कौन हैं न्यायमूर्ति संजीव खन्ना? जिन्हें CJI चंद्रचूड़ ने चुना अपना उत्तराधिकारी

जस्टिस संजय खन्ना भारत के 51वें मुख्य न्यायाधीश बनने के लिए तैयार हैं। 6 महीने के छोटे कार्यकाल के बावजूद, उनके फैसले और सिद्धांत न्यायपालिका पर गहरा प्रभाव डाल सकते हैं। जानिए उनके करियर और प्रमुख फैसलों के बारे में।

न्यायमूर्ति संजय खन्ना अब जल्द ही भारतीय न्यायपालिका के 51वें मुख्य न्यायाधीश बन सकते हैं। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने उन्हें अपने उत्तराधिकारी के रूप में केंद्र सरकार को नामित किया है। 10 नवंबर 2024 को सीजेआई चंद्रचूड़ के रिटायर होने के बाद, 11 नवंबर को संजीव खन्ना इस पद को संभाल सकते हैं। लेकिन, खास बात यह है कि उनका कार्यकाल केवल 6 महीने का होगा, क्योंकि 13 मई 2025 को न्यायमूर्ति खन्ना भी सेवानिवृत्त हो जाएंगे।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना कौन हैं?

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न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, भारतीय न्यायपालिका में एक बहुत ही सम्मानित और प्रतिष्ठित नाम हैं। उनका फैमिली बैकग्राउंड भी न्यायिक क्षेत्र से जुड़ा हुआ है। उनके रिश्तेदार न्यायमूर्ति हंसराज खन्ना का नाम इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है, जिन्होंने आपातकाल के दौरान सरकार के खिलाफ स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए खड़े होकर अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का करियर

सुप्रीम कोर्ट में न्यायमूर्ति खन्ना की जर्नी जनवरी 2019 से शुरू हुई थी, जब उन्हें शीर्ष अदालत में नियुक्त किया गया। इससे पहले, उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट में 14 साल तक सेवा दी, जहां उन्होंने कई महत्वपूर्ण और जटिल मामलों में निर्णय दिए। उनकी विशेषज्ञता खासतौर पर कराधान (Taxation) और व्यापारिक कानूनों (business laws) में रही है।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के प्रमुख फैसले

न्यायमूर्ति खन्ना का नाम हाल के कुछ चर्चित फैसलों से भी जुड़ा है। कुछ महीनों पहले, उनकी पीठ ने आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह को नियमित जमानत और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी, जो दिल्ली शराब घोटाले से संबंधित था। इसके अलावा, 2024 में उन्होंने एक याचिका खारिज की जिसमें ईवीएम और वीवीपैट के 100% मिलान की मांग की गई थी और उन्होंने भारतीय चुनाव आयोग पर भरोसा बनाए रखने पर जोर दिया। इसके अलावा, उनकी पीठ ने हाल ही में चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सरकार की तेजी की आलोचना करते हुए, चुनावी बॉन्ड योजना की संवैधानिक वैधता को समाप्त किया और अनुच्छेद 370 के उन्मूलन को भी बरकरार रखा।

न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के सिद्धांत उन्हें बनाते हैं प्रभावशाली

मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका कार्यकाल भले ही छोटा हो, लेकिन न्यायमूर्ति संजीव खन्ना का एक्सपीरिएंस और ज्यूडिशियल अप्रोच भारतीय न्यायपालिका में गहरे और स्थायी प्रभाव डाल सकता है। उनका न्यायिक करियर उनके महत्वपूर्ण फैसले और उनके सिद्धांत उन्हें एक मजबूत और प्रभावशाली मुख्य न्यायाधीश बनाते हैं।

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