सिक्किम के डॉ. चेवांग नोरबू भूटिया ने पारंपरिक बुलाई कला को आधुनिकता से जोड़ा है। वह सदियों पुरानी शिल्प कौशल को संरक्षित करते हुए इसे आधुनिक जीवन शैली के जोड़ रहे हैं।

Independence Day 2025: भारत को आजादी मिले 78 साल हो गए। इस लंबे कालखंड में भारत ने हर क्षेत्र में प्रगति की। वस्त्र उद्योग की बात करें तो आज हमारा देश दुनिया में टॉप के देशों में शुमार होता है। भारत के पारंपरिक कला को दुनिया में पहचान मिली है। डॉ. चेवांग नोरबू भूटिया जैसे लोग भारत की बुलाई कला से दुनिया को परिचित करा रहे हैं।

कौन हैं डॉ. चेवांग नोरबू भूटिया?

डॉ. चेवांग नोरबू भूटिया सिक्किम के हैं। पेशे से जानवरों के डॉक्टर हैं, लेकिन कारोबार के क्षेत्र में उतरकर दुनिया में नाम कमाया है। वह सिक्किम की हस्तशिल्प परंपरा को पुनर्जीवित कर रहे हैं। पारंपरिक बुनाई की दुनिया को बदला है। भूटिया ने पारंपरिक हथकरघा तकनीकों को आज के समय के डिजाइनों के साथ जोड़ा है। वह फाइबर्सजेनिसएक्स प्राइवेट लिमिटेड के तहत ब्रांड 'क्राफ्टेड फाइबर्स' के कपड़े बनाते हैं। उनका उद्देश्य सदियों पुरानी शिल्प कौशल को संरक्षित करते हुए इसे आधुनिक जीवन शैली के साथ जोड़ना है।

डॉ. चेवांग नोरबू भूटिया ने स्थानीय महिलाओं को बनाया आत्मनिर्भर

भूटिया बुनकरों, पशुपालकों और स्वयं सहायता समूहों के साथ सहयोग करते हैं। स्थानीय लोगों को कपड़े की बुनाई की ट्रेनिंग देते हैं। उन्हें आत्मनिर्भर बनाते हैं। इनकी मदद से आज सैकड़ों स्थानीय महिलाएं और कारीगर अच्छी कमाई कर रहे हैं। उनकी कंपनी शॉल, स्टोल, दस्ताने, मोजे जैसे परिधान तैयार करती है। इसके लिए इस्तेमाल होने वाला ऊन सिक्किम के खरगोशों और भेड़ों से आता है। रंग भी पूरी तरह प्राकृतिक होते हैं। किसी तरह के रसायन का इस्तेमाल नहीं किया जाता। भूटिया ने सिक्किम की पारंपरिक बुनाई और संस्कृति को एक नई पहचान दी है।

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भूटिया उत्तर और दक्षिण सिक्किम के बुनकरों और कारीगरों के साथ काम करते हैं। उन्होंने नाबार्ड के सहयोग से सहकारी समिति स्थापित की है। भूटिया ने बताया कि एक समय था जब उत्तरी सिक्किम में बुनाई आम थी। फिर यह पूरी तरह से बंद हो गई। हम पुराने करघों को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहे हैं। वे घरों में बेकार पड़े थे। यह उत्साहजनक है कि वही पुराने बुनकर करघों की ओर लौट रहे हैं।