इतिहास रचने से चूके भारतीय शटलर लक्ष्य सेन, विक्टर एक्सेलसेन ने बादशाहत रखी बरकरार

ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप के मेन्स सिंगल्स फाइनल में भारत के लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) का मुकाबला डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसेन (Victor Axelsen) से हुआ है। लक्ष्य सेन 21 साल बाद फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं।

Asianet News Hindi | Published : Mar 20, 2022 5:27 PM IST / Updated: Mar 20 2022, 11:49 PM IST

नई दिल्ली। ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप (All England Badminton Championships) के मेन्स सिंगल्स फाइनल में भारत के लक्ष्य सेन (Lakshya Sen) का मुकाबला डेनमार्क के विक्टर एक्सेलसेन (Victor Axelsen) से हुआ है। लक्ष्य सेन 21 साल बाद फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी हैं। हालांकि, फाइनल में पहुंचने के बाद भी वह इतिहास बनाने से चूक गए। डेनमार्क के खिलाड़ी एक्सेलसेन ने भारत के लक्ष्य सेन को 21-10, 21-15 से हरा दिया है। दोनों खिलाड़ियों के बीच यह मुकाबला 53 मिनट तक चला। 

पहले गेम का हाल...

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फाइनल मुकाबले के पहले गेम में डेनमार्क के खिलाड़ी विक्टर एक्सेलसेन ने शानदार प्रदर्शन करते हुए महज 22 मिनट में 21-10 से जीत लिया। 

दूसरा गेम...

दूसरे गेम में लक्ष्य सेन ने लगातार तीन अंक लिए लेकिन एक्सेलसेन ने 15-10 से बढ़त बरकरार रखी। और फाइनल मुकाबला जीत लिया। 

21 साल बाद कोई भारतीय पहुंचा था फाइनल में...

लक्ष्य सेन शनिवार को ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचे थे। अपने पहले फाइनल में पहुंचने के लिए मलेशिया के गत चैंपियन ली ज़ी जिया को हराया था। 21 साल बाद कोई भारतीय इस चैंपियनशिप के फाइनल में पहुंचा। भारतीय खिलाड़ी लक्ष्य सेन ने तीन गेम तक चले इस मुकाबले को एक घंटे और 16 मिनट में अपने नाम किया। उन्होंने ली को 21-13 12-21 21-19 से हराकर फाइनल अपनी जगह बनाई। ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप में पहुंचने वाले वह तीसरे पुरुष एकल खिलाड़ी बने। इसके पहले प्रकाश पादुकोण और पुलेला गोपीचंद फाइनल में पहुंच चुके हैं। 

पादुकोण और गोपीचंद इवेंट जीत चुके हैं...

पादुकोण और गोपीचंद प्रतिष्ठित इवेंट जीतने वाले एकमात्र भारतीय हैं, जबकि साइना नेहवाल 2015 में फाइनल में पहुंची थीं। 1980 में प्रकाश पादुकोण और 2001 में पुलेला गोपीचंद यहां विजेता बने थे। 2001 में खिताब जीतने वाले दिग्गज पुलेला गोपीचंद के बाद लक्ष्य सेन इस टूर्नामेंट के फाइनल में पहुंचने वाले पहले भारतीय पुरुष शटलर हैं।

बैडमिंटन के पितामह कहे जाने वाले प्लेयर के परिवार से

बैडमिंटन सनसनी लक्ष्य सेन मूल रूप से उत्तराखंड के अल्मोड़ा के रहने वालो हैं। लक्ष्य का परिवार तीन पीढ़ियों से बैडमिंटन के प्रति समर्पित रहा है। दादा सी.एल. सेन को अल्मोड़ा में बैडमिंटन का भीष्म पितामह कहा जाता है। लक्ष्य के पिता डी.के. सेन नेशनल लेवल के बैडमिंटन खिलाड़ी रह चुके हैं। अभी वह नेशनल लेवल के कोच भी हैं। डीके सेन प्रकाश पादुकोण अकादमी में खिलाड़ियों को तराश रहे हैं। उनके भाई चिराग सेन ने भी इंटरनेशनल स्तर पर बैडमिंटन खेला है। लक्ष्य की मां एक टीचर हैं। लक्ष्य ने कोच पिता की देखरेख में बैडमिंटन खेलना शुरू किया था। वो 4 साल की उम्र से स्टेडियम जाने लगे थे।

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