Karnataka: पर्यावरणवादियों की बड़ी जीत, पेड़ों की कटाई पर लगी रोक

इसे नागरिकों और शहरी संरक्षणवादियों के लिए जीत ही कहा जाएगा। क्योंकि पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने की नागरिकों की मांग को मान लिया गया है।
 

Manoj Kumar | Published : Jun 13, 2022 2:32 PM IST / Updated: Jun 13 2022, 08:08 PM IST

बेंगलुरू. कर्नाटक में शहरी पर्यावरण संरक्षणवादियों और नागरिक कार्यकर्ताओं की बड़ी जीत हुई है। वन्यजीव उत्साही जिन्होंने सिंगनायकनहल्ली झील में पेड़ों की कटाई के लिए लड़ाई लड़ी, उनको जीत मिली है। वन विभाग व लघु सिंचाई विभाग ने पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है। कर्नाटक के येलहंका में सिंगनायकनहल्ली झील के विकास के लिए करीब 6,000 से अधिक पेड़ों की कटाई की आवश्यकता थी।

हालांकि लघु सिंचाई (एमआई) विभाग ने दावा किया कि उन्हें मौखिक रुप से कर्नाटक टैंक संरक्षण और विकास प्राधिकरण (केटीसीडीए) से अनुमति मिल चुकी है। 6,316 पेड़ों को काटकर झील का जीर्णोद्धार का दावा केटीसीडीए के अधिकारियों ने खारिज कर दिया है। महामारी के बीच ही कर्नाटक सरकार ने 6316 को पूरी तरह से काटने की घोषणा की थी। 

नम्मा बेंगलुरु फाउंडेशन ने शहरी संरक्षणवादियों की टीम का नेतृत्व किया जिसमें नागरिक, वैज्ञानिक, कलाकार, नागरिक कार्यकर्ता, वन्यजीव उत्साही और वन्यजीव फोटोग्राफर शामिल रहे। सभी ने सिंगनायकनहल्ली झील का दौरा किया। समूह को यह जानकर सुखद आश्चर्य हुआ कि झील के किनारे आत्मनिर्भर तरीके से पारिस्थितिक क्षेत्र विकसित हुआ है। वे घने घने जंगल जैसे पत्ते और पूर्ण विकसित वृक्षों को पाकर चकित रह गए। यहां विभिन्न पक्षियों, चिड़ियों के घोंसलों, पतंगों और तितलियों का झुंड भी पाया गया।

यहां परह चित्तीदार मोर भी मिले जो धरती पर अनुसूची 1 वन्यजीव प्रजाति हैं। उन्होंने यह भी पाया कि क्षेत्र में पक्षियों की कुछ लुप्तप्राय प्रजातियां हैं लेकिन यह जंगल उन सभी के लिए आबाद रहा है। यह जीवंत निवास स्थान बन गया है। इस क्षेत्र में एक बड़ा घास का मैदान भी है जहां पड़ोसी गांव के मवेशी चरते हैं। इस भूमि में रुचि और प्राकृतिक वनस्पतियों के बीच पोंगम के पौधे लगाए जो दिखाई दे रहे हैं। जबकि नम्मा बेंगलुरु फाउंडेशन और उसके सहयोगियों ने झील का पूरा समर्थन किया है। 

नम्मा बेंगलुरु फाउंडेशन और उसके नागरिक समूहों, स्वयंसेवकों ने लघु सिंचाई विभाग से आग्रह किया था कि पेड़ों की कटाई न की जाए।  कर्नाटक के मुख्यमंत्री, सरकार के प्रधान सचिव (ई एंड ई), वन विभाग, पारिस्थितिकी और पर्यावरण सहित कर्नाटक जैव विविधता बोर्ड के अध्यक्ष ने भी इस मामले में दिलचस्पी दिखाई। बोर्ड ने कर्नाटक जैव विविधता समिति के सदस्यों को झील का निरीक्षण करने का निर्देश दिया। इसके लिए हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया जिसमें करीब 10000 लोगों ने हस्ताक्षर किए। 

क्या है नम्मा फाउंडेशन
नम्मा बेंगलुरू फाउंडेशन स्थित गैर सरकारी संगठन है, जो बेंगलुरु की रक्षा के लिए दृढ़ संकल्प के साथ काम करता है। वहव नागरिकों के अधिकारों की वकालत करता है और नागरिकों की साझेदारी से काम करता है। यह बेहतर बेंगलुरु के लिए सक्रिय रहता है। फाउंडेशन नागरिकों के भाग लेने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। साथ ही शहर की योजना और शासन में भ्रष्टाचार से लड़ने और जनता के लिए जवाबदेही सुनिश्चित करने का भी काम करता है। 

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