसा क्यों हो गया। मैं उस वक्त बहुत निराश हुआ। जब ये बात चंपत राय जी को पता चली तो वे मुझसे मिलने आए और मुझे मॉरल सपोर्ट दिया। उन्होंने मुझसे कहा- हिम्मत मत हारो। भगवान परीक्षा लेते हैं, आपको जीतकर आना है।

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नृपेन्द्र मिश्रा जी ने मुझ पर जताया भरोसा

वहीं, नृपेन्द्र मिश्रा जी ने मुझसे कहा-आपको इसे दोबारा करना होगा और इस तरह उन्होंने मुझे अपने आप को साबित करने का एक और मौका दिया। मैं जानता था कि मैं ये कर सकता हूं, क्योंकि हमारे यहां पीढ़ी दर पीढ़ी नॉलेज ट्रांसफर होता आ रहा है। मेरे दादाजी से पिताजी को मिला और पिताजी से मेरे भीतर आया। मेरा काम एक नॉर्मल आर्टिस्ट की तुलना में बहुत ज्यादा फास्ट है, लेकिन वहां मेरे साथ कॉम्पिटीशन में दो और आर्टिस्ट काम कर रहे थे, इसलिए हालात अलग थे।

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यहां देखें पूरा Interview:

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