कौन है असली 'गब्बर'- योग-मेडिटेशन और पहाड़ की बातों से बढ़ाई मजदूरों की हिम्मत, देखें PM मोदी से बातचीत का खास वीडियाे

उत्तरकाशी के सिलक्यारा टनल हादसे में भारत को बहुत बड़ी सफलता मिली है। सुरंग में फंसे सभी 41 मजदूरों को सही सलामत बाहर निकाल लिया गया और सभी का मेडिकल चेकअप कराया गया।

 

Tunnel Worker Gabbar Singh. सिलक्यारा टनल हादसे के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता में एक नहीं दो नहीं बल्कि कई लोगों का बड़ा योगदान है। सारी रेस्क्यू टीम, सरकारी मशीनरी का तुरंत फैसले लेना, श्रमिकों तक खाना-ऑक्सीजन पहुंचाना। पहाड़ की खुदाई, ड्रिलिंग करने वाले लोग, पाइप बिछाने वाले वर्कर सभी की अपनी भूमिका है और सभी देश के हीरो हैं। इन सबके बीच उन 41 श्रमिकों के जज्बे को भी सलाम करना चाहिए, जिन्होंने 17 दिन तक जिंदगी से हार नहीं मानी। वे 41 मजदूर एक-दूसरे को हिम्मत देते रहे। यही हौसला और विश्वास ही था, जिसने घोर निराशा में भी उम्मीद की किरण जगा दी। ऐसे ही एक श्रमिक हैं गब्बर सिंह, जिन्होंने कुछ बातें कहीं, जिसकी खूब चर्चा हो रही है।

कैसे बीता 17 दिनों का संघर्ष

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गब्बर सिंह नेगी एक ऐसे ही श्रमिक हैं, जिन्होंने सभी लोगों को संभालने का बड़ा काम किया। वे मजबूत लीडर के तौर पर लोगों को संभालते रहे। जमीन के 200 फीट नीचे और करीब 400 घंटे की वह अंधेरे सुरंग की जिंदगी में कैसे गब्बर सिंह ने लोगों को हिम्मत दी। गब्बर बताते हैं कि उन्होंने अपने साथियों को योगा और मेडिटेशन कराया ताकि वे मेंटली और फिजकली फिट रहें। गब्बर सिंह नेगी ने बाहर निकलने से पहले जो कहा, उसकी तारीफ सभी लोग कर रहे हैं।

 

 

मैं सीनियर हूं सबसे लास्ट में निकलूंगा

जब टीम सभी मजदूरों को बारी-बारी सुरंग से बाहर निकालने लगी तो गब्बर सिंह ने कहा कि मैं सबसे सीनियर हूं, इसलिए सबके बाहर निकलने के बाद लास्ट में निकलूंगा। यह बातें रेस्क्यू टीम को भी प्रभावित कर गईं। गब्बर के भाई बताते हैं कि हम खुश हैं, हमारा परिवार खुश है, पूरा देश खुश है। श्रमिकों के परिवार के लोग 2 सप्ताह से जिस पीड़ा से गुजरे हैं, वह किसी से छिपा नहीं है लेकिन गब्बर जैसे लोग होते हैं, जो निराशा में भी आशा की उम्मीद बन जाते हैं।

17 दिनों बाद टनल रेस्क्यू को सफलता

जैसा की आप जानते हैं केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चार धाम परियोजना का हिस्सा सिल्कयारा सुरंग 12 नवंबर को भूस्खलन के कारण ढह गई थी। सुरंग के अंदर 41 मजदूर फंस गए थे। 12 नवंबर से ही मजदूरों को बचाने का अभियान चल रहा था। इसमें बार-बार रुकावट आ रही थी। मजदूर 17 दिन फंसे रहे। मंगलवार की रात आखिरकार सभी को सकुशल बाहर निकाल लिया गया।

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