महिला आरक्षण कानून के लागू होने के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी।
Women Reservation Bill now become law: संसद के विशेष सत्र के दौरान पास हुआ महिला आरक्षण बिल अब कानून बन चुका है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के बिल पर हस्ताक्षर के बाद यह कानून बन चुका है। सरकार ने राष्ट्रपति के सिग्नेचर के बाद नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। महिला आरक्षण कानून के लागू होने के बाद लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी। यह बात दीगर है कि यह रिजर्वेशन नई जनगणना और परिसीमन के बाद लागू किया जाएगा। हालांकि, इन सारी प्रक्रियाओं के पहले महिला आरक्षण कानून को देश की विधानसभाओं में पास करवाना जरूरी है। कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों में इस बिल को पास कराना जरूरी है।
अगर कानून प्रभावी हुआ तो हर तीसरी सीट होगी महिलाओं के लिए…
लोकसभा व राज्यसभा में सर्वसम्मति से महिला आरक्षण बिल पास होने के बाद 29 सितंबर को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस पर सिग्नेचर भी कर दिया। राष्ट्रपति के सिग्नेचर के बाद विधेयक अब कानून बन चुका है। ऐसे में जब यह आरक्षण कानून लागू होगा तो देश की लोकसभा और सभी विधानसभाओं में 33 प्रतिशत सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी। इस तरह लोकसभा में महिलाओं के लिए 181 सीटें आरक्षित होंगी। यानी देश की हर तीसरी सीट पर महिला जनप्रतिनिधि चुनकर आएगी। वर्तमान में महिला जनप्रतनिधियों की संख्या बेहद कम है। लोकसभा में जहां 15 प्रतिशत से कम महिला जनप्रतिनिधियों का प्रतिनिधत्व है तो विधानसभाओं में महिलाओं का प्रतिनिधित्व दस प्रतिशत से भी कम है। वर्तमान लोकसभा में 82 महिला सांसद हैं। बता दें कि नई संसद भवन में पहला बिल महिला आरक्षण को लेकर ही रहा। पीएम मोदी ने महिला आरक्षण बिल को लेकर सदन में बतौर नेता अपनी बात रखी। सभी दलों ने इस का सर्वसम्मति से समर्थन किया। बाद में कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने इसे लोकसभा में पेश किया। लोकसभा में पास होने के बाद इसे राज्यसभा में भी सर्वसम्मति से पास कराया गया। हालांकि, कांग्रेस ने मांग रखी कि महिलाओं को आरक्षण देने के लिए आगामी लोकसभा 2024 के चुनाव में ही सीटें रिजर्व हों। लेकिन बीजेपी सरकार ने परिसीमन और जनगणना का हवाला देकर इसे 2929 के पहले लागू नहीं किए जाने की बात कही।
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