अलपन बंधोपाध्याय का जन्म 1961 में हुआ। उन्होंने स्कूली शिक्षिा नरेंद्रपुर रामकृष्ण मिशन से ली। उन्होंने काफी कम उम्र में तय कर लिया था कि वे आईएएस बनेंगे। जब उनके दोस्त इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बारे में सोच रहे थे, तब उन्होंने आर्ट्स लेने का फैसला किया। उनकी जुड़ाव उस वक्त लेफ्ट नेताओं से भी था।
कोलकाता. केंद्र की मोदी सरकार और प बंगाल की ममता सरकार एक बार फिर आमने सामने है। लेकिन इस बार राजनीतिक बयान या चुनाव को लेकर नहीं बल्कि एक आईएएस अफसर को लेकर। हम बात कर रहे हैं अलपन बंद्योपाध्याय की। एक पत्रकार से आईएएस अफसर बने बंद्योपाध्याय बंगाल के मुख्य सचिव थे, लेकिन उन्होंने अब इस्तीफा दे दिया है, वे अब मुख्यमंत्री ममता सरकार के मुख्य सचिव होंगे। आईए जानते हैं कि आखिर कौन हैं बंद्योपाध्याय ?
कौन हैं अलपन बंधोपाध्याय ?
अलपन बंधोपाध्याय का जन्म 1961 में हुआ। उन्होंने स्कूली शिक्षिा नरेंद्रपुर रामकृष्ण मिशन से ली। उन्होंने काफी कम उम्र में तय कर लिया था कि वे आईएएस बनेंगे। जब उनके दोस्त इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बारे में सोच रहे थे, तब उन्होंने आर्ट्स लेने का फैसला किया। उनकी जुड़ाव उस वक्त लेफ्ट नेताओं से भी था।
अलपन ने प्रेसिडेंसी कॉलेज से पॉलिटिकल साइंस में ग्रेजुएशन किया और फिर कलकत्ता यूनिवर्सिटी से पीजी। मास्टर डिग्री लेने के बाद अलपन ने पत्रकारिता में करियर की शुरुआत की और 1983 में एबीपी ग्रुप में नौकरी की। 1987 में अलपन ने आईएएस की परीक्षा पास की। उनके बड़े भाई अंजन बंधोपाध्याय भी पत्रकार थे और हाल ही में कोरोना की वजह से उनकी मौत हुई है।
कानून के पक्के हैं अलपन
अलपन नियम कानून के पक्के माने जाते हैं। काफी कम बोलते हैं और चुपचाप काम करत हैं। 31 मई को उनके कार्यकाल का आखिरी दिन था। लेकिन ममता ने कोरोना से निपटने में उनके अनुभव को देखते हुए कार्यकाल को तीन महीने का विस्तार दिया था। अलपन बंधोपाध्याय ही केंद्र के साथ बैठक में राज्य का प्रतिनिधित्व करते रहे हैं।
अलपन कम बोलते हैं। लेकिन वे अच्छे वक्ता हैं। वे सबके साथ अच्छे व्यवहार रखने के लिए जाने जाते हैं। यहां तक की जब ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ में विवाद चल रहा है, लेकिन अलपन और धनखड़ के बीच अच्छे रिश्ते हैं। बुद्धदेव भट्टाचार्य की सरकार रहते भी अलपन के लेफ्ट नेताओं से अच्छे संबंध रहे हैं।