ISRO ने रचा इतिहास: ब्लैक होल्स का रहस्य जानने के लिए XPoSat सैटेलाइट लांच- जानें 10 फैक्ट्स
नए साल में इसरो एक नया इतिहास बनाने जा रहा है। इसरो ने XPoSat सैटेलाइट लांच कर दिया है। यह ब्लैक होल्स का रहस्य दुनिया के सामने लाएगा। इसके लांचिंग की उल्टी गिनती 31 दिसंबर यानि रविवार से शुरू हुई और नए साल के पहले ही दिन इसरो ने इतिहास रच दिया।
Manoj Kumar | Published : Jan 1, 2024 2:30 AM IST / Updated: Jan 01 2024, 10:06 AM IST
ISRO XPoSat Launching. इसरो के वैज्ञानिकों ने रविवार को तिरूपति बालाजी मंदिर में पूजापाठ की और XPoSat सैटेलाइट लांचिंग की उल्टी गिनती शुरू हुई। साल 2024 के पहले ही दिन सुबह करीब 9.15 बजे इसरो ने सैटेलाइट की सफलतापूर्वक लांचिंग कर दी है। एक्सपोसेट ब्लैक होल्स के रहस्य से पर्दा हटा सकता है। जानकारी के लिए बता दें कि अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने दिसंबर 2021 में सुपरनोवा ब्लास्ट के अवशेष, ब्लैक होल से निकलने वाले कणों और दूसरी खगोलीय घटनाओं का अध्ययन किया था। अब भारत भी ब्लैक होल के रहस्य को सामने लाएगा।
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XPoSat की लांचिंग से जुड़े 10 फैक्ट्स
1 जनवरी 2024 को सुबह 9.10 बजे एक्सपोसेट की लांचिंग के बाद भारत दूसरा देश बन गया है जो ब्लैक होल का अध्ययन करेगा। इससे पहले अमेरिका यह कर चुका है। चंद्रयान-3 की सफलता के बाद भारत का यह मिशन आया है।
इस लांचिंग के बाद पोलराइजेशन और ब्लैक होल के रिडिएशन का अध्ययन किया जाएगा। यह न्यूट्रॉन स्टार्स की स्टडी भी करेगा। इसके साथ दो पेलोड्स हैं, जिसमें एक का नाम पॉलिक्स और दूसरे का एक्सपेक्ट है।
सैटेलाइट POLIX पेलोड द्वारा थॉमसन स्कैटरिंग के माध्यम से लगभग 50 संभावित ब्रह्मांडीय स्रोतों से निकलने वाले ऊर्जा बैंड की स्टडी संभव होगी। साथ ही 8-30keV में एक्स-रे के ध्रुवीकरण को मापा जा सकेगा।
यह कॉस्मिकएक्स-रे स्रोतों का अस्थायी अध्ययन करेगा। यह POLIX और XSPECT पेलोड के माध्यम से ब्रह्मांड के एक्स-रे उत्सर्जन की माप करेगा।
माना जाता है कि जब तारों का ईंधन खत्म हो जाता है और वे मर जाते हैं। फिर वे अपने गुरुत्वाकर्षण के कारण गिर जाते हैं और अपने पीछे ब्लैक होल या न्यूट्रॉन तारे छोड़ जाते हैं।
ब्रह्मांड में ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण बल सबसे अधिक है और न्यूट्रॉन स्टार्स का घनत्व सबसे अधिक है।
इस बारे में अधिक जानकारी जुटाकर यह मिशन अंतरिक्ष में अल्ट्रा एक्स्ट्रीम वातावरण के रहस्यों को जानने में मदद करेगा।
XPoSat सैटेलाइट की लागत लगभग ₹ 250 करोड़ है। जबकि NASA IXPE के 2021 से इसी तरह के मिशन पर $188 मिलियन खर्च किया गया था।
नासा IXPE का जीवनकाल 2 साल का ही था। जबकि भारतीय सैटेलाइट का जीवन काल 5 साल से अधिक समय तक चलने की उम्मीद है।
XPoSAT मिशन में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान या PSLV अपनी 60वीं उड़ान भरेगा। 469 किलोग्राम के XPoSAT के साथ यह सैटेलाइट उड़ान भरेगा।