
World Organ Donation Day: 13 अगस्त को विश्व अंगदान दिवस है। अंगदान को महादान कहा गया है। इससे जरूरतमंद व्यक्ति को नया जीवन मिलता है। अंगदान को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ी है। इसके बाद भी मांग और उपलब्धता के बीच बड़ा अंतर है। UNOS (यूनाइटेड नेटवर्क फॉर ऑर्गन शेयरिंग) के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में 1,06,000 से ज्यादा लोगों को जान बचाने के लिए दूसरे के अंग की जरूरत है। भारत में 63000 से ज्यादा लोग किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे हैं। करीब 22,000 लोगों को लिवर ट्रांसप्लांट की जरूरत है। ऐसे में हम आपके लिए अंगदाताओं की दस सच्ची कहानियां लेकर आए हैं।
रिया, गुजरात: गुजरात के वलसाड की रिया को 9 साल की उम्र में ब्रेन डेड घोषित किया गया था। उसके परिवार ने उसके अंगदान का फैसला किया। उसके गुर्दे और फेफड़ों ने विभिन्न राज्यों के बच्चों की जान बचाई। उसके हाथों ने मुंबई के एक किशोर को जीवनदान दिया।
पार्थ गांधी, चंडीगढ़: बाइक हादसे के चलते पार्थ गांधी को ब्रेन डेड घोषित किया गया था। उनके पिता संजय गांधी ने पीजीआई चंडीगढ़ में उनके सभी अंग दान करने की सहमति दी। पार्थ के अंगों- हृदय, लिवर, आंखें, किडनी से कम से कम आठ लोगों की जान बच सकी।
रोली प्रजापति, नोएडा: 6 साल की रोली प्रजापति की मौत गोली लगने से हुई थी। रोली के माता-पिता ने एक 14 साल के लड़के को उसकी किडनी दान करने का फैसला लिया। इससे वह दिल्ली एम्स में सबसे कम उम्र की किडनी दानकर्ता बनी।
निक्षा अक्षय, गुजरात: 47 साल की निक्षा को ब्रेन हेमरेज हुआ था, जिसके बाद उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया। उनके परिवार ने उनकी किडनी, आंखें और लिवर दान कर दिया। उनके बेटे गुंजन कहते हैं कि दानदाताओं को देखकर "मुझे ऐसा लगा जैसे मेरी मां उनके जरिए जिंदा हैं।"
भवानी उदय कुमार, चेन्नई: भवानी उदय कुमार को बाइक हादसे के बाद ब्रेन डेड घोषित किया गया था। उनके पति ने अंगदान करने का फैसला किया। भवानी के लिवर, किडनी, कॉर्निया और हृदय के वाल्व ने कई लोगों की जान बचाई।
नमिता कपूर, दिल्ली: नमिता कपूर की मौत के बाद उनके परिवार ने अंगदान का फैसला किया। इस परिवार के एक व्यक्ति की मौत प्रत्यारोपण के लिए अंग के इंतजार में हो गई थी। नमिता की किडनी और लीवर को दान किया गया।
नेहा नैथानी, मुंबई: 18 साल की नेहा की मौत सड़क हादसे में हुई थी। उसके परिवार ने उसका हृदय, फेफड़े, लीवर और किडनी दान कर दिए। इससे कम से कम 5 लोगों की जान बची।
हितेंद्रन, चेन्नई: चेन्नई के 15 साल के हितेंद्रन को 2008 में एक बाइक हादसे के बाद ब्रेन डेड घोषित कर दिया गया था। उनके डॉक्टर माता-पिता ने उनके सभी अंग दान करने का फैसला किया। इससे कई लोगों की जान बच गई, जिनमें एक 8 साल की बच्ची भी शामिल थी। उसे उनका हृदय दिया गया।
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अनमोल जुनेजा: 20 साल की उम्र में एक सड़क हादसे में अनमोल जुनेजा की मौत हो गई थी। उनके अंगों ने 34 लोगों की मदद की। नई चिकित्सा तकनीकों की बदौलत उनकी आंखें चार लोगों में प्रत्यारोपित की गईं।
भारत की सबसे कम उम्र की अंगदाता: 2010 में तेलंगाना के महबूबनगर की एक बच्ची का मात्र 4 दिन की उम्र में निधन हो गया। उसके परिवार ने उसके अंगदान कर दिए। इससे वह भारत की सबसे कम उम्र की अंगदाता बन गई। उसकी आंखों और हृदय के वाल्वों ने दो बच्चों की जान बचाई।