भगवान राम पर अपमानजनक टिप्पणी करने वाले प्रोफेसर लिख चुके हैं राम मंदिर पर विवादित किताब, जानिए पूरी कहानी...

Published : Jan 22, 2023, 07:07 PM ISTUpdated : Jan 23, 2023, 12:09 AM IST
KS Bhagwan

सार

कर्नाटक के लेखक एवं रिटायर्ड प्रोफेसर केएस भगवान के बयान ने बवाल खड़ा दिया है। राम के प्रति आस्था रखने वालों की भावनाओं को आहत करते हुए केएस भगवान ने प्रभु श्रीराम को शराबी बता दिया है।

Lord Ram controversy: कर्नाटक के लेखक एवं रिटायर्ड प्रोफेसर केएस भगवान के बयान ने बवाल खड़ा दिया है। राम के प्रति आस्था रखने वालों की भावनाओं को आहत करते हुए केएस भगवान ने प्रभु श्रीराम को शराबी बता दिया है। उन्होंने राम को दिन भर शराब पीने वाला, पत्नी को वन भेजकर परवाह न करने वाला बताया है। प्रोफेसर के इस बयान पर दक्षिणपंथी संगठनों ने जबर्दस्त प्रतिक्रिया दी है।

कौन हैं प्रो.केएस भगवान?

सेवानिवृत्त प्रोफेसर केएस भगवान एक लेखक भी हैं। वह मांड्या जिले के रहने वाले हैं। प्रोफेसर अतीत में हिंदू धर्म के खिलाफ अपनी टिप्पणी के लिए भी विवादों में रहे हैं। पिछले साल फरवरी में, बेंगलुरु की एक महिला द्वारा उन पर स्याही फेंकी गई थी। महिला ने दावा किया था कि भगवान ने हिंदू धर्म का अपमान किया है। पिछले साल जनवरी में राम मंदिर पर उनकी विवादास्पद पुस्तक को कर्नाटक पुस्तक चयन समिति ने हटा दिया था। समिति ने पहले भगवान की पुस्तक 'राम मंदिर येके बेदा' का चयन किया था। तब लोगों ने इस पर आपत्ति जताई थी। दरअसल, दक्षिणपंथी संगठनों ने भगवान राम की छवि को खराब तरीके से चित्रित करने के लिए लेखक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन भी किया था। केएस भगवान ने अपनी किताब में यह दावा किया था कि राम भगवान नहीं हैं।

प्रभु श्रीराम के बारे में क्या कहा प्रोफेसर ने?

कर्नाटक के पूर्व प्रोफेसर ने भगवान राम के बारे में अपमानजनक टिप्पणी की है। प्रो.केएस भगवान ने कहा, "राम राज्य के निर्माण के बारे में बात हो रही है ... यदि कोई वाल्मीकि की रामायण के उत्तर कांड को पढ़ता है, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि (भगवान) राम आदर्श नहीं थे। उन्होंने 11,000 वर्षों तक शासन नहीं किया बल्कि केवल 11 वर्षों तक शासन किया। भगवान राम दोपहर में सीता के साथ बैठते थे और शेष दिन पीते थे ... उन्होंने अपनी पत्नी सीता को जंगल में भेज दिया और उनकी परवाह नहीं की ... उन्होंने शंबूक का सिर काट दिया। शंबूक एक शूद्र था जो एक पेड़ के नीचे तपस्या कर रहा था। वह आदर्श कैसे हो सकता है?"

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