NGO से दिल्ली की सीएम तक कैसा रहा आतिशी का सफर, जानें कब जुड़ीं आप से

आम आदमी पार्टी की विधायक दल की बैठक में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की नई मुख्यमंत्री की घोषणा कर दी है। केजरीवाल और सिसोदिया की गिरफ्तारी के बाद से पार्टी का नेतृत्व कर रहीं आतिशी को नया मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया है।

नेशनल न्यूज। आम आदमी पार्टी की विधायक दल की बैठक में अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली की नई मुख्यमंत्री की घोषणा कर दी है। विधायक दल की बैठक में आप की वरिष्ठ नेताओं में शामिल आतिशी मारलेना को नई सीएम बनाने का निर्णय लिया गया है। केजरीवाल और डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद से वे ही पार्टी की बागडोर संभाल रही थीं। सरकार के प्रति किए कार्यों की वह जिम्मेदारी भी ले रही थीं। आतिशी का राजनीतिक करिअर बहुत लंबा नहीं है लेकिन वह पार्टी में प्रमुख स्थान रखती हैं। सीएम बनाने को लेकर कई नाम चर्चा में थे जिनमें केजरीवाल की पत्नी सुनीता केजरीवाल भी शामिल थीं। 

एनजीओ में काम करते हुए प्रशांत भूषण से मिलीं
आतिशी का शुरू से ही समाज सेवा में काफी रुझान था। वह स्कूल में शिक्षिका थीं और बच्चों को पढ़ाने और उनका सामाजिक स्तर बढ़ाने के प्रयास में रहती थीं। वह भोपाल के एक एनजीओं में काम करती थीं। इस दौरान किसी कार्यक्रम में उनकी मुलाकात प्रशांत भूषण से हुई। उनके संपर्क में आने के बाद आतिशी ने पहली बार राजनीति में कदम रखा। 2013 में उन्होंने आप ज्वाइन किया। 

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अन्ना आंदोलन का सक्रिय चेहरा रहीं
आतिशी अन्ना आंदोलन में सक्रिय सदस्य के रूप में कार्यरत रहीं। धरना प्रदर्शन के दौरान आप में शामिल ज्यादातर लोगों को जानती थीं। इससे पहले वह ऑर्गेनिक फॉर्मिंग और शिक्षा व्यवस्था से जुड़े कार्यों में एनजीओ के जरिए सक्रिय रहीं।

2019 में लड़ा पहला चुनाव, 2023 में बनीं शिक्षा मंत्री
वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में आप ने आतिशी को पूर्वी दिल्ली से अपना उम्मीदवार बनाया था। उन्हें चुनाव में जीत हासिल हुई थी। इससे पहले  2015 से 2018 तक वह दिल्ली के तत्कालीन शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया की सलाहकार पद पर कार्यरत थीं। इसके बाद राजनीति में सक्रिय भूमिका में आने के बाद 2023 में उन्हें शिक्षा मंत्री बना दिया गया। 11 साल के राजनीतिक सफर वाली आतिशी को दिल्ली के सीएम का पद सौंपा जा रहा है। 

आतिशी का कोई राजनीति बैकग्राउंड नहीं
आतिशी के पिता विजय कुमार सिंह दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे। उनके परिवार में कोई भी राजनीतिक परिवेश से नहीं है। ऐसे में उनका राजनीति में आना एक संयोग ही है क्योंकि वह खुद भी पिता की तरह ही शिक्षिका थीं। आंध्र प्रदेश के ऋशि वैली स्कूल में पढ़ाती थीं।

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