Year Ender 2023: पुराने से नए संसद भवन तक...ऐसे लिखा गया लोकतंत्र का सुनहरा अध्याय

भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में साल 2023 एक नया अध्याय लेकर आया और दिल्ली में नए संसद भवन का उद्घाटन किया गया है। इस साल भारत ने कई और भी ऐतिहासिक सफलताएं पाई हैं।

 

Year Ender 2023. भारत के लिए साल 2023 कई बड़ी सफलताओं वाला वर्ष रहा है। साथ ही कुछ मौकों पर निराशा भी हाथ लगी है। इसी साल भारत को नया संसद भवन मिला, चंद्रयान-3 मिशन की सफलता के बाद हम चांद पर तिरंगा फहराने में कामयाब रहे लेकिन क्रिकेट विश्वकप के फाइनल में मिली हार से देशवासियों को असफलता का भी सामना करना पड़ा। इन सबके बीच सबसे बड़ी सफलता 28 मई 2023 को तब मिली जब भारत की नई पार्लियामेंट बिल्डिंग का उद्घाटन किया गया।

पुराने संसद भवन से नए संसद भवन तक

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पुराने संसद भवन का निर्माण 1921 से 1927 के बीच ब्रिटिश आर्किटेक्ट सर एडविन लुटियंस और हरबर्ट बेकर द्वारा कराया गया था। कॉलोनियन युग में इस बिल्डिंग का निर्माण कार्य 6 वर्ष में पूरा किया गया। शुरूआत में इसे काउंसिल हाउस नाम दिया गया था। तब यह इंपीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल का प्रतिनिधित्व करती थी। वहीं, नए संसद भवन की जरूरत काफी समय से महसूस की जा रही थी। सरकार आंकड़े बताते हैं कि पुराने संसद भवन में सांसदों के लिए पर्याप्त जगह की कमी थी और इसका इंफ्रास्ट्रक्चर काफी पुराना हो चुका था। इसके अलावा सुरक्षा जैसे कई मानकों को ध्यान में रखकर नई पार्लियामेंट बिल्डिंग का निर्माण कराया गया।

नई संसद भवन की खासियत क्या है

नए संसद भवन के लोकसभा हॉल में अब 888 सीटें तैयार की गई हैं। जबकि राज्यसभा में अब 384 सदस्यों के बैठने की जगह है। दोनों सदनों का संयुक्त अधिवेशन होता है तो 1272 सदस्यों के बैठने की जगह नई पार्लियामेंट बिल्डिंग में तैयार की गई है। नए संसद भवन में 19 सितंबर से कामकाज शुरू किया गया, तब पीएम मोदी सांसदों के साथ पैदल ही पुरानी बिल्डिंग से नई बिल्डिंग में दाखिल हुए। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि इस भवन में सब कुछ नया है। सभी सुविधाएं नई और अत्याधुनिक हैं।

पीएम मोदी ने नए संसद भवन को लेकर क्या कहा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि नए संसद भवन में सबकुछ नया है लेकिन हम पुरानी विरासत को साथ लेकर चल रहे हैं। हमारी पुरानी लोकतांत्रिक धरोहर वैसी ही है, जैसे थी। आजादी की पहली किरण से लेकर अब तक हमने जो भी हासिल किया है, वह सब हमारे साथ इस नई बिल्डिंग में भी जुड़ा रहेगा। यह हमारे समृद्ध विरासत की गवाह भी है। इस दौरान प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा रिसीव किए गए ऐतिहासिक सेंगोल को लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी के पास स्थापित किया गया। पूरे वैदिक रीति-रिवाज के साथ नए भवन का उद्घाटन किया गया।

नए संसद भवन को लेकर जमकर हुई राजनीति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट यानि नए संसद भवन को लेकर राजनीति भी जमकर हुई। विपक्षी दलों ने बार-बार इसकी जरूरत पर सवाल खड़े किए लेकिन पीएम मोदी की अगुवाई में रिकॉर्ड समय में नए संसद भवन का निर्माण कार्य पूरा किया गया। विपक्षी दलों खासकर कांग्रेस पार्टी ने इसे मोदी मल्टीप्लेक्स या मोदी मैरियॉट का नाम भी दिया। कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर यहां तक कहा कि नए संसद भवन के आर्किटेक्चर से लोकतंत्र की हत्या कर दी गई। आगे कहा कि पीएम मोदी ने बिना नया संविधान लिखे ही संविधान लिखने जैसा काम किया है।

पुराने संसद भवन का नया नाम

तमाम विरोधों के बावजूद पीएम मोदी ने लोकतंत्र के मंदिर की गरिमा को बनाए रखने के लिए पुराने संसद भवन को नया नाम दिया। अब यह संविधान सदन के नाम से जाना जाता है। वहीं नए संसद भवन में सबसे पहला बिल महिला आरक्षण का पास किया गया। इसे नारी शक्ति वंदन बिल के नाम से भी जाना जाता है। इस बिल को लोकसभा और राज्यसभा में ध्वनिमत से पास किया गया। इसके अलावा नए संसद में भारतीय न्याय संहिता से जुड़े महत्वपूर्ण बिल पास किए गए। जम्मू कश्मीर से जुड़े दो जरूरी बिल इसी साल 18 दिसंबर को पास किए गए।

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