दुनिया की सबसे खूबसूरत झील-पैंगोंग त्सो, हर टूरिस्ट का सबसे फेवरिट डेस्टिनेशन

पेंगोंग त्सो लद्दाख में भारत-चीन सीमा के विवादित क्षेत्र में स्थित है। हालांकि, लद्दाख में पैंगोंग झील का दक्षिणी हिस्सा अब पूरी तरह से भारत के कब्जे में है। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 24, 2021 7:30 AM IST / Updated: Oct 24 2021, 03:43 PM IST

लेह। दुनिया के सबसे खूबसूरत और प्राकृतिक रूप से स्वच्छ पैगोंग लेक (Pangong Tso) टूरिस्ट्स के आकर्षण का सबसे बड़ा केंद्र रहा है। लेकिन घूमने-फिरने के शौकीन इस अप्रतिम सौन्दर्यस्थल को जाने-अनजाने गंदगी भी फैला रहे हैं। लद्दाख टूरिज्म (ladakh Tourism) ने स्वच्छता अभियान के एक मुहिम में लोगों को इस बेहद खूबसूरत जगह का लुत्फ उठाने के लिए आमंत्रित करने के साथ अपने इस प्राकृतिक घर को स्वच्छ रखने की भी अपील की है। 

पैंगोंग त्सो की खूबसूरती करती है आकर्षित

लद्दाख की सबसे प्रसिद्ध झील पैंगोंग है, जो लेह से लगभग 250 किमी दूर है। यह दुनिया की सबसे ऊंची नमक की झील है। इस झील का केवल एक तिहाई हिस्सा भारत में है जबकि शेष तिब्बत में आता है। यह खूबसूरत झील समुद्र तल से 14 हजार 270 फीट की ऊंचाई पर है और इस झील की लंबाई 134 किलोमीटर है. इस झील की खासियत यह है कि इस पर सूरज की रोशनी पड़ते ही इसका रंग बदल जाता है। पैंगोंग में त्सो इसलिए जुड़ा है क्योंकि तिब्बती में त्सो का मतलब झील होता है। 

 

चीन विवाद भी खड़े करता

पेंगोंग त्सो लद्दाख में भारत-चीन सीमा के विवादित क्षेत्र में स्थित है। हालांकि, लद्दाख में पैंगोंग झील का दक्षिणी हिस्सा अब पूरी तरह से भारत के कब्जे में है। यहां पर कई पहाड़ी चोटियों पर अब भारत का कब्जा हो चुका है। भारत के सैनिक पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर ऊंची चोटियों पर निगरानी करते हैं, जबकि चीन की सेना निचले इलाकों में है। 

पैंगोंग झील के उत्तर में फिंगर एरिया  

झील के उत्तर में फिंगर एरिया हैं। यहां फिंगर 1 से लेकर फिंगर-8 तक है। फिंगर-8 तक भारत का इलाका है। फिंगर- 4 की एरिया पहले से ही भारत के कंट्रोल में रही है, लेकिन मई में चीनी सैनिक फिंगर-4 तक आ गए और वहां से लेकर फिंगर-8 तक कई स्ट्रक्चर बना लिए। अब दोनों देशों की सेनाएं फिंगर 4 पर आमने-सामने डटी है। कई राउंड की डिप्लोमैटिक और मिलिट्री टॉक के बाद भी अभी गतिरोध बरकरार है। वार्ता के बाद चीनी सेना फिंगर-4 से पीछे तो हटी हैं लेकिन यहां की चोटियों पर अभी भी मौजूदगी है।

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