अवनि का जन्म राजस्थान में 8 नवंबर 2001 को हुआ था। जयपुर में जन्मीं अवनि की जिंदगी में 2012 में एक हादसा हुआ। अविन जब 11 साल की थीं, तब एक कार एक्सीडेंट में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी।
टोक्यो. टोक्यो पैरालिंपिक (Tokyo Paralympics) में गोलेड जीतकर अवनि लखेरा ने इतिहास रचा है। उन्होंने महिलाओं के 10 मीटर एयर राइफल के क्लास एसएच1 के फाइनल में 249 पॉइंट स्कोर कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया। जबकि क्वॉलिफिकेशन राउंड में 7 वें स्थान पर रहकर फाइनल में जगह बनाई थी। अवनि का जीवन संघर्षों भरा रहा है। 11 साल की उम्र में एक सड़क हादसे को बाद से ही वो व्हील चेर पर हैं लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और आज गोल्ड जीतकर इतिहास रचा है। आिए जानते हैं अवनि लखेरा के संघर्ष की कहानी।
राजस्थान में हुआ जन्म
अवनि का जन्म राजस्थान में 8 नवंबर 2001 को हुआ था। जयपुर में जन्मीं अवनि की जिंदगी में 2012 में एक हादसा हुआ। अविन जब 11 साल की थीं, तब एक कार एक्सीडेंट में उनकी रीढ़ की हड्डी टूट गई थी। इसके बाद वो व्हीलचेयर पर आ गईं। हालांकि उन्होंने अपनी इस कमजोरी को कभी आड़े नहीं आने दिया और अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना शुरू कर दिया।
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पिता ने बढ़ाया उत्साह
अवनि पढ़ाई पर फोकस कर रही थीं लेकिन उनके पिता ने उन्हें खेल पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया। पिता ने उनसे कहा कि वो शूटिंग और तीरंदाजी दोनों में कोशिश करें और फिर कोई एक खेल अपने लिए चुनें। 2015 में पिता ने शूटिंग और तीरंदाजी दोनों के लिए उन्हें लेकर गए थे।
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अभिनव बिंद्रा की किताब से मिली शूटिंग की प्रेरणा
हादसे के बाद अवनि कुछ दिनों के लिए डिप्रेशन में चली गईं थीं। माता-पिता ने इस दौरान उनका भरपूर समर्थन किया। अवनि ने अभिनव बिंद्रा की बायोग्राफी 'अ शॉट एट हिस्ट्री' पढ़ी, जिसके बाद शूटिंग के प्रति वो और ज्यादा गंभीर हो गई। अवनि ने 2015 में जयपुर के जगतपुरा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स से शूटिंग की ट्रेनिंग शुरू की।
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जीत चुकी हैं कई गोल्ड
2015 में अवनि ने अपनी ट्रेनिंग शुरू की। उसके बाद उन्होंने राजस्थान स्टेट चैम्पियनशिप में हिस्सा लिया और गोल्ड जीता। अवनि ने अपने कोच से राइफल उधार ली थी। उन्होंने नेशनल चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज मेडल जीता था। 2016 से 2020 के बीच अवनि ने नेशनल शूटिंग चैम्पियनशिप में 5 बार गोल्ड मेडल जीता।